लोहरदगा: कोरोना वायरस की वजह से अन्य चीजों के साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई भी बाधित हो गई. कई महीनों से स्कूल बंद हैं. डिजिटल क्लास के माध्यम से ऑनलाइन कक्षाएं लेते हुए इस पढ़ाई की भरपाई करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत में यह पूरी तरह से सफल होता दिखाई नहीं देता है. कुल मिलाकर खेल में बच्चों का समय बर्बाद हो रहा है. इसी को लेकर जिले में अभिभावकों ने सरकार से सशर्त स्कूल खोलने की मांग की है, जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो.
लोहरदगा जिले में 797 स्कूल में 70 हजार बच्चे नामांकित हैं. ज्यादातर विद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में है. बच्चों की पढ़ाई बंद होने से अभिभावकों की चिंता भी बढ़ी हुई है. अब तो अभिभावक और शिक्षक सभी चाहते हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, सेनेटाइजेशन आदि की प्रक्रिया के साथ स्कूल खोले जाएं, जिससे कि बच्चों की पढ़ाई की भरपाई हो सके.
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लोहरदगा जिले में 797 विद्यालय
लोहरदगा जिले में शहर से लेकर गांव तक 797 विद्यालय संचालित हैं, जिसमें भंडरा प्रखंड में 106, कैरो प्रखंड में 97, किसको प्रखंड में 115, कुडू प्रखंड में 139, लोहरदगा प्रखंड में 166, पेशरार प्रखंड में 97 और सेन्हा प्रखंड के 117 विद्यालय शामिल हैं. इन स्कूलों में 70 हजार विद्यार्थी नामांकित है. संक्रमण की वजह से स्कूल बंद पड़े हुए हैं. सरकारी और निजी स्कूलों के बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है.
सशर्त स्कूल खोलने की मांग
अभिभावकों का साफ तौर पर कहना है कि सरकार सुरक्षा के तमाम उपायों को लागू करे और स्कूल खोलें. स्कूल न खुलने से बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है. सरकार को परिस्थितियों को देखते हुए अब स्कूलों को खोलने को लेकर पहल करनी चाहिए. लंबे समय तक विद्यालय बंद रहने से पढ़ाई को लेकर बच्चों की रुचि भी कम हो जाएगी. एक बार समय गया तो उसे लौटाना मुश्किल हो जाएगा. शिक्षक भी कहते हैं कि सरकार सभी बिंदुओं पर समीक्षा करते हुए स्कूल खोल दें, जिससे बच्चों की पढ़ाई सुचारू हो सके.