ETV Bharat / state

लोहरदगा: पेशरार के हसीन वादियों का दीदार करने कभी पहुंचते थे हजारों पर्यटक, आज छाई है विरानगी

लोहरदगा के पेशरार प्रखंड में हर साल हजारों पर्यटक पहुंचते थे, लेकिन इस साल लॉकडाउन के कारण यहां पर्यटकों का आना बंद है, जिससे यहां के लोगों का रोजगार भी ठप पड़ा हुआ है. झरना, नदियां, पहाड़ियां और हरे-भरे जंगल पेशरार प्रखंड की पहचान हैं, जिसका दीदार करने यहां पर्यटक पहुंचते थे.

Tourists are not reaching due to lockdown in Peshrar  of Lohardaga
नहीं पहुंच रहे पर्यटक
author img

By

Published : Jun 5, 2020, 5:00 AM IST

लोहरदगा: जिले का पेशरार प्रखंड 25 सालों तक नक्सलवाद से प्रभावित रहा, लेकिन लगभग 2 साल पहले यहां से नक्सलवाद समाप्त हो चुका है, जिसके बाद से यहां पर प्रकृति का दीदार करने के पर्यटकों की भीड़ जुटने लगी थी. लोहरदगा के पेशरार की प्राकृतिक वादियों में किलकारियां गूंजती थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण विरानगी छाई हुई है. लॉकडाउन की वजह से पर्यटकों का यहां पर आना बंद है, जिससे पर्यटनस्थल से जुड़े लोगों का व्यवसाय ठप पड़ा हुआ है. हालांकि, हाल के दिनों से यहां कुछ पर्यटक पहुंचने लगे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी
पेशरार पहुंचते थे हजारों पर्यटकलोहरदगा जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर पेशरार प्रखंड स्थित है. यहां की आबादी लगभग 40 हजार है. झरना, नदियां, पहाड़ियां और हरे-भरे जंगल यहां की पहचान है. पेशरार आज तक मानवीय दखलअंदाजी से अछूता रहा है, जिसके कारण यहां की सुंदरता बनी हुई है. अरहूम नाला का बहना, जंगलों में पक्षियों की किलकारियां और झरनों से गिरते पानी की बूंदों की आवाज से यहां की सुंदरता में चार चांद लगा देती है. हर साल हजारों पर्यटक पेशरार की वादियों का दीदार करने के लिए पहुंचते थे, लेकिन आज यहां वीरानी छाई हुई है. यहां की सड़कों पर कभी सैकड़ों गाड़ियां सरपट दौड़ती थी. प्रखंड के केकरांग, लावापानी झरना, ओनेगढ़ा, दुग्गु, रोरद सहित अन्य पर्यटन स्थलों पर लोग इस लॉकडाउन में नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिसके कारण स्थानीय लोगों में निराशा है. यहां के लोगों को लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार है, जिसके बाद उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आए. लॉकडाउन के समाप्त होने के बाद यहां की वादियां गुलजार होंगी. लोग इंतजार कर रहे हैं कि मानसून में पेशरार फिर एक बार अपनी बहारों से लोगों का स्वागत करे. इसे भी पढे़ं:- लोहरदगा में दम तोड़ रही सिंचाई योजनाएं, खेतों का बुरा हाल, किसान परेशान

प्रकृति की सुंदरता के लिए प्रसिद्ध लोहरदगा जिले का पेशरार प्रखंड लॉकडाउन के कारण वीरान पड़ा हुआ है. कभी पर्यटकों से गुलजार रहने वाला पेशरार प्रखंड आज खामोश है. गिने-चुने लोग ही कभी यहां पर पहुंचकर वादियों में शोर करने की कोशिश करते हैं.

लोहरदगा: जिले का पेशरार प्रखंड 25 सालों तक नक्सलवाद से प्रभावित रहा, लेकिन लगभग 2 साल पहले यहां से नक्सलवाद समाप्त हो चुका है, जिसके बाद से यहां पर प्रकृति का दीदार करने के पर्यटकों की भीड़ जुटने लगी थी. लोहरदगा के पेशरार की प्राकृतिक वादियों में किलकारियां गूंजती थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण विरानगी छाई हुई है. लॉकडाउन की वजह से पर्यटकों का यहां पर आना बंद है, जिससे पर्यटनस्थल से जुड़े लोगों का व्यवसाय ठप पड़ा हुआ है. हालांकि, हाल के दिनों से यहां कुछ पर्यटक पहुंचने लगे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी
पेशरार पहुंचते थे हजारों पर्यटकलोहरदगा जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर पेशरार प्रखंड स्थित है. यहां की आबादी लगभग 40 हजार है. झरना, नदियां, पहाड़ियां और हरे-भरे जंगल यहां की पहचान है. पेशरार आज तक मानवीय दखलअंदाजी से अछूता रहा है, जिसके कारण यहां की सुंदरता बनी हुई है. अरहूम नाला का बहना, जंगलों में पक्षियों की किलकारियां और झरनों से गिरते पानी की बूंदों की आवाज से यहां की सुंदरता में चार चांद लगा देती है. हर साल हजारों पर्यटक पेशरार की वादियों का दीदार करने के लिए पहुंचते थे, लेकिन आज यहां वीरानी छाई हुई है. यहां की सड़कों पर कभी सैकड़ों गाड़ियां सरपट दौड़ती थी. प्रखंड के केकरांग, लावापानी झरना, ओनेगढ़ा, दुग्गु, रोरद सहित अन्य पर्यटन स्थलों पर लोग इस लॉकडाउन में नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिसके कारण स्थानीय लोगों में निराशा है. यहां के लोगों को लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार है, जिसके बाद उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आए. लॉकडाउन के समाप्त होने के बाद यहां की वादियां गुलजार होंगी. लोग इंतजार कर रहे हैं कि मानसून में पेशरार फिर एक बार अपनी बहारों से लोगों का स्वागत करे. इसे भी पढे़ं:- लोहरदगा में दम तोड़ रही सिंचाई योजनाएं, खेतों का बुरा हाल, किसान परेशान

प्रकृति की सुंदरता के लिए प्रसिद्ध लोहरदगा जिले का पेशरार प्रखंड लॉकडाउन के कारण वीरान पड़ा हुआ है. कभी पर्यटकों से गुलजार रहने वाला पेशरार प्रखंड आज खामोश है. गिने-चुने लोग ही कभी यहां पर पहुंचकर वादियों में शोर करने की कोशिश करते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.