पाकुड़: झारखंड के सरकारी स्कूलों (Government Schools in Pakur) की शिक्षा व्यवस्था सुधारने को लेकर राज्य सरकार हर स्तर पर काम कर रही है. शिक्षा मंत्री जगह-जगह प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सरकारी विद्यालय बनाने की बात करते हैं. इसके साथ ही बड़े पैमाने पर शिक्षकों की बहाली की जाएगी, ताकि गरीब परिवार के बच्चों को पढ़ने में समस्या नहीं हो. लेकिन हकीकत कुछ और ही है. पाकुड़ जिले के सरकारी स्कूलों के बच्चे पढ़ने के बदले सफाई करते हैं.
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बच्चों में शिक्षा की ललक जगाने के साथ साथ उनके शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास को लेकर केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनायें संचालित कर रही है. जिला प्रशासन भी शिक्षा में गुणात्मक सुधार को लेकर कदम उठा रहा है. लेकिन इन सभी प्रयासों को शिक्षक और शिक्षा विभाग के अधिकारी उलटने में लगे हैं. शिक्षक स्कूली बच्चों से जबरन कार्य करवाते हैं और पूछने पर बच्चों द्वारा किए कार्यों को छुपाने के लिए नये नये तर्क देने लगते हैं.
यह स्थिति सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में नहीं हैं बल्कि जिला मुख्यालय स्थित सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई के बदले बच्चों से साफ सफाई का काम लिया जाता है. छोटे-छोटे बच्चे हाथों में कुदाल लेकर मिट्टी काटते और घास छिलते हैं. यह नजारा धनुषपूजा मध्य विद्यालय परिसर में दिखा. इस विद्यालय में गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ने पहुंचते हैं. इन बच्चों से कक्षा शुरू होने से पहले झाड़ू-पोछा के साथ साथ विद्यालय परिसर की साफ-सफाई करवाई जाती है. एक मजदूरों की तरह बच्चे ठोकरी में कूड़ा लेकर दूसरे स्थानों पर फेंकते भी हैं.
विद्यालय के प्रिंसिपल प्रदीप मालाकार कहते हैं कि स्वच्छता सप्ताह कार्यक्रम चल रहा है. इस कार्यक्रम के तहत स्कूली बच्चे स्कूल परिसर की साफ-सफाई कर रहे हैं. जिला शिक्षा अधीक्षक मुकुल राज ने बताया कि प्रार्थना से पहले बच्चों से साफ सफाई कराई जाती है. उन्होने कहा कि हम भी स्कूल में पढ़ते थे तो स्कूल परिसर की सफाई करवाई जाती थी. उन्होंने कहा कि बच्चों से स्कूल में कठिन कार्य नहीं करवाना है. अगर किसी विद्यालय में बच्चों से कठिन कार्य करवाया जा रहा है जो गलत है. उसपर कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि स्वच्छता अभियान के तहत स्कूली बच्चों में साफ-सफाई को लेकर जागरूक किया जाता है. लेकिन धनुषपूजा मध्य विद्यालय में जिस तरह स्कूली बच्चों के हाथों में कुदाल थमा कर काम करवाया जाता है.