लोहरदगाः नवजात और शिशु को स्वास्थ्य का बेहतर भविष्य देने के लिए टीकाकरण सबसे जरूरी है. टीकाकरण के क्षेत्र में भले ही आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में उतनी जागरूकता नहीं आ पाई है कि लोग टीकाकरण को लेकर सजग हो सकें. फिर भी लोहरदगा जैसे पिछड़े क्षेत्र में टीकाकरण की उपलब्धियों ने यह बता दिया है कि बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सुरक्षित भविष्य के लिए अब माताएं और अभिभावक सजग हो चुके हैं. लोहरदगा में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि टीकाकरण की उपलब्धियां यहां के जागरूकता की तस्वीर पेश करती हैं. बच्चों के सुरक्षित स्वास्थ्य भविष्य को लेकर अभिभावकों की जागरूकता उन्हें कई बीमारियों से बचा रही है.
इसे भी पढ़ें- भ्रष्टाचार के दलदल में दफन हो गया लोहरदगा का यह अस्पताल, करोड़ों की राशि हो गई बर्बाद
शिशु को दिए जाते हैं कई प्रकार के टीके
राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान के तहत शिशु को कई प्रकार का टीका दिया जाता है. जिसमें 9 माह से लेकर 12 माह तक की आयु में खसरा का टीका, 16 माह से 24 माह की आयु में डीपीटी का बूस्टर टीका, पोलियो का टीका, बीसीजी का टीका, टिटनेस का टीका, हेपेटाइटिस-बी का टीका, विटामिन ए की खुराक दी जाती है. इससे बच्चों को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है. ग्रामीण क्षेत्रों में सहिया, आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जाता है. जिससे कि समय पर बच्चों को टीका दिया जा सके.
लोहरदगा जिला में टीकाकरण को लेकर लोगों में जागरूकता आ रही है. नवजात से लेकर अलग-अलग उम्र में बच्चों को दिए जाने वाले टीका को लेकर माताओं में विशेष जागरूकता है. टीकाकरण केंद्र पर पहुंचकर समय पर टीका दिलवाना माताओं की प्राथमिकता में शामिल होता है. यही कारण है कि टीकाकरण के क्षेत्र में लोहरदगा जिला लगातार उपलब्धियां हासिल कर रहा है.