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शरीर ने छोड़ा साथ तो दाने-दाने के लिए मोहताज हुआ पुलिस जवान का परिवार, DGP ने ली सुध

झारखंड पुलिस में तैनात एक जवान आज बेबसी की जिंदगी गुजार रहा है. पुलिस जवान लकवा और मानसिक बीमारी से परेशान हैं और वह अपने परिवार के लिए दो वक्त की भोजन तक मुहैया नहीं करा पा रहा है.

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Published : Apr 9, 2020, 12:52 PM IST

Police jawan's family facing problem in lohardaga
झारखंड पुलिस में तैनात जवान का परिवार

लोहरदगा: आम आदमी की सुरक्षा में 2 साल पहले तक तैनात रहने वाला पुलिस का जवान आज दो वक्त की रोटी भी अपने परिवार के लिए मुहैया नहीं करा पा रहा है. लाचारगी और बेबसी की जिंदगी गुजार रहा पुलिस का यह जवान दो वक्त की रोटी के लिए फरियाद लगा रहा है. वहीं, ट्विटर के माध्यम से जानकारी मिलने पर राज्य पुलिस के डीजीपी ने मामले में संज्ञान लिया और लोहरदगा पुलिस जवान के परिवार को तत्काल सहायता करने का निर्देश दिया है.

देखें पूरी खबर

लकवा और मानसिक बीमारी ने किया लाचार

बता दें कि लोहरदगा के सदर थाना अंतर्गत बाधा गांव निवासी चंद्रपाल उरांव 2 साल पहले तक झारखंड पुलिस का जवान था, या कह सकते हैं कि आज भी है. वह जमशेदपुर में कार्यरत था. अचानक से वह लकवे का शिकार हो गया. इसके बाद मानसिक बीमारी ने भी उसे घेर लिया. मजबूरी में चंद्रपाल की पत्नी बच्चों को लेकर वापस अपने गांव अपने घर आ गई. घर की जमा पूंजी धीरे-धीरे खत्म होने लगी तो दो वक्त की रोटी के लिए भी परेशानी खड़ी हो गई. पहले तो बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे, बाद में उन बच्चों की पढ़ाई भी छूट गई. फिलहाल बच्चे घर में ही हैं.

Police jawan's family facing problem in lohardaga
ट्वीट

वेतन नहीं मिलने के कारण परिवार दाने-दाने के लिए मोहताज

2 साल से वेतन नहीं मिलने की वजह से पूरा परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया है. चंद्रपाल उरांव की समस्या की जानकारी होने पर एक व्यवसाई ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झारखंड पुलिस को ट्वीट किया था. इस मामले में डीजीपी एमवी राव के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय ने संज्ञान लेते हुए तत्काल लोहरदगा पुलिस को पुलिस के जवान को सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. इसके बाद लोहरदगा पुलिस ने चंद्रपाल उनके घर पहुंच कर उसे खाद्यान्न उपलब्ध कराया.

ये भी देखें- हजारीबागः कोरोना पॉजिटिव मरीज की हालत में हो रहा सुधार, जिले में 18,093 लोगों की गई है स्कैनिंग

पीड़ित परिवार को तत्कालिक खाद्यान्न कराया उपलब्ध

इसके अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष रंथु उरांव ने भी पीड़ित परिवार को खाद्यान्न और सहयोग उपलब्ध कराते हुए पहल की. हालांकि इस तत्कालिक सहायता से चंद्रपाल और आपके परिवार की समस्या कुछ हद तक तो कम हुई है लेकिन आगे की समस्याएं अब भी कायम है. जब तक चंद्रपाल उरांव को वेतन नहीं मिलता है, तब तक उसकी समस्याएं हल नहीं हो सकती है. परिवार के सदस्यों को भी ठीक से पता नहीं कि विभाग आखिर वेतन क्यों नहीं दे रही है.

लोहरदगा: आम आदमी की सुरक्षा में 2 साल पहले तक तैनात रहने वाला पुलिस का जवान आज दो वक्त की रोटी भी अपने परिवार के लिए मुहैया नहीं करा पा रहा है. लाचारगी और बेबसी की जिंदगी गुजार रहा पुलिस का यह जवान दो वक्त की रोटी के लिए फरियाद लगा रहा है. वहीं, ट्विटर के माध्यम से जानकारी मिलने पर राज्य पुलिस के डीजीपी ने मामले में संज्ञान लिया और लोहरदगा पुलिस जवान के परिवार को तत्काल सहायता करने का निर्देश दिया है.

देखें पूरी खबर

लकवा और मानसिक बीमारी ने किया लाचार

बता दें कि लोहरदगा के सदर थाना अंतर्गत बाधा गांव निवासी चंद्रपाल उरांव 2 साल पहले तक झारखंड पुलिस का जवान था, या कह सकते हैं कि आज भी है. वह जमशेदपुर में कार्यरत था. अचानक से वह लकवे का शिकार हो गया. इसके बाद मानसिक बीमारी ने भी उसे घेर लिया. मजबूरी में चंद्रपाल की पत्नी बच्चों को लेकर वापस अपने गांव अपने घर आ गई. घर की जमा पूंजी धीरे-धीरे खत्म होने लगी तो दो वक्त की रोटी के लिए भी परेशानी खड़ी हो गई. पहले तो बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे, बाद में उन बच्चों की पढ़ाई भी छूट गई. फिलहाल बच्चे घर में ही हैं.

Police jawan's family facing problem in lohardaga
ट्वीट

वेतन नहीं मिलने के कारण परिवार दाने-दाने के लिए मोहताज

2 साल से वेतन नहीं मिलने की वजह से पूरा परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया है. चंद्रपाल उरांव की समस्या की जानकारी होने पर एक व्यवसाई ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झारखंड पुलिस को ट्वीट किया था. इस मामले में डीजीपी एमवी राव के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय ने संज्ञान लेते हुए तत्काल लोहरदगा पुलिस को पुलिस के जवान को सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. इसके बाद लोहरदगा पुलिस ने चंद्रपाल उनके घर पहुंच कर उसे खाद्यान्न उपलब्ध कराया.

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पीड़ित परिवार को तत्कालिक खाद्यान्न कराया उपलब्ध

इसके अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष रंथु उरांव ने भी पीड़ित परिवार को खाद्यान्न और सहयोग उपलब्ध कराते हुए पहल की. हालांकि इस तत्कालिक सहायता से चंद्रपाल और आपके परिवार की समस्या कुछ हद तक तो कम हुई है लेकिन आगे की समस्याएं अब भी कायम है. जब तक चंद्रपाल उरांव को वेतन नहीं मिलता है, तब तक उसकी समस्याएं हल नहीं हो सकती है. परिवार के सदस्यों को भी ठीक से पता नहीं कि विभाग आखिर वेतन क्यों नहीं दे रही है.

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