लोहरदगा: जिले में बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं होने से कई तरह की गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो गईं हैं. लोगों की जरूरतें और पेट पालने की मजबूरी में लोगों की जान भी जा रही है. ऐसा नहीं है कि रोक लगने के बाद बालू का उठाव नदियों के घाटों से नहीं हो रहा है. चोरी-छिपे बालू का अवैध उठाव धड़ल्ले से हो रहा है और बालू माफिया लाखों के वारे न्यारे कर रहे हैं, लेकिन इन सब के बीच पीस रहा है गरीब ट्रैक्टर चालक. नदी घाट से बालू निकालकर बेचने की भाग-दौड़ में कई बार हादसे भी हो रहे हैं.
बालू तस्करी के दौरान लगातार हो रहे हादसों को लेकर सवाल उठने लगा है कि आखिर बालू के लिए अपनी जान देने वाले लोगों की ऐसी हालत के लिए जिम्मेदार कौन है. सरकार, जिला प्रशासन या फिर हमारे नेता. बालू घाट की नीलामी यदि वैध तरीके से हो जाती, तो शायद बालू के लिए जानलेवा भागदौड़ पर विराम लग जाता. वहीं ट्रैक्टर चालक पेट पालने की मजबूरी में मौत का स्टेरिंग पकड़ने को विवश है. मालिक की बात ना सुने तो पेट भला कैसे भरे, मालिक की बात सुने तो या तो जेल या फिर जान जा सकती है.
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बालू घाट की नीलामी में देरी से मचा है कोहराम : राज्य सरकार की ओर से राज्य के कई जिलों में कुछ एक बालू घाट को शुरू किया गया है. इसके माध्यम से नदी से बालू का उठाव हो रहा है. बालू की बिक्री भी हो रही है. जिसके कारण विकास योजनाओं के साथ-साथ आम आदमी की जरूरतें भी पूरी हो रही हैं, लेकिन लोहरदगा में ऐसा नहीं है. लोहरदगा के 11 बालू घाट में बालू के उठाव पर प्रतिबंध लगा हुआ है. वजह साफ है कि यहां बालू घाट की बंदोबस्ती अब तक तक नहीं हो सकी है. जिसकी वजह से ट्रैक्टर मालिक, ट्रैक्टर चालक और बालू माफिया रात के अंधेरे में और दिन के उजाले में बालू की चोरी नदी से करते हैं.
घाटों से बालू का अवैध उठाव कर महंगे दाम पर बिक्री करते हैं. ट्रैक्टर मालिक मोटी कमाई के चक्कर में ट्रैक्टर चालकों पर दबाव बनाते हैं कि वह रात के अंधेरे में नदी से बालू निकाल कर लाएं. इसी चक्कर में कई बार पुलिस की छापेमारी भी हो जाती है. खनन विभाग भी कार्रवाई के लिए पहुंच जाता है. भागदौड़ के बीच कई बार हादसे हो जाते हैं. पिछले दिनों भी ट्रैक्टर पलटने से एक ट्रैक्टर चालक की मौत हो गई थी.
18 बालू घाटो की होनी है बंदोबस्ती: हालांकि अब खनन विभाग लोहरदगा जिले में कुल 18 स्थानों पर बालू घाट की बंदोबस्ती को लेकर प्रक्रिया शुरू करने की बात कह रहा है. इसके लिए सर्वेक्षण का काम भी पूरा हो चुका है. सर्वेक्षण का कार्य पूरा होने के बाद अब राज्य स्तर से इसकी प्रक्रिया आगे बढ़ेगी. जिसके बाद बालू की आसान तरीके से बिक्री हो सकेगी. कम से कम ऐसे में किसी बेगुनाह की जान तो नहीं जाएगी. प्रशासन, सरकार और नेताओं ने कभी भी इस भागदौड़ को लेकर समस्या का हल निकालने की कोशिश नहीं की. हालत बद से बदतर होती चली गई. परिणाम स्वरूप आज विकास योजनाएं भी प्रभावित होने लगी हैं. जल्दी ही बालू घाट की बंदोबस्ती की प्रक्रिया पूर्ण नहीं हुई तो यह स्थिति और भी चिंतनीय हो सकती है.
बालू के अवैध उठाव में लोगों की जा रही जानः लोहरदगा में बालू की चोरी की भागदौड़ बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंचत गई है. बेगुनाहों की जान तो जा ही रही है, साथ ही पुलिस की कार्रवाई लगातार चल रही है. खनन विभाग भी ऐसे मामलों में कार्रवाई कर रहा है. हालत ऐसी है कि बालू नहीं मिले तो विकास कार्य और अपना घर बनाना भी मुश्किल. बालू लाने के लिए नदी गए तो भाग दौड़ में जान भी गंवानी पड़ सकती है. लोहरदगा में बालू की चोरी और ऐसी हालत के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है.