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हाल-ए-स्कूलः डर के साये में भविष्य गढ़ते नौनिहाल!

परिस्थितियां चाहे जो भी हो, इरादों काफी मजबूत हैं. तपती धूप हो या बारिश, मन में एक ही लगन है कि स्कूल चलें हम. लेकिन क्या प्रशासन इन बच्चों को बुनियादी सुविधाएं देने की इच्छाशक्ति रखता है, जितनी इच्छाशक्ति इन बच्चों में पढ़ाई को लेकर है. पूरी कहानी पढ़िए, ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट में.

dilapidated condition of Udaynarayanpur primary school in Pakur
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 4, 2023, 2:15 PM IST

Updated : Sep 4, 2023, 4:04 PM IST

देखें स्पेशल रिपोर्ट

पाकुड़ः विद्यार्थियों में शिक्षा की भूख ऐसी कि डर के साये में जर्जर विद्यालय भवन में पढ़ने के लिए वो हर रोज स्कूल तक आते हैं. पता नहीं भवन का कब और कौन सा हिस्सा उनके ऊपर आ गिरे और उन्हें चोट लग जाए. इन सबकी चिंता किये बगैर हर रोज वो विद्यालय आते हैं और पढ़ाई करते हैं. सिस्टम और प्रशासन की कोताही भरे रवैये को चुनौती देती और बच्चों की इच्छाशक्ति उजागर करती ये तस्वीरें पाकुड़ जिला की है.

इसे भी पढ़ें- Latehar News: विद्यालय की छत का प्लास्टर भरभरा कर गिरा, तीन बच्चे गंभीर रूप से घायल

पाकुड़ के सदर प्रखंड में एक ऐसा विद्यालय है जहां विद्यार्थी डर के साये में पढ़ने को विवश हैं. यह विद्यालय जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर उदयनारायणपुर प्राथमिक विद्यालय है. इस स्कूल में 630 छात्र छात्रा नामांकित हैं लेकिन 50 प्रतिशत बच्चों की ही उपस्थिति दर्ज होती है. क्योंकि विद्यालय में बैठने की व्यवस्था नहीं रहने और भवन जर्जर रहने के कारण बच्चे डर से नहीं पहुंचते हैं. ऐसे जर्जर स्कूल भवन में पचास फीसदी की उपस्थिति ही अपने आप में काफी है. क्योंकि इस डर के बावजूद करीब 300 बच्चे हर रोज पढ़ाई करने के लिए इसी जर्जर इमारत में आ रहे हैं.

ग्रामीणों के मुताबिक 30 साल पूर्व प्राथमिक विद्यालय भवन का निर्माण कराया गया था और समय बीतने के बाद इस विद्यालय भवन पर शिक्षा विभाग ने ध्यान नहीं दिया और जर्जर स्थिति हो गयी. यहां पदस्थापित शिक्षक बताते हैं कि विद्यालय भवन की छत का हिस्सा कई बार टूटकर गिर चुका है और बच्चे सहित शिक्षक बाल-बाल बच गये. शिक्षकों ने बताया कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जानकारी दी गयी तो दो साल पहले एक बार मरम्मती का कार्य कराया गया. लेकिन विद्यालय भवन इतना जर्जर हो गया कि एक ओर मरम्मत करा रहे हैं तो दूसरी ओर भवन का कुछ हिस्सा टूटकर गिर रहा है. जिस कारण बच्चे सहित शिक्षक इस बात को लेकर काफी भयभीत रहते हैं कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए.

इस बाबत विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष जियाउल शेख का कहना है कि जर्जर स्कूल भवन को लेकर हाल में अधिकारियों और जिला उपायुक्त को लिखित रूप से सूचना दी गयी है. उन्होंने बताया कि पूर्व में एक बार भवन की मरम्मती करायी गयी थी लेकिन हालत जस की तस बनी हुई है. उन्होंने बताया कि मजबूरी या इच्छाशक्ति ही है जो ऐसे स्कूल भवन में बच्चों की उपस्थिति कम से कम 50 प्रतिशत के लगभग है.

विद्यालय भवन के जर्जर रहने और डर के साये में बच्चों के विद्यालय में पढ़ाई को लेकर पाकुड़ डीसी मृत्युंजय कुमार बरनवाल ने कहा कि इसकी बात जानकारी मुझे नहीं थी. लेकिन जल्द ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों को वहां भेजा जाएगा और अगर आवश्यकता पड़े तो बच्चों को दूसरे विद्यालय में शिफ्ट कराया जाएगा. डीसी ने कहा कि जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट की राशि से दर्जनों जर्जर विद्यालय भवन का निर्माण कराये जाने का निर्णय प्रशासन ने लिया है. जांच रिपोर्ट मिलने के बाद इस विद्यालय को भी सूची में शामिल कर नये भवन का निर्माण कराया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- पेड़ के नीचे स्कूल-खुले आसमान के नीचे पढ़ाई! प्रशासन से एक अदद भवन की मांग

देखें स्पेशल रिपोर्ट

पाकुड़ः विद्यार्थियों में शिक्षा की भूख ऐसी कि डर के साये में जर्जर विद्यालय भवन में पढ़ने के लिए वो हर रोज स्कूल तक आते हैं. पता नहीं भवन का कब और कौन सा हिस्सा उनके ऊपर आ गिरे और उन्हें चोट लग जाए. इन सबकी चिंता किये बगैर हर रोज वो विद्यालय आते हैं और पढ़ाई करते हैं. सिस्टम और प्रशासन की कोताही भरे रवैये को चुनौती देती और बच्चों की इच्छाशक्ति उजागर करती ये तस्वीरें पाकुड़ जिला की है.

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पाकुड़ के सदर प्रखंड में एक ऐसा विद्यालय है जहां विद्यार्थी डर के साये में पढ़ने को विवश हैं. यह विद्यालय जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर उदयनारायणपुर प्राथमिक विद्यालय है. इस स्कूल में 630 छात्र छात्रा नामांकित हैं लेकिन 50 प्रतिशत बच्चों की ही उपस्थिति दर्ज होती है. क्योंकि विद्यालय में बैठने की व्यवस्था नहीं रहने और भवन जर्जर रहने के कारण बच्चे डर से नहीं पहुंचते हैं. ऐसे जर्जर स्कूल भवन में पचास फीसदी की उपस्थिति ही अपने आप में काफी है. क्योंकि इस डर के बावजूद करीब 300 बच्चे हर रोज पढ़ाई करने के लिए इसी जर्जर इमारत में आ रहे हैं.

ग्रामीणों के मुताबिक 30 साल पूर्व प्राथमिक विद्यालय भवन का निर्माण कराया गया था और समय बीतने के बाद इस विद्यालय भवन पर शिक्षा विभाग ने ध्यान नहीं दिया और जर्जर स्थिति हो गयी. यहां पदस्थापित शिक्षक बताते हैं कि विद्यालय भवन की छत का हिस्सा कई बार टूटकर गिर चुका है और बच्चे सहित शिक्षक बाल-बाल बच गये. शिक्षकों ने बताया कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जानकारी दी गयी तो दो साल पहले एक बार मरम्मती का कार्य कराया गया. लेकिन विद्यालय भवन इतना जर्जर हो गया कि एक ओर मरम्मत करा रहे हैं तो दूसरी ओर भवन का कुछ हिस्सा टूटकर गिर रहा है. जिस कारण बच्चे सहित शिक्षक इस बात को लेकर काफी भयभीत रहते हैं कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए.

इस बाबत विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष जियाउल शेख का कहना है कि जर्जर स्कूल भवन को लेकर हाल में अधिकारियों और जिला उपायुक्त को लिखित रूप से सूचना दी गयी है. उन्होंने बताया कि पूर्व में एक बार भवन की मरम्मती करायी गयी थी लेकिन हालत जस की तस बनी हुई है. उन्होंने बताया कि मजबूरी या इच्छाशक्ति ही है जो ऐसे स्कूल भवन में बच्चों की उपस्थिति कम से कम 50 प्रतिशत के लगभग है.

विद्यालय भवन के जर्जर रहने और डर के साये में बच्चों के विद्यालय में पढ़ाई को लेकर पाकुड़ डीसी मृत्युंजय कुमार बरनवाल ने कहा कि इसकी बात जानकारी मुझे नहीं थी. लेकिन जल्द ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों को वहां भेजा जाएगा और अगर आवश्यकता पड़े तो बच्चों को दूसरे विद्यालय में शिफ्ट कराया जाएगा. डीसी ने कहा कि जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट की राशि से दर्जनों जर्जर विद्यालय भवन का निर्माण कराये जाने का निर्णय प्रशासन ने लिया है. जांच रिपोर्ट मिलने के बाद इस विद्यालय को भी सूची में शामिल कर नये भवन का निर्माण कराया जाएगा.

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Last Updated : Sep 4, 2023, 4:04 PM IST
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