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BJP को है भरोसा लोहरदगा में फिर चलेगा सुदर्शन का चक्र, जानिए उनकी पूरी प्रोफाइल - लोहरदगा

बीजेपी को भरोसा है कि सुदर्शन भगत लोहरदगा से हैट्रिक लगाएंगे. सुदर्शन भगत शांत स्वभाव के हैं नेता, जानिए उनकी पूरी शख्सियत.

सुदर्शन भगत, बीजेपी
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Published : Apr 29, 2019, 8:44 AM IST

रांची/हैदराबादः लोहरदगा सीट पर बीजेपी ने एकबार फिर सुदर्शन भगत पर भरोसा जताया है. पार्टी ने उन्हें लगातार तीसरी बार अपना उम्मीदवार बनाया है. पार्टी ने को उम्मीद है कि इस बार भी वो लोहरदगा में कमल खिलाएंगे.

देखिए पूरी रिपोर्ट

सुदर्शन भगत साफ और शांत चरित्र के नेता के रूप में जाने जाते हैं. उनका जन्म 20 अक्टूबर 1969 को गुमला में हुआ था. उन्होंने स्नातक पढ़ाई की है. छात्र जीवन से ही वो वनवासी कल्याण आश्रम के माध्यम से विशेष रूप से शिक्षा और आदिवासियों के उत्थान के लिए विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में भाग लेते रहे हैं. वो छात्र जीवन में एबीवीपी में सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे. संयुक्त राज्य बिहार में संयुक्त सचिव के पद पर कार्य किया. 1995 में वो सक्रिय राजनीति में आए. गुमला जिला भाजयुमो के महासचिव बने.

साल 2000 में वो लोहरदगा विधानसभा सीट से विधायक बने. उन्हें बीजेपी सरकार में मंत्री बनाया गया. इस कार्यकाल में उन्होंने कई विभागों में अपना योगदान दिया. 2009 के चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया. पार्टी के भरोसे पर वो खरे उतरे. चुनाव जीतकर पहली बार संसद पहुंचे. उन्हें साल 2009 से 2011 तक श्रम स्थाई समिति का सदस्य बनाया गया.

2014 के लोकसभा चुनाव में फिर बीजेपी ने इन्हें फिर से टिकट दिया. उन्होंने दोबारा इस सीट पर जीत दर्ज की. मोदी सरकार में उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया. उन्हें सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का प्रभार दिया गया. बाद में इन्हें जनजातीय मामलों का राज्यमंत्री बनाया गया.


Conclusion:

रांची/हैदराबादः लोहरदगा सीट पर बीजेपी ने एकबार फिर सुदर्शन भगत पर भरोसा जताया है. पार्टी ने उन्हें लगातार तीसरी बार अपना उम्मीदवार बनाया है. पार्टी ने को उम्मीद है कि इस बार भी वो लोहरदगा में कमल खिलाएंगे.

देखिए पूरी रिपोर्ट

सुदर्शन भगत साफ और शांत चरित्र के नेता के रूप में जाने जाते हैं. उनका जन्म 20 अक्टूबर 1969 को गुमला में हुआ था. उन्होंने स्नातक पढ़ाई की है. छात्र जीवन से ही वो वनवासी कल्याण आश्रम के माध्यम से विशेष रूप से शिक्षा और आदिवासियों के उत्थान के लिए विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में भाग लेते रहे हैं. वो छात्र जीवन में एबीवीपी में सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे. संयुक्त राज्य बिहार में संयुक्त सचिव के पद पर कार्य किया. 1995 में वो सक्रिय राजनीति में आए. गुमला जिला भाजयुमो के महासचिव बने.

साल 2000 में वो लोहरदगा विधानसभा सीट से विधायक बने. उन्हें बीजेपी सरकार में मंत्री बनाया गया. इस कार्यकाल में उन्होंने कई विभागों में अपना योगदान दिया. 2009 के चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया. पार्टी के भरोसे पर वो खरे उतरे. चुनाव जीतकर पहली बार संसद पहुंचे. उन्हें साल 2009 से 2011 तक श्रम स्थाई समिति का सदस्य बनाया गया.

2014 के लोकसभा चुनाव में फिर बीजेपी ने इन्हें फिर से टिकट दिया. उन्होंने दोबारा इस सीट पर जीत दर्ज की. मोदी सरकार में उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया. उन्हें सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का प्रभार दिया गया. बाद में इन्हें जनजातीय मामलों का राज्यमंत्री बनाया गया.


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