पाकुड़: जिस देश के प्रधानमंत्री बच्चों में प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत करने के लिए खुद शिक्षक की भूमिका निभाते हो उसी देश के झारखंड राज्य के अंतिम छोर में बसे पाकुड़ जिला में राजकीय कन्या मध्य विद्यालय एक ऐसा स्कूल है जहां कक्षा 6 और 7 में अध्ययनरत बच्चे पहाड़ा और अंग्रेजी में दिन न तो लिखना जानते हैं और ना ही बोलना.
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शिक्षा की भूख जगाने वाले शिक्षकों की लापरवाही कहें या निष्क्रियता बच्चे शब्द तक लिखना नहीं जानते. यह सब पाकुड़ जिले में हो रहा है जहां के शैक्षणिक स्तर को ऊपर उठाने और कम साक्षरता दर के कलंक को धोने के लिए सरकार लाखों रुपए खर्च कर रही है.
शैक्षणिक स्तर को ऊपर उठाने के शिक्षा विभाग के प्रयास और शिक्षकों की कथित सक्रियता का भेद उस वक्त खुल गया जब जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनी देवी और जिला शिक्षा अधीक्षक दुर्गानंद झा राजकीय कन्या मध्य विद्यालय राष्ट्रीय कृमि दिवस के मौके पर क्रीमी की गोली खिलाने विद्यालय पहुंचे.
राज्य की राजधानी का नाम भी नहीं बता पाए बच्चे
शिक्षा विभाग के अधिकारी जब कक्षा 6 और 7 के बच्चों की मौखिक और लिखित रूप से जांच करने लगे तो उन्हें भी अचंभा हुआ कि आखिर शिक्षक बच्चों को किस दिशा में ले जा रहे हैं. दोनों अधिकारियों ने विद्यालय में पड़ रही छात्राओं से झारखंड राज्य की राजधानी, मुख्यमंत्री का नाम सहित पहाड़ा और अंग्रेजी में दिन का नाम पूछा लेकिन एक भी ऐसी छात्राएं नहीं मिली जो इन दोनों अधिकारियों के सवालों का जवाब दे सके.
शिक्षकों के वेतन भुगतान पर लगी रोक
विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों का लर्निंग स्तर निम्न देख दोनों अधिकारी लाल-पीले हो गए और तीन शिक्षिकाओं के वेतन भुगतान पर न केवल रोक लगा दी बल्कि एक महीने के अंदर बच्चों को शैक्षणिक स्तर बढ़ाने की हिदायत देते हुए कहा कि यदि स्थिति में सुधार नहीं पाई गई तो सेवा बर्खास्तगी भी होगी.
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वहीं, जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनी देवी ने कहा कि विभाग की ओर से ज्ञान सेतु कार्यक्रम चलाया गया. इतना ही नहीं बच्चों का लर्निंग स्तर बढ़ाने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण तक दिया गया पर इसके बावजूद ऐसी स्थिति बेहद चिंताजनक है. डीईओ ने कहा कि लर्निंग लेवल बढ़ाने के लिए और क्या किया जा सकता है इस पर काम किया जाएगा.
जिला शिक्षा अधीक्षक दुर्गानंद झा ने कहा कि कक्षा 6 और 7 के बच्चे अगर शब्द नहीं लिख सके, उन्हें पहाड़ा का ज्ञान ना हो और अंग्रेजी के दिनों की जानकारी ना हो यह दुखद स्थिति है. झा ने कहा कि एक माह के अंदर बच्चों के ज्ञान में वृद्धि नहीं पाई गई तो संबंधित शिक्षिकाओं के वेतन भुगतान पर फिलहाल रोक लगाई गई है. पर जल्द ही उनकी बर्खास्तगी को लेकर भी कदम उठाए जाएंगे.