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मदद की दरकारः गंभीर बीमारी से जूझ रहा दीप पहाड़िया, आर्थिक तंगी में परिवार - पाकुड़ सिविल सर्जन

पाकुड़ का 11 वर्षीय दीप पहाड़िया गंभीर बीमारी से ग्रस्त है. दीप का इलाज के लिए लाखों खर्च आएंगे. माता-पिता के पास इतने पैसे नहीं वो अपने बेटे का इलाज कर पाएं. इसको लेकर दीप के परिवार ने मदद की अपील की है.

deep suffering from serious illness needs help in pakur
दीप को चाहिए मदद
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Published : Jan 15, 2021, 5:48 AM IST

Updated : Jan 15, 2021, 12:48 PM IST

पाकुड़: आर्थिक तंगी और शासन प्रशासन की उदासीनता का दंश झेलने को मजबूर है. आदिम जनजाति पहाड़िया समाज का 11 वर्षीय दीप पहाड़िया एक दशक से अनाल कलान बीमारी से जूझ रहा है. दीप के माता-पिता ने इलाज के लिए मदद की गुहार लगाई है.

SPECIAL REPORT: दीप को चाहिए मदद
गंभीर बीमारी से ग्रस्त है दीप

सरकार कल्याणकारी योजनाओं का लाभ शहरी क्षेत्र में रहने वाले दीप और उसके परिवार को मुहैया कराने में शासन और प्रशासन अब तक नाकाम है. 11 वर्षीय दीप पहाड़िया का शौच का रास्ता बंद है. वह रोज इस आस में जी रहा है कि कोई उसकी मदद करे और उसके दिन बहुरे. बीमारी से ग्रसित दीप पहाड़िया अपने सारे दुख-दर्द को भूल कर पढ़ाई कर रहा है. उसे उम्मीद है कि वह भी पढ़-लिखकर परिवार की अच्छी तरह से देखरेख कर सकेगा. झारखंड राज्य का सबसे पिछड़ा जिला में वैसे तो दुर्गम पहाड़ों और जंगलों में आदिम जनजाति पहाड़िया ज्यादा संख्या में रहते हैं. नगर परिषद क्षेत्र के कूड़ापाड़ा में 11 वर्षीय पहाड़िया अपने परिवार के साथ रह रहा है और जिंदगी से जद्दोजहद करते हुए जीवन यापन कर रहा है.


मजदूरी करता है परिवार

मजदूर परिवार से आने वाले दीप पहाड़िया के पिता कमल पहाड़िया मजदूरी करता है. प्रति माह 4 से 5 हजार रुपया की कमाई कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा है. उसके पास इतने पैसे नहीं है कि वह दीप का इलाज करा सके. शासन प्रशासन की उदासीनता का अंदाजा इसी से लगता है कि इस परिवार को ना तो प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल पाया और ना ही एक अदद शौचालय की सुविधा है. आयुष्मान भारत जैसे महत्वपूर्ण योजना का लाभ मिलना तो दूर इसका कार्ड भी अब तक नहीं बन पाया है. सरकारी सुविधा के नाम पर हाल में ही इस परिवार को पीला राशन कार्ड मिला है. दीप की मां छोटी पहाड़िया रोज इसकी देखभाल कर रही है और समय बचने पर दीप को पढ़ाने का काम कर रही है. दीप के पिता कमल पहाड़िया ने बताया कि जन्म लेने के बाद से ही शौच का रास्ता नहीं था. शुरुआत में उसने इसकी इलाज कराए और डॉक्टर ने पेट के दाहिने और शौच के लिए एक रास्ता बनाया और उसके बाद से दीप का बेहतर इलाज के लिए परिवार दर-दर भटक रहा है.

इसे भी पढ़ें- पाकुड़: इस गरम कुंड में स्नान करने से मिलती है पाप से मुक्ति



सिविल सर्जन ने दिया इलाज का भरोसा

इस मामले में जब सिविल सर्जन डॉ रामदेव पासवान से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि दीप के परिवार ने अबतक ऐसा कुछ भी नहीं बताया है. सीएस ने कहा कि मामला अब संज्ञान में आया है और चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी को दीप का घर भेजा जाएगा और दीप का इलाज कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से दीप को हरसंभव मदद दिया जाएगा.

पाकुड़: आर्थिक तंगी और शासन प्रशासन की उदासीनता का दंश झेलने को मजबूर है. आदिम जनजाति पहाड़िया समाज का 11 वर्षीय दीप पहाड़िया एक दशक से अनाल कलान बीमारी से जूझ रहा है. दीप के माता-पिता ने इलाज के लिए मदद की गुहार लगाई है.

SPECIAL REPORT: दीप को चाहिए मदद
गंभीर बीमारी से ग्रस्त है दीप

सरकार कल्याणकारी योजनाओं का लाभ शहरी क्षेत्र में रहने वाले दीप और उसके परिवार को मुहैया कराने में शासन और प्रशासन अब तक नाकाम है. 11 वर्षीय दीप पहाड़िया का शौच का रास्ता बंद है. वह रोज इस आस में जी रहा है कि कोई उसकी मदद करे और उसके दिन बहुरे. बीमारी से ग्रसित दीप पहाड़िया अपने सारे दुख-दर्द को भूल कर पढ़ाई कर रहा है. उसे उम्मीद है कि वह भी पढ़-लिखकर परिवार की अच्छी तरह से देखरेख कर सकेगा. झारखंड राज्य का सबसे पिछड़ा जिला में वैसे तो दुर्गम पहाड़ों और जंगलों में आदिम जनजाति पहाड़िया ज्यादा संख्या में रहते हैं. नगर परिषद क्षेत्र के कूड़ापाड़ा में 11 वर्षीय पहाड़िया अपने परिवार के साथ रह रहा है और जिंदगी से जद्दोजहद करते हुए जीवन यापन कर रहा है.


मजदूरी करता है परिवार

मजदूर परिवार से आने वाले दीप पहाड़िया के पिता कमल पहाड़िया मजदूरी करता है. प्रति माह 4 से 5 हजार रुपया की कमाई कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा है. उसके पास इतने पैसे नहीं है कि वह दीप का इलाज करा सके. शासन प्रशासन की उदासीनता का अंदाजा इसी से लगता है कि इस परिवार को ना तो प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल पाया और ना ही एक अदद शौचालय की सुविधा है. आयुष्मान भारत जैसे महत्वपूर्ण योजना का लाभ मिलना तो दूर इसका कार्ड भी अब तक नहीं बन पाया है. सरकारी सुविधा के नाम पर हाल में ही इस परिवार को पीला राशन कार्ड मिला है. दीप की मां छोटी पहाड़िया रोज इसकी देखभाल कर रही है और समय बचने पर दीप को पढ़ाने का काम कर रही है. दीप के पिता कमल पहाड़िया ने बताया कि जन्म लेने के बाद से ही शौच का रास्ता नहीं था. शुरुआत में उसने इसकी इलाज कराए और डॉक्टर ने पेट के दाहिने और शौच के लिए एक रास्ता बनाया और उसके बाद से दीप का बेहतर इलाज के लिए परिवार दर-दर भटक रहा है.

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सिविल सर्जन ने दिया इलाज का भरोसा

इस मामले में जब सिविल सर्जन डॉ रामदेव पासवान से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि दीप के परिवार ने अबतक ऐसा कुछ भी नहीं बताया है. सीएस ने कहा कि मामला अब संज्ञान में आया है और चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी को दीप का घर भेजा जाएगा और दीप का इलाज कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से दीप को हरसंभव मदद दिया जाएगा.

Last Updated : Jan 15, 2021, 12:48 PM IST
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