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SPECIAL: लॉकडाउन से थमी चाक की रफ्तार, दाने-दाने को मोहताज हुए कुम्हार - लॉकडाउन में कुम्हार

लॉकडाउन में सबसे ज्यादा प्रभाव समाज के उन वर्गों पर पड़ रहा है जो रोज कमाकर अपना जीवन-यापन करते हैं. सब कुछ बंद होने की वजह से उनके रोजगार में खासा असर पड़ रहा है और कुछ ऐसे ही हालात मिट्टी को आकार देने वाले कुम्हारों की है. देखें ये खास रिपोर्ट.

bad condition of potters during lockdown in pakur
लॉकडाउन से थमी चाक की रफ्तार
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Published : May 8, 2020, 8:51 PM IST

पाकुड़: कोरोना वायरस से बचाव और रोकथाम की जारी मुहिम में शासन और प्रशासन हर तबके के लोगों के सुख-दुख का न केवल ध्यान रख रहा है बल्कि उनकी समस्याओं के निदान और उन्हें रोजगार मुहैया कराने की दिशा में पहल भी कर रहा है. वहीं, कई ऐसे भी वर्ग हैं जो लॉकडाउन से परेशान हैं. लॉकडाउन की वजह से उनका परंपरागत पेशा प्रभावित हुआ है और पहले की तरह यह अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पा रहे हैं.

देखें पूरी खबर

हम बात कर रहे हैं कुम्हार की. लॉकडाउन लागू होने के पहले फेज के बाद कुम्हारों में यह आशा जगी थी कि लॉकडाउन खत्म होगा और उनका रोजगार पहले की तरह पटरी पर आ जाएगा और परिवार खुशहाल होंगे. लेकिन लॉकडाउन खुलने की जगह बढ़ता जा रहा है. कुम्हार प्रतिदिन इस आस में चुक्कड़ बना रहे हैं की दुकानें खुलेगी और इसे बेचकर कमाई करेंगे लेकिन कई दिनों से चाय की दुकानें नहीं खुल रहीं और इनके बनाए गए मिट्टी के चुक्कड़ खुद उनके लिए अब जी का जंजाल हो गये हैं.

ये भी पढ़ें-SPECIAL: जिस दरवाजे पर जाने में लगता था डर वहीं से निकला मसीहा, लोगों की मिटा रहा भूख

चुक्कड़ बेचकर सौ-दो सौ रुपए की होती है कमाई

बनाए गए चुक्कड़ रखने के लिए इनके पास घरों में जगह नहीं है. मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों ने बताया कि लॉकडाउन लागू होने के पहले वे प्रतिदिन मिट्टी का चुक्कड़ बेचकर सौ से दो सौ रुपये की कमाई कर लेते थे जिससे परिवार का भरण पोषण अच्छी तरीके से होता था पर अब नहीं हो रहा है. जिला मुख्यालय के लगभग दो दर्जन कुम्हार परिवार हैं जिनके परंपरागत पेशे को लॉकडाउन ने बुरी तरह प्रभावित किया है.

कुम्हारों के लिए कोई व्यवस्था नहीं

सरकार ने मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए खान-खदान में काम चालू कराया है. मनरेगा के तहत योजना क्रियान्वयन करने की घोषणा की है. लेकिन कुम्हार जाति के लोगों के लिए कोरोना वायरस को हराने और भगाने की मुहिम के दौरान कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी है. जिसके चलते इन परिवारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ परिवारों को जिनके राशन कार्ड थे उन्हें प्रशासन ने अनाज मुहैया जरूर करा दिया है लेकिन इन अनाजों को पकाने के लिए जो जरूरत के सामान चाहिए उसके लिए यह वर्ग दूसरे के सामने हाथ फैलाने को मजबूर है.

अधिकारियों का कहना है कि लॉकडाउन फेज टू में जो गाइड लाइन केंद्र सरकार ने जारी किया था उसी गाइडलाइन में लॉकडाउन फेज थ्री चलेगा और इस दौरान अगर कोई छोटी दुकान जैसे चाय-नास्ता की खोलना चाहता है तो गाइडलाइन का पालन करते हुए दुकानदार इसे खोल सकते है अन्यथा अगले आदेश तक बंद रहेंगे.

पाकुड़: कोरोना वायरस से बचाव और रोकथाम की जारी मुहिम में शासन और प्रशासन हर तबके के लोगों के सुख-दुख का न केवल ध्यान रख रहा है बल्कि उनकी समस्याओं के निदान और उन्हें रोजगार मुहैया कराने की दिशा में पहल भी कर रहा है. वहीं, कई ऐसे भी वर्ग हैं जो लॉकडाउन से परेशान हैं. लॉकडाउन की वजह से उनका परंपरागत पेशा प्रभावित हुआ है और पहले की तरह यह अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पा रहे हैं.

देखें पूरी खबर

हम बात कर रहे हैं कुम्हार की. लॉकडाउन लागू होने के पहले फेज के बाद कुम्हारों में यह आशा जगी थी कि लॉकडाउन खत्म होगा और उनका रोजगार पहले की तरह पटरी पर आ जाएगा और परिवार खुशहाल होंगे. लेकिन लॉकडाउन खुलने की जगह बढ़ता जा रहा है. कुम्हार प्रतिदिन इस आस में चुक्कड़ बना रहे हैं की दुकानें खुलेगी और इसे बेचकर कमाई करेंगे लेकिन कई दिनों से चाय की दुकानें नहीं खुल रहीं और इनके बनाए गए मिट्टी के चुक्कड़ खुद उनके लिए अब जी का जंजाल हो गये हैं.

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चुक्कड़ बेचकर सौ-दो सौ रुपए की होती है कमाई

बनाए गए चुक्कड़ रखने के लिए इनके पास घरों में जगह नहीं है. मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों ने बताया कि लॉकडाउन लागू होने के पहले वे प्रतिदिन मिट्टी का चुक्कड़ बेचकर सौ से दो सौ रुपये की कमाई कर लेते थे जिससे परिवार का भरण पोषण अच्छी तरीके से होता था पर अब नहीं हो रहा है. जिला मुख्यालय के लगभग दो दर्जन कुम्हार परिवार हैं जिनके परंपरागत पेशे को लॉकडाउन ने बुरी तरह प्रभावित किया है.

कुम्हारों के लिए कोई व्यवस्था नहीं

सरकार ने मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए खान-खदान में काम चालू कराया है. मनरेगा के तहत योजना क्रियान्वयन करने की घोषणा की है. लेकिन कुम्हार जाति के लोगों के लिए कोरोना वायरस को हराने और भगाने की मुहिम के दौरान कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी है. जिसके चलते इन परिवारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ परिवारों को जिनके राशन कार्ड थे उन्हें प्रशासन ने अनाज मुहैया जरूर करा दिया है लेकिन इन अनाजों को पकाने के लिए जो जरूरत के सामान चाहिए उसके लिए यह वर्ग दूसरे के सामने हाथ फैलाने को मजबूर है.

अधिकारियों का कहना है कि लॉकडाउन फेज टू में जो गाइड लाइन केंद्र सरकार ने जारी किया था उसी गाइडलाइन में लॉकडाउन फेज थ्री चलेगा और इस दौरान अगर कोई छोटी दुकान जैसे चाय-नास्ता की खोलना चाहता है तो गाइडलाइन का पालन करते हुए दुकानदार इसे खोल सकते है अन्यथा अगले आदेश तक बंद रहेंगे.

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