लोहरदगा: अंग्रेजी हुकूमत के दौरान 1880 के समय मे जिस तालाब का निर्माण कैदियों से सजा के तौर पर करवाया गया था. उस तालाब के दिन अब बहुरने वाले हैं. तालाब का नगर परिषद के माध्यम से निविदा के जरिए कुल 1 करोड़ 7 लाख रुपए की लागत से जीर्णोद्धार कार्य कराया जा रहा है.
इस तालाब के जीर्णोद्धार का लोगों को लगभग तीन दशक से इंतजार था. अब जाकर तालाब को एक नई पहचान मिल रही है. तालाब के नव निर्माण को लेकर कार्य प्रारंभ हो चुका है. स्थानीय लोग भी इस काम से काफी खुश हैं. सबसे पहले तालाब से मिट्टी निकाल कर इसे गहरा करने का काम किया जा रहा है. इसके बाद फाउंटेन, शौचालय, टिकट काउंटर सहित अन्य जरूरी काम भी कराए जाएंगे.
तालाब को पर्यटन के क्षेत्र में भी एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किए जाने की योजना है. संवेदक द्वारा मिट्टी हटाने के काम को 30 मई तक पूरा कर लेने की बात कही जा रही है. इसके बाद विकास से संबंधित अन्य कामों को किया जाएगा. लोहरदगा शहर की पहचान विक्टोरिया तालाब या बड़ा तालाब के रूप में ही थी. दूसरे प्रदेशों से आने वाले लोग भी इस तालाब के नाम से ही लोहरदगा को जानते थे.
गंदगी और कचरा भरने से तालाब की गहराई ही कम नहीं हुई बल्कि जल संचयन पर भी प्रभाव पड़ा था. कई प्रतिनिधियों ने तालाब के जीर्णोद्धार को लेकर वादा किया था, लेकिन अब तक काम नहीं हो पाया था. जिसके बाद अब काम प्रारंभ हुआ है. अब तालाब को एक नई पहचान ही नहीं जल संरक्षण को बढ़ावा भी मिल पाएगा.