लोहरदगाः जिले के सेन्हा प्रखंड के गांव के निवासी मुमताज अंसारी के अचार की चर्चा जिले में हर जगह होती है. उन्होंने 2008 में 35 हजार की लागत से अचार बनाने का व्यवसाय शुरू किया. शुरुआती दौर में कुछ परेशानियां तो आईं लेकिन बाद में धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य होता चला गया. लोग अब मुमताज अंसारी के अचार की खूब डिमांड करते हैं.
बड़ी कंपनियों को देते हैं टक्कर
अचार व्यवसाय में कई बड़ी कंपनियां जुड़ी हुई हैं. इन कंपनियों से अपनी मेहनत और सपनों के दम पर टक्कर ले रहे मुमताज के अचार का स्वाद ही अलग है. इनके अचार में सपनों और परिश्रम का मसाला मिला हुआ है. तभी तो दूर-दूर से लोग यहां आकर इनके बनाए अचार खरीद कर ले जाते हैं. उनके अचार का स्वाद हर कोई लेना चाहता है. इनका पूरा परिवार अचार बनाने का ही काम करता है. इसी से इनकी रोजी रोटी चलती है.
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हर लोगों का है पसंदीदा
मुमताज के अचार का स्वाद ऐसा है कि कोई उनकी जात नहीं पूछता, बल्कि उनसे अचार की रेसिपी पूछते हैं. आज जहां जाति, धर्म, समुदाय के नाम पर लोग मनमुटाव कर रहे हैं, वहीं मुमताज अंसारी जैसे लोग अपनी मेहनत और लगन के दम पर इसे पाटने का काम कर रहे हैं. उनके अचार के हर धर्म और समुदाय के लोग मुरीद हैं. क्या हिंदू, क्या मुस्लिम, क्या आदिवासी हर कोई उनके अचार के स्वाद को याद करता है. जरूरत के हिसाब से वो सबके घरों में घूम-घूम कर आचार पहुंचाने का काम भी करते हैं. हर कोई इनके अचार के स्वाद का मुरीद है. मुमताज अंसारी भी बड़े गर्व से कहते हैं कि उनके अचार को कभी भी धर्म के नाम पर चखा नहीं गया है, बल्कि हर कोई अचार के स्वाद का कायल है. विधायक, प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी, आम और खास लोग हर कोई उनके यहां के अचार को पसंद करता है.
साल 2008 में की शुरुआत
मुमताज अंसारी पहले कारपेंटर का काम करते थे. जब इस काम में उन्हें सफलता नहीं मिली तो साल 2008 में 35 हजार की लागत से अचार बनाने का व्यवसाय शुरू किया. शुरुआती दौर में कुछ परेशानियां आईं पर बाद में धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य होता चला गया. लोग अब उनके अचार की खूब डिमांड करते हैं. मुमताज घर में अचार बनाने का काम करते हैं, जबकि सेन्हा के अरु चौक में उनका गोडाउन है. इसके अलावा गांव-गांव घूमकर भी अचार की बिक्री करते हैं. इस काम में पूरा परिवार उनका साथ देता है. इसी काम से होने वाली आमदनी से आज उनके परिवार का भरण पोषण हो रहा है.