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5G के जमाने में झारखंड में नहीं मिलता 2G नेटवर्क, गरीबों के निवाले पर भी मंडराता है संकट - lohardaga news

लोहरदगा में जन वितरण प्रणाली के सामने नेटवर्क सबसे बड़ी बाधा है. पहाड़ी इलाकों में ग्रामीणों को कई किलोमीटर पैदल चलकर किसी एक स्थान पर नेटवर्क मिलने पर राशन दी जाती है. विभाग डोंगल के माध्यम से व्यवस्था में सुधार की कोशिश कर रहा है.

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Published : Apr 4, 2023, 4:07 PM IST

Updated : Apr 4, 2023, 4:53 PM IST

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लोहरदगा: सरकार दावा करती है कि हम हर योग्य लाभुक को जन वितरण प्रणाली व्यवस्था के तहत राशन उपलब्ध कराया जा रहा है. पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों तक भी सुगमता से राशन पहुंच रहा है. लेकिन अगर इस बात की हकीकत जाननी हो तो आपको लोहरदगा जा सकते हैं. यहां के पेशरार प्रखंड के कई गांव में रहने वाले जन वितरण प्रणाली व्यवस्था के लाभुकों को राशन समय पर मिलता ही नहीं है. इसके पीछे वजह ये है कि यहां के E-POS मशीन में नेटवर्क ही नहीं मिलता. पहाड़ी इलाकों में अक्सर नेटवर्क गायब ही रहता है. कई किलोमीटर भटकने के बाद जब नेटवर्क आता है, तब अंगूठा लगता है और उसके बाद राशन नसीब हो पाता है. अनाज के लिए ऐसी जद्दोजहद सरकार के तमाम दावों की पोल खोलती है.

ये भी पढ़ें: 2G नेटवर्क तय करता है झारखंड के गरीबों का निवाला, जानिए क्या है माजरा?

सुदूरवर्ती पेशरार के इलाकों में मोबाइल नेटवर्क ही नहींं: लोहरदगा जिले के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में से एक है पेशरार प्रखंड. पांच पंचायत और 74 गांव वाले इस प्रखंड में कई ऐसे गांव हैं, जहां पर मोबाइल का नेटवर्क नहीं है. जिला प्रशासन ने कई क्षेत्रों में बीएसएनएल के टावर लगवाए. इसके अलावा जीओ कंपनी के भी टावर लगाए गए. बावजूद इसके कई इलाके आज भी नेटवर्क से वंचित हैं. इसके पीछे वजह यह है कि यह इलाका पहाड़ी और जंगली क्षेत्र से घिरा हुआ है. अब ऐसे में यहां पर ई-पोस मशीन में 2G नेटवर्क की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. पेशरार प्रखंड के मुंगो, शाहीघाट, दुंदरु, बांडी, जवाल सहित कई ऐसे गांव हैं, जहां पर नेटवर्क नसीब ही नहीं होता. ग्रामीण कई किलोमीटर पैदल चलकर शाहीघाट पहुंचते हैं, तब किसी एक स्थान पर उन्हें नेटवर्क मिलता है. इसके बाद लाभुकों को इंतजार करना पड़ता है.

जब लाभुक ई-पोस मशीन में अपना अंगूठे का निशान दे देते हैं, तब उन्हें राशन उपलब्ध हो पाता है. अगर 2G नेटवर्क नहीं रहा तो लोगों को किसी अगले साप्ताहिक बाजार के दिन का इंतजार करना पड़ता है. हालांकि इस मामले में जिला आपूर्ति पदाधिकारी अमित बेसरा कहते हैं कि अब ऐसे इलाकों में डोंगल के माध्यम से नेटवर्क सुविधा को मजबूत करने की कोशिश हो रही है, विभाग को अवगत कराया गया है. अलग-अलग डोंगल के माध्यम से जन वितरण प्रणाली व्यवस्था के ई-पोस मशीन के माध्यम से लाभुकों तक सुगमता से राशन उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है. जल्द ही समस्या का समाधान होगा. घर देखने वाली यह बात है कि प्रशासन कब तक इस समस्या का समाधान कर पाता है.

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लोहरदगा: सरकार दावा करती है कि हम हर योग्य लाभुक को जन वितरण प्रणाली व्यवस्था के तहत राशन उपलब्ध कराया जा रहा है. पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों तक भी सुगमता से राशन पहुंच रहा है. लेकिन अगर इस बात की हकीकत जाननी हो तो आपको लोहरदगा जा सकते हैं. यहां के पेशरार प्रखंड के कई गांव में रहने वाले जन वितरण प्रणाली व्यवस्था के लाभुकों को राशन समय पर मिलता ही नहीं है. इसके पीछे वजह ये है कि यहां के E-POS मशीन में नेटवर्क ही नहीं मिलता. पहाड़ी इलाकों में अक्सर नेटवर्क गायब ही रहता है. कई किलोमीटर भटकने के बाद जब नेटवर्क आता है, तब अंगूठा लगता है और उसके बाद राशन नसीब हो पाता है. अनाज के लिए ऐसी जद्दोजहद सरकार के तमाम दावों की पोल खोलती है.

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सुदूरवर्ती पेशरार के इलाकों में मोबाइल नेटवर्क ही नहींं: लोहरदगा जिले के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में से एक है पेशरार प्रखंड. पांच पंचायत और 74 गांव वाले इस प्रखंड में कई ऐसे गांव हैं, जहां पर मोबाइल का नेटवर्क नहीं है. जिला प्रशासन ने कई क्षेत्रों में बीएसएनएल के टावर लगवाए. इसके अलावा जीओ कंपनी के भी टावर लगाए गए. बावजूद इसके कई इलाके आज भी नेटवर्क से वंचित हैं. इसके पीछे वजह यह है कि यह इलाका पहाड़ी और जंगली क्षेत्र से घिरा हुआ है. अब ऐसे में यहां पर ई-पोस मशीन में 2G नेटवर्क की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. पेशरार प्रखंड के मुंगो, शाहीघाट, दुंदरु, बांडी, जवाल सहित कई ऐसे गांव हैं, जहां पर नेटवर्क नसीब ही नहीं होता. ग्रामीण कई किलोमीटर पैदल चलकर शाहीघाट पहुंचते हैं, तब किसी एक स्थान पर उन्हें नेटवर्क मिलता है. इसके बाद लाभुकों को इंतजार करना पड़ता है.

जब लाभुक ई-पोस मशीन में अपना अंगूठे का निशान दे देते हैं, तब उन्हें राशन उपलब्ध हो पाता है. अगर 2G नेटवर्क नहीं रहा तो लोगों को किसी अगले साप्ताहिक बाजार के दिन का इंतजार करना पड़ता है. हालांकि इस मामले में जिला आपूर्ति पदाधिकारी अमित बेसरा कहते हैं कि अब ऐसे इलाकों में डोंगल के माध्यम से नेटवर्क सुविधा को मजबूत करने की कोशिश हो रही है, विभाग को अवगत कराया गया है. अलग-अलग डोंगल के माध्यम से जन वितरण प्रणाली व्यवस्था के ई-पोस मशीन के माध्यम से लाभुकों तक सुगमता से राशन उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है. जल्द ही समस्या का समाधान होगा. घर देखने वाली यह बात है कि प्रशासन कब तक इस समस्या का समाधान कर पाता है.

Last Updated : Apr 4, 2023, 4:53 PM IST
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