लोहरदगा: भीषण गर्मी में लोग पेयजल संकट से जूझ रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों को दूर दूर तक पानी को लेकर भटकना पड़ रहा है. हालांकि, राज्य सरकार ने पीने के पानी की समस्या को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति योजना की शुरुआत की. योजना को धरातल पर भी उतारा गया. लेकिन योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है.
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मुख्यमंत्री नल जल योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 540 सोलर बोरिंग लगाया गया. एक बोरिंग को 4.20 लाख रुपये की लागत से लगाया गया. जिन एजेंसी ने बोरिंग और सोलर प्लेट लगाया, उसे पांच सालों तक देखरेख की भी जिम्मेदारी दी गई. लेकिन बोरिंग लगने के दो साल के भीतर ही ज्यादातर बोरिंग खराब हो गये हैं. स्थिति यह है कि कहीं सोलर खराब है, तो कहीं कंट्रोल पैनल और कहीं जल स्तर नीचे चले जाने की वजह से बोरिंग पानी नहीं दे रहा है. इससे आमलोग पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. परेशान लोग संबंधित एजेंसियों के साथ साथ विभागीय अधिकारियों से शिकायत भी कर रहे हैं. लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है.
वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 6800 हैंडपंप और बड़ी सोलर बोरिंग बेकार पड़े है. कई स्थानों पर जलमीनार भी बनाये गये हैं, जो खराब है. हैंडपंप की मरम्मत को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. स्थिति यह है कि जिले के 353 गांवों में रहने वाले लोगों को शुद्ध पेयजल की सुविधा नहीं मिल रही है. हालांकि, विभाग की ओर से बोरिंग और हैंडपंप की मरम्मत करने का दावा किया जा रहा है. लेकिन हकीकत कुछ और ही है.
ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं ठप पड़ी हुई है. स्थिति यह है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है. विभाग की ओर से लोगों को बेहतर पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित कराने पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. वहीं, एजेंसियां भी सेवा शर्तों को नजरअंदाज कर रही है. इसका खामियाजा आमलोगों को उठाना पड़ रहा है.