लोहरदगा: हम सभी ने बचपन के समय में साइकिल जरूर चलाई होगी. या हो सकता है कि आज भी साइकिल चला रहे हो, परंतु क्या आपको पता है कि साइकिल चलाने के फायदे क्या हैं. साइकिल का हमारी सेहत पर क्या असर पड़ता है. आप कहेंगे कभी इस बारे में सोचा ही नहीं. साइकल तो हमारी आम जिंदगी का हिस्सा है. समय बदलने के साथ ही साइकिल को लेकर लोगों की सोच भी बदलती चली गई. साइकल कब मोटरसाइकिल हो गई और मोटरसाइकिल कब कार, यह पता ही नहीं चला. शरीर को आराम देने के चक्कर में हम सेहत के साथ समझौता करते चले गए. फिर एक बार साइकिल का दौर शुरू हो गया है. साइकल हमारे परिवार का हिस्सा बनने लगा है.
कोरोना के बाद से ही बढ़ने लगा साइकिल का क्रेजः कोरोना का जब संक्रमण शुरू हुआ, उससे पहले साइकिल की डिमांड काफी कम थी. साइकल वही लोग चलाते थे, जो या तो पहले से ही चलाते आ रहे थे, या फिर साइकिल का इस्तेमाल अपने काम को लेकर करते थे. जब संक्रमण फैला तो लोगों को अपनी सेहत की चिंता होने लगी. डॉक्टरों ने लोगों को बताया कि इम्यूनिटी बढ़ाना बहुत जरूरी है. जो लोग स्वस्थ रहेंगे, वही संक्रमण से बच सकते हैं. अब ऐसे में लोगों को अपने स्वास्थ्य की चिंता होने लगी. लोगों ने फिर एक बार साइकिल खरीद ली. धीरे-धीरे साइकिल चलाने से उनकी सेहत पर भी असर पड़ने लगा. जिन लोगों के पास व्यायाम करने का समय नहीं था. वह लोग भी साइकल चला कर अपने शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करने लगे. धीरे-धीरे अब साइकल उनकी जिंदगी में शामिल हो गया है.
World Bicycle Day: इम्यूनिटी बूस्टर है साइकिल की सवारी, रखती है आपके दिल का ख्याल
आज विश्व साइकिल दिवस है. ऐसे में साइकिल के महत्व को जानना जरूरी है. साFकिल कैसे हमारे परिवार का अभिन्न हिस्सा है. साइकल ने लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर करने में अहम भूमिका निभाई है. आज हर उम्र और वर्ग के लोग साइकिल चलाना पसंद करते हैं. यही कारण है कि साइकिल की डिमांड भी बढ़ने लगी है.
लोहरदगा: हम सभी ने बचपन के समय में साइकिल जरूर चलाई होगी. या हो सकता है कि आज भी साइकिल चला रहे हो, परंतु क्या आपको पता है कि साइकिल चलाने के फायदे क्या हैं. साइकिल का हमारी सेहत पर क्या असर पड़ता है. आप कहेंगे कभी इस बारे में सोचा ही नहीं. साइकल तो हमारी आम जिंदगी का हिस्सा है. समय बदलने के साथ ही साइकिल को लेकर लोगों की सोच भी बदलती चली गई. साइकल कब मोटरसाइकिल हो गई और मोटरसाइकिल कब कार, यह पता ही नहीं चला. शरीर को आराम देने के चक्कर में हम सेहत के साथ समझौता करते चले गए. फिर एक बार साइकिल का दौर शुरू हो गया है. साइकल हमारे परिवार का हिस्सा बनने लगा है.
कोरोना के बाद से ही बढ़ने लगा साइकिल का क्रेजः कोरोना का जब संक्रमण शुरू हुआ, उससे पहले साइकिल की डिमांड काफी कम थी. साइकल वही लोग चलाते थे, जो या तो पहले से ही चलाते आ रहे थे, या फिर साइकिल का इस्तेमाल अपने काम को लेकर करते थे. जब संक्रमण फैला तो लोगों को अपनी सेहत की चिंता होने लगी. डॉक्टरों ने लोगों को बताया कि इम्यूनिटी बढ़ाना बहुत जरूरी है. जो लोग स्वस्थ रहेंगे, वही संक्रमण से बच सकते हैं. अब ऐसे में लोगों को अपने स्वास्थ्य की चिंता होने लगी. लोगों ने फिर एक बार साइकिल खरीद ली. धीरे-धीरे साइकिल चलाने से उनकी सेहत पर भी असर पड़ने लगा. जिन लोगों के पास व्यायाम करने का समय नहीं था. वह लोग भी साइकल चला कर अपने शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करने लगे. धीरे-धीरे अब साइकल उनकी जिंदगी में शामिल हो गया है.