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'अन्नदाता' से मानसून ने की बेरुखी, सरकार ने भी नहीं ली सुध - झारखंड समाचार

समय पर बारिश नहीं होने से किसान काफी परेशान हैं, सूख रहे खेतों में बुआई करना मुश्किल हो रहा है. वहीं, सरकार ने वादे तो किए पर बीज मुहैया नहीं कराई. ऐसे में किसानों को ऊंची कीमतों पर बीज खरीदना पड़ रहा है.

मायूस किसान
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Published : Jul 18, 2019, 12:58 PM IST

पाकुड़: प्रकृति की मार और सरकार की उदासीनता जिले में खरीफ फसल के बेहतर उत्पादन को प्रभावित कर रहा है. किसानों की आय दोगुनी करने और खरीफ फसलों के मामले में जिले को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार और कृषि विभाग लाख दावे कर रही है, लेकिन शायद ही वह अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएगी. क्योंकि एक ओर जहां जिले में किसानों के अनुरूप अच्छी बारिश नहीं हुई. वहीं, दूसरी ओर सरकार किसानों को धान का बीज भी अब तक मुहैया नहीं करा पाई है.

देखें पूरी खबर

निर्धारित किए लक्ष्य को पाना मुश्किल

खराब मानसून से किसान परेशान हैं और सरकार ने भी अब तक इनकी सुध नहीं ली है. ऐसे में सरकार के उस दावे पर सवाल खड़े होते हैं जिसमें किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही गई है.

कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में 49 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान, 10 हजार 860 हेक्टेयर में मकई, 12 हजार 4 सौ हेक्टेयर में दलहन और 1 हजार 60 हेक्टेयर में तेलहनी फसलों के आच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया है. इतना ही नहीं इस वर्ष धान 193 मीट्रिक टन, मकई 21.43 मीट्रिक टन, दलहन फसल 17.26 मीट्रिक टन और तिलहनी फसलें 0.916 मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है.

समय पर बारिश नहीं होने के कारण किसान जहां धान मकई की फसलों की बुआई पूरी तरह नहीं कर पाए हैं. तो वहीं, धान के बीज नहीं मिलने के कारण किसानों को बाजारों से ऊंची कीमत पर बीज खरीदना पड़ रहा है.

सरकारी वादे एक बार फिर विफल

सरकार ने किसानों को सरकारी दर पर बीज मुहैया कराने के वादे किए थे, लेकिन धान के बीज अब तक नहीं भेजे गए हैं. इस मामले में पाकुड़ विधायक आलमगीर आलम ने कहा कि यहां के किसान भगवान भरोसे हैं. सरकार ने सिंचाई के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च किए लेकिन सिंचाई की ठोस व्यवस्था अब तक नहीं हुई. उन्होंने बताया कि विधायक निधि से कई स्थानों पर डीप बोरिंग सहित सिंचाई सुविधा मुहैया कराया गया है.

जिला कृषि पदाधिकारी एडमंड मिंज ने बताया कि बीज की डिमांड विभाग ने अप्रैल माह में ही भेज दिया था और सहकारिता विभाग को ड्राफ्ट लगाना था, लेकिन अबतक सहकारिता विभाग ने ऐसा नहीं किया है. उन्होंने बताया कि सहकारिता विभाग को दुबारा रिमाइंडर भेजा जायेगा ताकि बीज किसानों को उपलब्ध हो सके.

पाकुड़: प्रकृति की मार और सरकार की उदासीनता जिले में खरीफ फसल के बेहतर उत्पादन को प्रभावित कर रहा है. किसानों की आय दोगुनी करने और खरीफ फसलों के मामले में जिले को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार और कृषि विभाग लाख दावे कर रही है, लेकिन शायद ही वह अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएगी. क्योंकि एक ओर जहां जिले में किसानों के अनुरूप अच्छी बारिश नहीं हुई. वहीं, दूसरी ओर सरकार किसानों को धान का बीज भी अब तक मुहैया नहीं करा पाई है.

देखें पूरी खबर

निर्धारित किए लक्ष्य को पाना मुश्किल

खराब मानसून से किसान परेशान हैं और सरकार ने भी अब तक इनकी सुध नहीं ली है. ऐसे में सरकार के उस दावे पर सवाल खड़े होते हैं जिसमें किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही गई है.

कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में 49 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान, 10 हजार 860 हेक्टेयर में मकई, 12 हजार 4 सौ हेक्टेयर में दलहन और 1 हजार 60 हेक्टेयर में तेलहनी फसलों के आच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया है. इतना ही नहीं इस वर्ष धान 193 मीट्रिक टन, मकई 21.43 मीट्रिक टन, दलहन फसल 17.26 मीट्रिक टन और तिलहनी फसलें 0.916 मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है.

समय पर बारिश नहीं होने के कारण किसान जहां धान मकई की फसलों की बुआई पूरी तरह नहीं कर पाए हैं. तो वहीं, धान के बीज नहीं मिलने के कारण किसानों को बाजारों से ऊंची कीमत पर बीज खरीदना पड़ रहा है.

सरकारी वादे एक बार फिर विफल

सरकार ने किसानों को सरकारी दर पर बीज मुहैया कराने के वादे किए थे, लेकिन धान के बीज अब तक नहीं भेजे गए हैं. इस मामले में पाकुड़ विधायक आलमगीर आलम ने कहा कि यहां के किसान भगवान भरोसे हैं. सरकार ने सिंचाई के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च किए लेकिन सिंचाई की ठोस व्यवस्था अब तक नहीं हुई. उन्होंने बताया कि विधायक निधि से कई स्थानों पर डीप बोरिंग सहित सिंचाई सुविधा मुहैया कराया गया है.

जिला कृषि पदाधिकारी एडमंड मिंज ने बताया कि बीज की डिमांड विभाग ने अप्रैल माह में ही भेज दिया था और सहकारिता विभाग को ड्राफ्ट लगाना था, लेकिन अबतक सहकारिता विभाग ने ऐसा नहीं किया है. उन्होंने बताया कि सहकारिता विभाग को दुबारा रिमाइंडर भेजा जायेगा ताकि बीज किसानों को उपलब्ध हो सके.

Intro:बाइट : चुड़का मुर्मू, किसान (सिर पर पगड़ी)
बाइट : प्रेमजीत कुमार तुरी, किसान (टीशर्ट में)
बाइट : आलमगीर आलम, पाकुड़ विधायक
बाइट : एडमंड मिंज, जिला कृषि पदाधिकारी, पाकुड़

पाकुड़: प्रकृति की मार एवं सरकार की उदासिनता जिले में खरीफ फसल के बेहतर उत्पादन को प्रभावित कर रहा है। किसानो की आय दुगुनी करने, खरीफ फसलो के मामले में जिले को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार और कृषि विभाग लाख दावा कर ले परंतु इस वर्ष शायद ही वह अपने लक्ष्य को हासिल कर पायेगा, क्योंकि एक ओर जहां जिले में किसानो के अनुरूप अच्छी बारिश नही हुई है तो दुसरी ओर सरकार किसानो को धान का बीज भी अबतक मुहैया नही करा पायी है।



Body:ऐसे में यहां यह किसानो के बीच यह सवाल खड़ा हो गया है कि जब समय पर पर्याप्त बारिश नही हुई और किसानो को बीज मुहैया नही कराये गये तो सरकार और कृषि विभाग खरीफ फसल का आच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता का शत प्रतिशत लक्ष्य कैसे हासिल करेगा। कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में 49 हजार हेक्टेयर भुमि पर धान, 10 हजार 860 हेक्टेयर में मकई, 12 हजार 4 सौ हेक्टेयर में दलहनी एवं 1 हजार 60 हेक्टेयर में तेलहनी फसलो के आच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इतना ही नही इस वर्ष धान 193 मैट्रीक टन, मकई 21.43 मैट्रीक टन, दलहन फसल 17.26 मैट्रीक टन एवं तेलहनी फसले 0.़916 मैट्रीक टन उत्पादन का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है। समय पर बारिश नही होने के कारण किसान जहां धान मकई की फसलो की बुआई पूरी तरह नही कर पाये है तो धान के बीज नही मिलने के कारण किसानो को बाजारो से उची कीमत अदा कर धान का बीज खरीदना पड़ रहा है। जिले में बिते जुन माह में 213.9  एवं जुलाई माह में अबतक 910.03 मीलीमीटर बारिश हुई है। किसानो के साथ सरकार ने इस साल ऐसा मजाक किया है जो प्रधानमंत्री के किसानो के आय दुगुनी करने के सपने पर कुठाराघात के समान है ऐसा इसलिए कि सरकार ने किसानो को सरकारी दर पर बीज मुहैया कराने के लिए धान का बीज अबतक नही भेजा है और खाद पहले भेज दिया। 

पाकुड़ विधायक आलमगीर आलम ने कहा कि यहां के किसाना भगवान भरोसे है। सरकार ने सिचाई के नाम पर करोड़ो रूपये खर्च किये परंतु सिचाई की ठोस व्यवस्था नही किया। उन्होने बताया कि विधायक निधि से हमने प्रयास कर कई स्थानो पर डीप बोरिंग सहित सिचाई सुविधा मुहैया कराया है। उन्होने कहा कि सरकार किसानो के बीच तभी बीज वितरण करायेगी जब किसान धान रोपनी कर लेंगे। 



Conclusion:जिला कृषि पदाधिकारी एडमंड मिंज ने बताया कि बीज का डिमांड विभाग ने अप्रैल माह में ही भेज दिया था और सहकारिता विभाग को ड्राफ्ट लगाना था परंतु अबतक सहकारिता विभाग ने ऐसा नही किया है। उन्होने बताया कि सहकारिता विभाग को दुबारा रिमाइंडर भेजा जायेगा ताकि बीज किसानो को उपलब्ध हो सके।
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