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उत्तराखंड में लोहरदगा के 9 मजदूर हैं लापता, परिजन मांग रहे सलामती की दुआ - लोहरदगा के मजदूर उत्तराखंड में लापता

लोहरदगा के 9 मजदूर उत्तराखंड में हुए ग्लेशियर हादसे में लापता है. इन मजदूरों के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. परिजन हर जगह गुहार लगा रहे हैं कि मजदूरों की सकुशल बरामदगी की खबर मिले. हालांकि अब तक कुछ भी अच्छी खबर सुनने के लिए नहीं मिली है. गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है. परिजनों की आंखों से नींद गायब है.

nine workers of lohardaga missing in uttarakhand
परिजन
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Published : Feb 9, 2021, 9:44 AM IST

Updated : Feb 9, 2021, 10:12 AM IST

लोहरदगा: उत्तराखंड में काम करने गए जिले के 9 मजदूर ग्लेशियर हादसे के बाद से लापता हैं. लापता मजदूरों के परिजनों की आंखों की नींद उड़ी हुई है. परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. हर समय ऊपर वाले से मजदूरों की सकुशल बरामदगी को लेकर दुआ कर रहे हैं. जिनके बेटे लापता हैं, उनका शरीर साथ नहीं दे रहा है. हाथ-पांव कांप रहे हैं. अब तक लापता मजदूरों के बारे में कोई पता नहीं चल पाया है.

देखें पूरी खबर
कौन-कौन से मजदूर हैं लापतालापता मजदूरों में बेटहठ पंचायत के महुरांग टोली निवासी कर्मदास भगत का पुत्र विक्की भगत, चोरटांगी गांव निवासी मनोज बाखला का पुत्र ज्योतिष बाखला, संतोष बाखला का पुत्र मजनू बाखला, नवीन बाखला का पुत्र उर्बनुष बाखला, प्रकाश बाखला का पुत्र सुनील बाखला, प्रकाश बाखला का पुत्र नेमहस बाखला, बिरिया उरांव का पुत्र रविंद्र उरांव, रामकिशुन उरांव का पुत्र दीपक कुजूर, बगड़ू पंचायत के जामुन टोली निवासी बंधन उरांव का पुत्र प्रेम उरांव शामिल है.जिला प्रशासन ने स्थानीय प्रशासन से किया संपर्कजिला प्रशासन की ओर से देहरादून प्रशासन, गृह मंत्रालय, आपदा प्रबंधन विभाग, उत्तराखंड के मुख्य सचिव और एनटीपीसी से संपर्क किया गया है. डीसी दिलीप कुमार टोप्पो का कहना है कि उपरोक्त अधिकारियों से संपर्क करते हुए पूरी स्थिति से अवगत कराया गया है. फिलहाल अब तक लापता मजदूरों के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया है.23 जनवरी को उत्तराखंड गए थे मजदूरलापता सभी नौ मजदूर विगत 23 जनवरी 2021 को उत्तराखंड गए थे. लापता मजदूरों में से विक्की भगत की मुलाकात पिछले साल जम्मू के एक व्यक्ति से शिमला में हुई थी. वह व्यक्ति फिलहाल उत्तराखंड के एनटीपीसी हाइड्रो प्रोजेक्ट में काम कर रहा था. उसने जनवरी में विक्की से संपर्क करते हुए कुछ मजदूरों को लेकर उत्तराखंड बुलाया था. जिसके बाद विक्की ने अपने साथ आठ अन्य मजदूरों को लेकर विगत 23 जनवरी को उत्तराखंड के लिए रवाना हुआ था. सभी ट्रेन के माध्यम से उत्तराखंड के लिए रवाना हुए थे. सभी मजदूर 25 जनवरी को उत्तराखंड पहुंचे थे.मजदूरों की परिजनों से हुई थी बातउत्तराखंड में लापता हुए मजदूरों में से कई मजदूरों की अपने परिजनों से बात हुई थी. प्रकाश बाखला के पुत्र सुनील बाखला ने घटना के दिन रविवार को सुबह 9:42 पर अपने भाई सेवक बाखला को फोन किया था. उसने कहा था कि नेमहस, दीपक और उर्बनुष टनल के अंदर गए हुए हैं. शेष सभी बाहर हैं और जल्द ही टनल के अंदर काम करने के लिए जाने वाले हैं. इसके बाद सुनील की घर में किसी से बात नहीं हुई.

ये भी पढ़े- झारखंड को मिल सकती है एक और स्टेडियम की सौगात, बोकारो में 20 एकड़ जमीन चिन्हित

ज्योतिष बाखला ने गांव की ही एक लड़की दीपिका को विगत 6 फरवरी को शाम 7:30 बजे फोन किया था. उसने कहा था कि यहां सब कुछ ठीक-ठाक है और वह लोग खाना बनाने की तैयारी कर रहे हैं. जबकि दीपक कुजूर ने अपनी मां को पांच फरवरी को फोन किया था. उसने अपना हाल-चाल बताया और कहा कि यहां ठीक से काम चल रहा है. किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है.

लोहरदगा: उत्तराखंड में काम करने गए जिले के 9 मजदूर ग्लेशियर हादसे के बाद से लापता हैं. लापता मजदूरों के परिजनों की आंखों की नींद उड़ी हुई है. परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. हर समय ऊपर वाले से मजदूरों की सकुशल बरामदगी को लेकर दुआ कर रहे हैं. जिनके बेटे लापता हैं, उनका शरीर साथ नहीं दे रहा है. हाथ-पांव कांप रहे हैं. अब तक लापता मजदूरों के बारे में कोई पता नहीं चल पाया है.

देखें पूरी खबर
कौन-कौन से मजदूर हैं लापतालापता मजदूरों में बेटहठ पंचायत के महुरांग टोली निवासी कर्मदास भगत का पुत्र विक्की भगत, चोरटांगी गांव निवासी मनोज बाखला का पुत्र ज्योतिष बाखला, संतोष बाखला का पुत्र मजनू बाखला, नवीन बाखला का पुत्र उर्बनुष बाखला, प्रकाश बाखला का पुत्र सुनील बाखला, प्रकाश बाखला का पुत्र नेमहस बाखला, बिरिया उरांव का पुत्र रविंद्र उरांव, रामकिशुन उरांव का पुत्र दीपक कुजूर, बगड़ू पंचायत के जामुन टोली निवासी बंधन उरांव का पुत्र प्रेम उरांव शामिल है.जिला प्रशासन ने स्थानीय प्रशासन से किया संपर्कजिला प्रशासन की ओर से देहरादून प्रशासन, गृह मंत्रालय, आपदा प्रबंधन विभाग, उत्तराखंड के मुख्य सचिव और एनटीपीसी से संपर्क किया गया है. डीसी दिलीप कुमार टोप्पो का कहना है कि उपरोक्त अधिकारियों से संपर्क करते हुए पूरी स्थिति से अवगत कराया गया है. फिलहाल अब तक लापता मजदूरों के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया है.23 जनवरी को उत्तराखंड गए थे मजदूरलापता सभी नौ मजदूर विगत 23 जनवरी 2021 को उत्तराखंड गए थे. लापता मजदूरों में से विक्की भगत की मुलाकात पिछले साल जम्मू के एक व्यक्ति से शिमला में हुई थी. वह व्यक्ति फिलहाल उत्तराखंड के एनटीपीसी हाइड्रो प्रोजेक्ट में काम कर रहा था. उसने जनवरी में विक्की से संपर्क करते हुए कुछ मजदूरों को लेकर उत्तराखंड बुलाया था. जिसके बाद विक्की ने अपने साथ आठ अन्य मजदूरों को लेकर विगत 23 जनवरी को उत्तराखंड के लिए रवाना हुआ था. सभी ट्रेन के माध्यम से उत्तराखंड के लिए रवाना हुए थे. सभी मजदूर 25 जनवरी को उत्तराखंड पहुंचे थे.मजदूरों की परिजनों से हुई थी बातउत्तराखंड में लापता हुए मजदूरों में से कई मजदूरों की अपने परिजनों से बात हुई थी. प्रकाश बाखला के पुत्र सुनील बाखला ने घटना के दिन रविवार को सुबह 9:42 पर अपने भाई सेवक बाखला को फोन किया था. उसने कहा था कि नेमहस, दीपक और उर्बनुष टनल के अंदर गए हुए हैं. शेष सभी बाहर हैं और जल्द ही टनल के अंदर काम करने के लिए जाने वाले हैं. इसके बाद सुनील की घर में किसी से बात नहीं हुई.

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ज्योतिष बाखला ने गांव की ही एक लड़की दीपिका को विगत 6 फरवरी को शाम 7:30 बजे फोन किया था. उसने कहा था कि यहां सब कुछ ठीक-ठाक है और वह लोग खाना बनाने की तैयारी कर रहे हैं. जबकि दीपक कुजूर ने अपनी मां को पांच फरवरी को फोन किया था. उसने अपना हाल-चाल बताया और कहा कि यहां ठीक से काम चल रहा है. किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है.

Last Updated : Feb 9, 2021, 10:12 AM IST
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