पाकुड़: जिले के महेशपुर प्रखंड के बंकाटोला गांव में बीते दो महीने से असहाय जिंदगी जी रहे 6 आदिवासी भाई बहनों को अब मदद मिलनी शुरू हो गई है ( Tribal children are fascinated by grain in Pakur) ऐसा इसलिए कि इन 6 भाई बहनों की जिदंगी खुशहाल बनाने और इनकी शिक्षा सहित बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए जिला प्रशासन और संस्थाए मदद के लिए जो आगे आई है.
ये भी पढ़ें: पाकुड़ में पेयजल के लिए तरस रहा आदिम जनजाति पहाड़िया समाज, नहीं पहुंच रही प्रशासन की नजर
बंकाटोला गांव के स्टीफन मुर्मू और उनकी पत्नी मुंडरी टुडू के निधन के बाद उनके 12 वर्षीय पुत्री सुहागिनी मुर्मू, 10 वर्षीय मर्शिला मुर्मू, 8 वर्षीय पुर्मिला मुर्मू, 6 वर्षीय सुनील मुर्मू, 4 वर्षीय पानसुरी मुर्मू और 2 वर्षीय सूरज मुर्मू का भरन पोषण करने वाला कोई नहीं बचा. पिछले दो महीने से सुहागिनी मुर्मू मजदूरी कर किसी तरह अपने भाई बहन का भरव पोषण कर रही थी. इनके हालात इतने खराब थे कि कभी कभी इन्हे पूरे दिन खाना तक नहीं मिलता था.
जब इन बेसहारा बच्चों की बदहाली और बेबसी की जानकारी जिला प्रशासन और अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार सामाजिक न्याय आयोग को मिली तो वे मदद के लिए आगे आए. जिला प्रशासन के निर्देश पर इन बच्चों को खाने पीने का सामान मुहैया कराया गया. बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए बंदोबस्त किया गया. अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार सामाजिक न्याय आयोग के जिलाध्यक्ष प्रतिमा पांडेय सहित कई सदस्य बंकाटोला गांव पहुंचे और बेसहारा बच्चों को खाद्य सामग्री दी. इसके अलावा उन्हे हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया, प्रतिमा पांडेय ने बताया कि प्रशासन के साथ उनकी संस्था भी इन बेसहारा बच्चों को हर संभव मदद करने का काम किया जा रहा है.
इस मामले में जिला जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ चंदन ने बताया कि जैसे ही इन 6 बेसहारा बच्चों की जानकारी मिली डीसी के निर्देश पर महेशपुर बीडीओ ने राहत सामग्री भिजवाया और बच्चों को विद्यालय से जोड़ने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियो को निर्देश दिया. उन्होंने बताया कि बच्चों की स्थिति पर प्रशासन नजर बनाए हुए हैं और किसी तरह की दिक्कत होने नहीं दी जाएगी.