लोहरदगा: मिठाई का नाम सुनते ही मुंह में मीठे का अहसास हो आता है. शायद ही कोई ऐसा हो जिसे मिठाई पसंद ना हो. मिठाई के बिना ना तो खुशियों का कोई अवसर ही बीतता है और ना ही हम मुंह मीठा किए बिना रह सकते हैं. शादी-विवाह, इंगेजमेंट, जन्मदिन और कामयाबी का कोई भी पल बिना मुंह मीठा किए पूरा ही नहीं होता, तभी तो लोग कहते हैं चलो मुंह मीठा कराते हैं. जब से कोरोना संक्रमण का समय शुरू हुआ है, तब से लोग यह कहना भूल चुके हैं. मिठाई खाना तो दूर की बात, मिठाई का नाम लिए हुए ही लोगों का महीना बीतता जा रहा है.
मिठाई का स्वाद अब फीका
कोरोना संक्रमण के डर ने इंसान को इस कदर भयभीत कर दिया है कि लोग होटल तक जाना ही नहीं चाहते. यही कारण है कि होटल और मिठाई का कारोबार ठप पड़ चुका है. कभी लाखों का कारोबार आज हजारों में सिमट कर रह गया है. होटल संचालकों के लिए मिठाई बनाने वाले कारीगर और कर्मचारियों को मानदेय भुगतान करना भी मुश्किल हो चुका है. बड़ी मुश्किल से किसी तरह से जीविका चला रहे हैं. कोरोना काल ने कई होटलों को बंद भी कर दिया. मिठाई का स्वाद अब फीका हो गया.
ये भी पढ़ें- 50 करोड़ की दवा सड़ा कर बर्बाद होने के मामले पर CM ने लिया संज्ञान, पीई दर्ज करने की दी अनुमति
झेलनी पड़ी दोहरी मार
लोहरदगा के लिए तो दोहरी मार पड़ी है. 23 जनवरी 2020 को लोहरदगा में सांप्रदायिक हिंसा के बाद 2 महीने तक पूरा व्यवसाय ठप रहा. इसके बाद जब जनजीवन सामान्य होने लगी तो कोरोना संक्रमण की वजह से लॉकडाउन लग गया. धीरे-धीरे लोग इससे भी बाहर निकलने लगे तो संक्रमण के डर ने व्यवसाय पर ताले जड़ दिए. लोहरदगा शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में एक समान स्थिति है. लोहरदगा में कोरोना ने ऐसा कहर बरसाया है कि फूड आइटम पर सबसे अधिक मार पड़ी है. कुछ भी खाने से पहले लोग बेहद सतर्कता दिखाते हैं. खासकर मिठाई की खरीद और उसका स्वाद लेने वाले लोग काफी कम हो गए हैं. सब को डर लगता है कि पता नहीं कहां से संक्रमण उन्हें अपनी चपेट में ले ले. लोहरदगा में कई होटलों के बंद होने से उसके कर्मचारी बेरोजगार होकर रह गए. यह सिलसिला अब भी जारी है. सभी को इंतजार है कि स्थिति फिर एक बार सामान्य हो और वही मिठाई फिर से मुंह मीठा कराने लगे.