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लोहरदगा में ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था हुई फेल, महज 32 प्रतिशत बच्चे ऑनलाइन क्लास में हुए शामिल

लोहरदगा में ऑनलाइन कक्षाओं की स्थिति बेहद खराब रही है. जिले में महज 32.39 प्रतिशत बच्चे ही ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से शिक्षा से जुड़े रह पाए. शेष बच्चों तक शिक्षक पहुंच नहीं पाए. कोरोना संक्रमण की वजह से स्कूल नहीं खुलने और ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से बच्चों के पढ़ाई की निर्भरता अभिभावकों को परेशान कर रही है. कहीं मोबाइल नेटवर्क की समस्या तो कहीं स्मार्टफोन ना होने की परेशानी.

Online class arrangement failed in Lohardaga
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Published : Nov 7, 2020, 12:22 PM IST

लोहरदगा: कोरोना संक्रमण की वजह से सरकार ने बच्चों की पढ़ाई जारी रखने को लेकर ऑनलाइन कक्षाओं का रास्ता चुना. कोरोना काल में कोशिश की गई कि ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से बच्चों की कक्षाएं ली जाएं. इसके लिए सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को भी अलग-अलग ग्रुप के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने को कहा गया. इस सिलसिले में लोहरदगा जिले के 502 सरकारी स्कूल के 71,427 हजार नामांकित बच्चों तक ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पहुंचना आसान नहीं था. जिले में यह व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो गई.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-झारखंड में सीबीआई की नो एंट्री पर बोले सीएम, राज्य को बचाना हमारा कर्तव्य, इस पर आश्चर्य क्यों

लोहरदगा में शिक्षा विभाग के आंकड़ें बताते हैं कि महज 32.39 प्रतिशत बच्चे ही ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हो पाए. सुदूरवर्ती क्षेत्रों में तो बेहद खराब स्थिति रही. किसी के पास स्मार्टफोन नहीं है तो किसी क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क की समस्या है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई होती भी तो कैसे. स्कूल बंद हैं, ऑनलाइन कक्षाओं में बच्चे शामिल नहीं हो पा रहे हैं. बच्चों का पूरा एक साल बर्बाद होता नजर आ रहा है. अभिभावकों की चिंता बढ़ चुकी है.

कई शिक्षक व्हाट्सएप ग्रुप तक नहीं बना पाए

ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर सुदूरवर्ती क्षेत्रों में सबसे ज्यादा बुरा हाल रहा. लोहरदगा जिले में 502 सरकारी स्कूलों में नामांकित 71427 विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए 1772 सरकारी शिक्षक हैं, जिसमें से 72 सरकारी शिक्षक व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े हुए नहीं हैं, जबकि 483 शिक्षकों की ओर से व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण भी किया गया. इसके माध्यम से बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई. शिक्षा विभाग के आंकड़ें बता रहे हैं कि महज 32.39 प्रतिशत बच्चे ही ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से जुड़ पाए.

सुदूरवर्ती क्षेत्रों में सबसे बुरा हाल

जिले के सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ऑनलाइन कक्षाओं का सबसे ज्यादा बुरा हाल है. लोहरदगा जिले के सुदूरवर्ती पेशरार प्रखंड में महज 12.56 प्रतिशत बच्चे ही ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से जुड़ पाए, जबकि लोहरदगा जिले के भंडरा प्रखंड में 33.31 प्रतिशत बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से जुड़े. कैरो प्रखंड में यह आंकड़ा 34.05 प्रतिशत रहा. वहीं, किस्को प्रखंड में 30.32 प्रतिशत बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से अपनी पढ़ाई को जारी रख पाए. कुड़ू प्रखंड में 36.95 प्रतिशत बच्चों तक ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से शिक्षक पहुंच पाए. वहीं, सदर प्रखंड में 31.73 प्रतिशत बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से अपनी पढ़ाई को जारी रख पाए हैं. सेन्हा प्रखंड में 36.84 प्रतिशत बच्चों तक शिक्षक ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से जुड़े रहे.

लोहरदगा: कोरोना संक्रमण की वजह से सरकार ने बच्चों की पढ़ाई जारी रखने को लेकर ऑनलाइन कक्षाओं का रास्ता चुना. कोरोना काल में कोशिश की गई कि ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से बच्चों की कक्षाएं ली जाएं. इसके लिए सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को भी अलग-अलग ग्रुप के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने को कहा गया. इस सिलसिले में लोहरदगा जिले के 502 सरकारी स्कूल के 71,427 हजार नामांकित बच्चों तक ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पहुंचना आसान नहीं था. जिले में यह व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो गई.

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लोहरदगा में शिक्षा विभाग के आंकड़ें बताते हैं कि महज 32.39 प्रतिशत बच्चे ही ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हो पाए. सुदूरवर्ती क्षेत्रों में तो बेहद खराब स्थिति रही. किसी के पास स्मार्टफोन नहीं है तो किसी क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क की समस्या है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई होती भी तो कैसे. स्कूल बंद हैं, ऑनलाइन कक्षाओं में बच्चे शामिल नहीं हो पा रहे हैं. बच्चों का पूरा एक साल बर्बाद होता नजर आ रहा है. अभिभावकों की चिंता बढ़ चुकी है.

कई शिक्षक व्हाट्सएप ग्रुप तक नहीं बना पाए

ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर सुदूरवर्ती क्षेत्रों में सबसे ज्यादा बुरा हाल रहा. लोहरदगा जिले में 502 सरकारी स्कूलों में नामांकित 71427 विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए 1772 सरकारी शिक्षक हैं, जिसमें से 72 सरकारी शिक्षक व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े हुए नहीं हैं, जबकि 483 शिक्षकों की ओर से व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण भी किया गया. इसके माध्यम से बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई. शिक्षा विभाग के आंकड़ें बता रहे हैं कि महज 32.39 प्रतिशत बच्चे ही ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से जुड़ पाए.

सुदूरवर्ती क्षेत्रों में सबसे बुरा हाल

जिले के सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ऑनलाइन कक्षाओं का सबसे ज्यादा बुरा हाल है. लोहरदगा जिले के सुदूरवर्ती पेशरार प्रखंड में महज 12.56 प्रतिशत बच्चे ही ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से जुड़ पाए, जबकि लोहरदगा जिले के भंडरा प्रखंड में 33.31 प्रतिशत बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से जुड़े. कैरो प्रखंड में यह आंकड़ा 34.05 प्रतिशत रहा. वहीं, किस्को प्रखंड में 30.32 प्रतिशत बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से अपनी पढ़ाई को जारी रख पाए. कुड़ू प्रखंड में 36.95 प्रतिशत बच्चों तक ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से शिक्षक पहुंच पाए. वहीं, सदर प्रखंड में 31.73 प्रतिशत बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से अपनी पढ़ाई को जारी रख पाए हैं. सेन्हा प्रखंड में 36.84 प्रतिशत बच्चों तक शिक्षक ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से जुड़े रहे.

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