लोहरदगा: जिले के सेन्हा प्रखंड के कुंदगढ़ी गांव की रहने वाली सोनम दुलारी को लोग डिजिटल दीदी के नाम से बुलाते हैं. डिजिटल इंडिया अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. देश को विश्व पटल पर स्थापित करने और डिजिटल साक्षरता के क्षेत्र में क्रांति लाने के मकसद से शुरू किए गए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का असर अब गांवों में भी दिखाई देने लगा है. कल तक घर की दहलीज लांघने से भी डरने वाली महिलाएं आज स्मार्टफोन चला रही हैं.
पीएम के अभियान को दी गति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत कई स्वयंसेवी संगठनों को जोड़ा गया. लोहरदगा में होप संस्था को इस कार्यक्रम को चलाने की जिम्मेदारी मिली. संस्था ने जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में ऐसी महिलाओं का चयन किया जो डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को आगे बढ़ा सकती थी. इन्हीं में से एक नाम था लोहरदगा के सेन्हा प्रखंड के कुंदगढ़ी गांव की रहने वाली सोनम दुलारी का. जिन्होंने महज माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की है. किसी ने भी नहीं सोचा था कि एक दिन सोनम अपने काम से प्रधानमंत्री को भी आकर्षित कर लेगी. सोलर लाइट और डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के प्रेजेंटेशन के लिए लोहरदगा से सोनम दुलारी का चयन झारखंड स्तर पर किया गया था. 2 अक्टूबर 2019 को सोनम दुलारी दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में झारखंड का प्रतिनिधित्व कर रही थी. इसी दौरान वहां पर अतिथि के रूप में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे थे. नरेंद्र मोदी की नजर जैसे ही सोनम दुलारी पर पड़ी, वह उसके काउंटर की ओर चल पड़े. प्रधानमंत्री को अपनी ओर आते देख कर सोनम दुलारी भी आश्चर्यचकित रह गई.
पीएम से मिलना सोनम के लिए अनमोल क्षण
पीएम से मुलाकात को सोनम अपने जीवन का सबसे अनमोल क्षण मानती हैं. प्रधानमंत्री ने सोनम दुलारी से उनका हालचाल पूछा. इसके साथ ही उनके काम के बारे में जानकारी भी ली. सोनम के काम से प्रभावित होकर प्रधानमंत्री ने कहा- इसी प्रकार से मेहनत करती रहो, जिंदगी में जरुर कामयाबी मिलेगी.आज सोनम दुलारी उन्हीं की प्रेरणा से पूरी ऊर्जा के साथ समाज को डिजिटल साक्षर बनाने में जुट गई है.
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ज्यादातर महिलाएं हैं डिजिटल साक्षर
सेन्हा प्रखंड के गांव की रहने वाली ज्यादातर महिलाएं आज स्मार्ट फोन चला रही हैं. स्मार्टफोन के फीचर्स जैसे कि यूट्यूब, वीडियो कॉलिंग, इंटरनेट सर्फिंग सहित अन्य सेवाओं का लाभ भी ले रही है. गांव की महिलाओं के लिए यह काफी कारगर सिद्ध हो रहा है. गांव के पुरुष रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेशों में रहते हैं, उनका हालचाल जानने में भी आज स्मार्टफोन उनके लिए काफी सहायक सिद्ध हो रहा है.
सरकार की योजनाओं की मिल रही जानकारी
घर की महिलाएं डिजिटल क्रांति के माध्यम से सरकार की योजनाओं के बारे में जान पाती हैं. पहले तो फोन क्या होता है यह भी यहां की महिलाओं को पता नहीं था. अब धीरे-धीरे स्मार्टफोन सहित अन्य फोन के उपयोग से यहां की महिलाओं को काफी फायदा पहुंचा है. अपने रिश्तेदारों से बात करते हुए उनका हालचाल लेने की बात हो या फिर सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी लेनी हो महिलाएं आज न सिर्फ जागरूक हैं, बल्कि उनमें जो झिझक थी, वह भी खत्म हो चुकी है. महिलाएं खुलकर कहती है कि पहले उन्हें कुछ भी नहीं आता था यह तो सोनम दुलारी की प्रेरणा है कि वह आज फोन चलाना सीख चुकी हैं.
पहले था संशय अब है आत्मविश्वास
सोनम कहती हैं कि जब वह इस अभियान के साथ जुड़ी थी तो उन्हें भी इस बात को लेकर संशय था की गांव के लोग स्मार्टफोन चलाना सीखना भी चाहेंगे या नहीं. शुरुआती दौर में गांव के लोगों ने उसका मजाक उड़ाया, कहा यह क्या काम उठा लाई है. धीरे-धीरे सोनम दुलारी ने लोगों को समझाना शुरू किया, स्मार्टफोन और क्रांति का महत्व बताया. ग्रामीणों ने उनकी बात को समझा, विशेषकर महिलाओं को समझाने में सोनम दुलारी कामयाब रही. आज गांव की औरत महिलाएं डिजिटल क्रांति के साथ जुड़ चुकी है. गांव की महिलाओं को इससे काफी फायदा भी हुआ है. यह तो सोनम दुलारी के काम का एक पहलू है.
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दूसरे कामों से भी है जुड़ाव
दूसरा पहलू यह भी है कि सोलर लाइट निर्माण में भी रुचि रखती हैं. उन्होंने सोलर लाइट बनाने को लेकर लंबे समय तक काम किया. इसका फायदा भी मिला कि वह आर्थिक रूप से सबल हो पाई. आज सोनम दुलारी गांव में महिला मंडल समूह को जोड़कर उनके काम का लेखा-जोखा भी रखती हैं. नाबार्ड संस्था के साथ मिलकर महिला मंडल समूह को रोजगार से जोड़ने को लेकर पहल कर रही हैं. इसके लिए फिलहाल महिला मंडल समूह के आंकड़ों का संग्रह किया जा रहा है. निश्चित रूप से सोनम दुलारी जैसी महिलाएं डिजिटल दीदी के नाम से एक पहचान स्थापित कर चुकी है. भारत के प्रधानमंत्री को सोनम जैसी महिलाओं से देश को जोड़ना निश्चित रूप से गौरवान्वित करेगा.
सोनम दुलारी बनी प्रेरणा
घर की महिलाएं डिजिटल क्रांति के माध्यम से सरकार की योजनाओं के बारे में जान पाती हैं. पहले तो फोन क्या होता है यह भी यहां की महिलाओं को पता नहीं था. अब धीरे-धीरे स्मार्टफोन सहित अन्य फोन के उपयोग से यहां की महिलाओं को काफी फायदा पहुंचा है. अपने रिश्तेदारों से बात करते हुए उनका हालचाल लेने की बात हो या फिर सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी लेनी हो महिलाएं आज न सिर्फ जागरूक हैं, बल्कि उनमें जो झिझक थी, वह भी खत्म हो चुकी है. महिलाएं खुलकर कहती है कि पहले उन्हें कुछ भी नहीं आता था यह तो सोनम दुलारी की प्रेरणा है कि वह आज फोन चलाना सीख चुकी हैं.