लोहरदगा: लोहरदगा कृषि प्रधान जिला है. यहां पर खेती के सहारे ही किसानों के अरमान जुड़े हैं. लोहरदगा में अब तक औसत से काफी कम बारिश हुई है. वर्ष 2023 में भी मौसम बेईमान नजर आ रहा है. पिछले वर्ष भी कम बारिश की वजह से धान की खेती काफी कम हुई थी. वहीं इस वर्ष भी जिस तरीके से अब तक मौसम का मिजाज है उससे ऐसा लग रहा है कि मौसम इस वर्ष भी किसानों को दगा दे जाएगा. लोहरदगा में धनरोपणी की स्थिति किसानों के सपनों को तोड़ रही है.
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अब तक दो प्रतिशत भी धनरोपणी नहींः लोहरदगा कृषि विभाग द्वारा खरीफ 2023 के लिए कुल 80875 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य तय किया गया है. जिसमें से 47000 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य है. लेकिन कम बारिश की वजह से जिले में अब तक दो प्रतिशत भी धनरोपणी नहीं हो पाई है. लोहरदगा में पिछले साल भी बारिश की कुछ ऐसी ही स्थिति थी. जिसका असर यह हुआ था कि पिछले साल भी धान की खेती न के बराबर हुई थी.
अब तक मात्र 67.3 मिमी ही लोहरदगा में हुई बारिशः वर्ष 2023 में जुलाई के महीने में 22 जुलाई तक मात्र 67.3 मिमी ही बारिश हो पाई है. जबकि जुलाई के महीने में सामान्य वर्षापात 305 मिमी है. कम बारिश के कारण लोहरदगा जिले में धान का आच्छादन अब तक मात्र 1.30 प्रतिशत ही हो पाया है, जबकि खरीफ का कुल आच्छादन 7.59 प्रतिशत है. हर साल 15 जुलाई तक जिले में धनरोपणी का कार्य अमूमन खत्म कर लिया जाता है, लेकिन इस बार 22 जुलाई तक खेत परती पड़े हुए हैं. खेतों में पर्याप्त पानी जमा नहीं हो पाने की वजह से किसान धनरोपणी नहीं कर पा रहे हैं.
वर्ष 2022 में भी बुरे थे हालातः लोहरदगा जिले में वर्ष 2022 में भी बारिश और खेती के हालात कुछ ऐसे ही थे. 22 जुलाई 2022 तक महज 82.1 मिमी बारिश दर्ज की गई थी. सामान्य से कम बारिश की वजह से खेती प्रभावित हुई थी. कम बारिश के कारण लोहरदगा जिले में वर्ष 2022 में खरीफ का कुल आच्छादन 55.26 प्रतिशत ही हो पाया था. जबकि जिले में धान का आच्छादन साल 2022 में महज 64.94 प्रतिशत ही हो पाया था. कुल मिलाकर देखा जाए तो साल 2022 में भी जुलाई के महीने में मौसम कुछ यूं ही दगा दे गया था. साल 2023 में भी कुछ ऐसे ही हालात हैं. ऐसे में अगर आने वाले दो-चार दिनों में बारिश नहीं होती है तो फिर खेती कर पाना किसानों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाएगा.
किसान धैर्य रखें और वैकल्पिक खेती पर ध्यान देंः इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी शिवपूजन राम ने कहा कि किसान पटवन कर धनरोपणी कर सकते हैं. हालांकि किसानों को कुछ दिन और इंतजार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार की योजना के तहत वैकल्पिक खेती पर भी जोर दिया जा रहा है. किसानों को मोटे अनाज की खेती पर भी ध्यान देना चाहिए. दलहन और तिलहन की खेती भी प्राथमिकता में होनी चाहिए. मोटे अनाज और वैसी फसलों की खेती करना ज्यादा बेहतर है, जो कम बारिश में भी हो जाते हैं. किसानों के लिए फिलहाल धैर्य रखने का वक्त है. सरकार बारिश की स्थिति को लेकर चिंतित है. साथ ही वैकल्पिक खेती पर भी ध्यान दे रही है.
लोहरदगा में अब तक दो प्रतिशत भी धनरोपणी नहींः लोहरदगा जिले में कम बारिश के कारण धान के साथ-साथ खरीफ की खेती काफी ज्यादा प्रभावित हो रही है. अब तक दो प्रतिशत भी धनरोपणी नहीं हो पाई है. वहीं जुलाई में बारिश की स्थिति बेहद खराब है. मौसम का मिजाज किसानों की चिंता को बढ़ा रहा है. साल 2022 में भी बारिश और खेती की कुछ ऐसी ही स्थिति थी.