पाकुड़: प्रकृति की मार और सरकार की उदासीनता जिले में खरीफ फसल के बेहतर उत्पादन को प्रभावित कर रहा है. किसानों की आय दोगुनी करने और खरीफ फसलों के मामले में जिले को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार और कृषि विभाग लाख दावे कर रही है, लेकिन शायद ही वह अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएगी. क्योंकि एक ओर जहां जिले में किसानों के अनुरूप अच्छी बारिश नहीं हुई. वहीं, दूसरी ओर सरकार किसानों को धान का बीज भी अब तक मुहैया नहीं करा पाई है.
निर्धारित किए लक्ष्य को पाना मुश्किल
खराब मानसून से किसान परेशान हैं और सरकार ने भी अब तक इनकी सुध नहीं ली है. ऐसे में सरकार के उस दावे पर सवाल खड़े होते हैं जिसमें किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही गई है.
कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में 49 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान, 10 हजार 860 हेक्टेयर में मकई, 12 हजार 4 सौ हेक्टेयर में दलहन और 1 हजार 60 हेक्टेयर में तेलहनी फसलों के आच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया है. इतना ही नहीं इस वर्ष धान 193 मीट्रिक टन, मकई 21.43 मीट्रिक टन, दलहन फसल 17.26 मीट्रिक टन और तिलहनी फसलें 0.916 मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है.
समय पर बारिश नहीं होने के कारण किसान जहां धान मकई की फसलों की बुआई पूरी तरह नहीं कर पाए हैं. तो वहीं, धान के बीज नहीं मिलने के कारण किसानों को बाजारों से ऊंची कीमत पर बीज खरीदना पड़ रहा है.
सरकारी वादे एक बार फिर विफल
सरकार ने किसानों को सरकारी दर पर बीज मुहैया कराने के वादे किए थे, लेकिन धान के बीज अब तक नहीं भेजे गए हैं. इस मामले में पाकुड़ विधायक आलमगीर आलम ने कहा कि यहां के किसान भगवान भरोसे हैं. सरकार ने सिंचाई के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च किए लेकिन सिंचाई की ठोस व्यवस्था अब तक नहीं हुई. उन्होंने बताया कि विधायक निधि से कई स्थानों पर डीप बोरिंग सहित सिंचाई सुविधा मुहैया कराया गया है.
जिला कृषि पदाधिकारी एडमंड मिंज ने बताया कि बीज की डिमांड विभाग ने अप्रैल माह में ही भेज दिया था और सहकारिता विभाग को ड्राफ्ट लगाना था, लेकिन अबतक सहकारिता विभाग ने ऐसा नहीं किया है. उन्होंने बताया कि सहकारिता विभाग को दुबारा रिमाइंडर भेजा जायेगा ताकि बीज किसानों को उपलब्ध हो सके.