लोहरदगाः कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को बचाने को लेकर सरकार ने देशभर में लॉकडाउन लगा रखा है. लॉकडाउन-2 के बाद अब लॉक डाउन-3 भी शुरू होने वाला है. इन सबके बीच महत्वपूर्ण बात यह है कि इंसान तो इंसान भगवान भी लॉकडाउन में हैं. भगवान का दरबार भी भक्तों के लिए बंद है.
सरकार के निर्देश पर एक महीने से भी ज्यादा समय से तमाम मंदिरों को बंद करके रखा गया है. भक्तों को मंदिर में जाने की अनुमति नहीं है. पूजा-अर्चना सिर्फ वहां के पुजारी ही कर रहे हैं. शायद ऐसा पहली बार हुआ वह की मंदिर का कपाट इतने लंबे समय तक भक्तों के लिए बंद हो गया हो. लोग भगवान से दूर हो गए हों. फिर भी जिंदगी के लिए भक्तों ने भगवान को मन में ही स्मरण करने में ज्यादा बेहतर समझा है.
कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को बचाने को लेकर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से जनता कर्फ्यू का आह्लान किया था तो किसी को भी एहसास नहीं था कि यह 1 दिन का कर्फ्यू, लॉकडाउन के रूप में इतने लंबे समय तक चलेगा. प्रधानमंत्री ने लोगों को आदत के सहारे नियमों के ट्रैक पर चलने की शिक्षा दे डाली. लॉकडाउन की वजह से इंसान तो घर में कैद हुए ही, साथ ही भगवान भी मंदिरों में भक्तों से दूर होकर एकांतवास में नजर आ रहे हैं. भक्तों के लिए मंदिरों के कपाट खोले नहीं जा रहे. पूजा-अर्चना मंदिरों के पुजारी कर रहे हैं. आसपास के लोग मंदिर पहुंचते भी है तो बाहर से प्रणाम कर उन्हें वापस लौटना पड़ता है. मजबूरी है कि लॉकडाउन के नियम का पालन करना है. सरकार के निर्देश के बाद लोहरदगा के सभी मंदिरों में ताला लटका हुआ है. शहर के ऐतिहासिक ठाकुरबाड़ी मंदिर, संकट मोचन हनुमान मंदिर, पावरगंज देवी मंदिर, काली मंदिर, अखिलेश्वर धाम, खखपरता शिव धाम सहित तमाम मंदिरों में ताला लटका हुआ है. 1 महीने से भी ज्यादा समय से भक्त भगवान के दर्शन नहीं कर पाए हैं. फिर भी लोगों को संतोष है कि सरकार ने उनकी भलाई के लिए ही इस प्रकार की कड़ाई की है. भगवान की इच्छा है कि वे लोग घरों में रहें. भगवान भी तो एकांत में समय गुजारते रहे हैं. फिर जब इंसान की बारी आई तो उस नियम को क्यों न पालन किया जाए. 1 महीने से ज्यादा समय से मंदिरों में भक्तों का जयकारा सुनाई नहीं दिया है. घंटियों की आवाज का भी मध्यम है. मधुर भक्ति गीत सुनने को नहीं मिल रहे हैं. फिर भी लोग भगवान को मन ही मन स्मरण कर इस संकट से छुटकारा दिलाने की प्रार्थना कर रहे हैं.