लोहरदगा: जिले में अवैध हथियारों के साथ अपराधी पकड़े तो जा रहे हैं, लेकिन पुलिस इन हथियारों के सौदागरों को पकड़ नहीं पा रही है. इस बारे में जब पुलिस अधिकारियों से पूछा जाता है तो वे सवालों पर टालमटोल करने लगते हैं. पिछले कुछ दिनों पहले ही दो अपराधियों को हथियार के साथ पुलिस ने पकड़ा था. दोनों अपराधी पीएलएफआई उग्रवादी संगठन के बताए गए. लेकिन उनके पास अवैध हथियार कहां से आए, इसका जवाब पुलिस पता नहीं कर सकी.
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दरअसल, अक्सर इस प्रकार की घटनाएं सुनने को मिलती है कि अपराधियों ने हथियार के दम पर लूट की घटना को अंजाम दे दिया या फिर किसी की गोली मारकर हत्या कर दी गई. ज्यादातर मामलों में अवैध हथियारों का इस्तेमाल होता है. कई बार पुलिस अपराधियों को अपराध की घटना को अंजाम देने से पहले ही हथियार के साथ पकड़ लेती है. महत्वपूर्ण बात यह है कि आखिर अपराधियों तक अवैध हथियार कहां पर और कैसे पहुंच रहा है. अवैध हथियारों के सौदागर क्यों पकड़े नहीं जा रहे? यह आज भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है.
एक साल में जब्त हुए हैं 10 हथियार: लोहरदगा पुलिस ने पिछले एक साल के अंदर सिर्फ और सिर्फ अपराधियों के पास से कई हथियार जब्त किए हैं. उग्रवादियों के पास से जब्त किए गए हथियारों को मिला दिया जाए तो यह संख्या सैकड़ों में चली जाती है, लेकिन, यहां पर बात हम सिर्फ अपराधियों के पास से बरामद हथियारों की ही करते हैं. लोहरदगा पुलिस ने अलग-अलग थाना क्षेत्र से पिछले एक साल के दौरान अवैध हथियारों के मामले में कार्रवाई करते हुए कुल दस अवैध हथियार जब्त किए हैं. जिसमें सात पिस्टल और तीन देसी कट्टा शामिल है. इसके अलावा पुलिस ने 61 गोलियां भी बरामद की है. साथ ही विस्फोटक भी बरामद किए गए हैं.
सवालों का जवाब देने से कतराते हैं पुलिस अधिकारी: पुलिस हर बार अपराधियों को तो पकड़ लेती है, लेकिन अपराधियों तक हथियार पहुंचाने वाले लोग कभी नहीं पकड़े जाते. पुलिस अधिकारी भी इन सवालों का जवाब देने से कतराते हैं. जब्त पुलिस अधिकारियों से इस तरह के सवाल किए जाते हैं तो वह बात को घुमाने की कोशिश करते हैं. दरअसल इसके पीछे वजह यह है कि हथियारों के सौदागर तक पहुंच पाना पुलिस के लिए बेहद मुश्किल है. हथियारों का सप्लायर का यह गिरोह इतना सशक्त है कि एक-व्यक्ति को दूसरे के बारे में भी कोई जानकारी नहीं होती है.