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महिला सशक्तिकरण का उदाहरण हैं नीलिमा तिग्गा, 18,000 महिलाओं के साथ कर रहीं है क्षेत्र का विकास

कुछ अलग करने की कोशिश की तो घर में ही तिरस्कार झेलना पड़ा. खेती को नया रूप देने के लिए कदम उठाया तो गांव में मजाक बन गई. फिर भी कुछ कर दिखाने की जिद नहीं छोड़ी तभी तो आज यह महिला सशक्तिकरण की पहचान है. हम बात कर रहे हैं लोहरदगा की नीलिमा तिग्गा की.

Neelima Tigga of lohardaga
लोहरदगा की नीलिमा तिग्गा
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Published : Jun 5, 2020, 7:03 AM IST

लोहरदगा: जिले के कुडू प्रखंड के उमरी गांव की नीलिमा तिग्गा ने अपने काम के दम पर अपनी एक अलग पहचान रखती हैं. कुडू प्रखंड में महिला समूह की मदर एसएचजी शंख धारा महिला मंडल की अध्यक्ष नीलिमा तिग्गा का काम ही उनकी पहचान है. नीलिमा ने बता दिया है कि हौसलों को कैसे उड़ान मिलती है. लोहरदगा से लेकर दिल्ली तक अपनी पहचान बनाने वाली नीलिमा आज जिले की महिलाओं की पहचान है.

देखें पूरी खबर

16 साल पहले शुरू किया था सफर

लोहरदगा के कुडू प्रखंड की नीलिमा तिग्गा ने समाज को यह बता दिया कि महिला होने का अर्थ कमजोर होना बिल्कुल नहीं है. आज की महिलाएं सबल ही नहीं, बल्कि कुछ कर दिखाने का जज्बा भी रखती हैं. उन्होंने समाज को एक नई दिशा दिखाई है. नीलिमा तिग्गा का यह सफर 16 साल पहले शुरू हुआ था. आदिवासी बहुल क्षेत्र में रहने वाली महिला नीलिमा तिग्गा ने कृषि के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना कर समाज को एक संदेश देने का काम किया.

ये भी पढ़ें- बेतला नेशनल पार्क में बायसन की मौत है साजिश! जांच के निर्देश

महज 10वीं पास नीलिमा को कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सम्मान भी मिल चुका है. नीलिमा ने महिला मंडल समूह के माध्यम से 18,000 महिलाओं को जोड़ने का काम किया है. उनकी संस्था शंख धारा महिला विकास मंडल आज हजारों महिलाओं की जिंदगी को एक दिशा देने का काम कर रही है. नीलिमा ने यहां तक पहुंचने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया है.

श्री विधि से शुरु की खेती

साल 2004 में जब नीलिमा ने कुछ अलग करने का संकल्प लिया तो सबसे पहले घर से ही चुनौती का सामना करना पड़ा. घर के सदस्यों ने ही इस प्रकार से काम करने पर नीलिमा का तिरस्कार किया था. इसके बावजूद नीलिमा ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने श्री विधि से खेती की शुरुआत करते हुए कुछ अलग कर दिखाया. इसके अलावा महिलाओं को सशक्त करने को लेकर भी नीलिमा तिग्गा ने अपने आप को साबित कर दिया.

Neelima Tigga of lohardaga
नीलिमा तिग्गा

सीआईआई फाउंडेशन ने नीलिमा को जनवरी 2019 में दिल्ली में सम्मानित किया था. महिला आदर्श पुरस्कार के रूप में प्रमाण पत्र और राशि देकर नीलिमा को सम्मानित करने का काम किया था. नीलिमा ने कृषि के अलावा महिलाओं को जागरूक करने उन्हें संगठित करने और कुरीतियों से लड़ने को लेकर जागरूक करने का प्रयास किया है. आज नीलिमा एक सशक्त महिला ही नहीं, बल्कि एक आदर्श महिला भी हैं.

ये भी पढ़ें- मंडी भावः आज ये हैं रांची में राशन और सब्जियों के दाम

नीलिमा को अलग-अलग कार्यक्रमों में एक वक्ता के रूप में भी आमंत्रित किया जाता है. जो महिलाओं के कार्यक्रम में शामिल होकर प्रेरित करने का काम करती हैं. महिला सशक्तिकरण की दिशा में बेहतर योगदान के लिए नीलिमा को राज्य और जिला स्तर पर भी सम्मान मिल चुका है.

समझाने पर झेलनी पड़ती थी परेशानी

नीलिमा जब ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को महिला मंडल से जुड़ने, कृषि के आधुनिक तरीकों को अपनाने और कुरीतियों से बचने को लेकर जागरूक करने जाती थीं तो नीलिमा को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था. ग्रामीण नीलिमा के साथ मारपीट के लिए भी उतारू हो जाते थे. धमकियां देते थे, फिर भी नीलिमा ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए महिलाओं को संगठित करने का काम किया. यही वजह है कि आज 18,000 महिलाएं अलग-अलग महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर आत्मनिर्भर बन रही हैं.

लोहरदगा के कुडू प्रखंड के उमरी गांव की रहने वाली नीलिमा तिग्गा आदर्श महिला की पहचान हैं. महिला सशक्तिकरण, कृषि और कुरीतियों के खिलाफ जंग को लेकर नीलिमा को राष्ट्रीय स्तर तक का पुरस्कार मिल चुका है. नीलिमा ने महिलाओं को संगठित करने का काम किया. कृषि के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए भी नीलिमा को सम्मानित किया जा चुका है. नीलिमा ने बता दिया है कि कोशिश हो तो हौसलों की उड़ान मिलती है.

लोहरदगा: जिले के कुडू प्रखंड के उमरी गांव की नीलिमा तिग्गा ने अपने काम के दम पर अपनी एक अलग पहचान रखती हैं. कुडू प्रखंड में महिला समूह की मदर एसएचजी शंख धारा महिला मंडल की अध्यक्ष नीलिमा तिग्गा का काम ही उनकी पहचान है. नीलिमा ने बता दिया है कि हौसलों को कैसे उड़ान मिलती है. लोहरदगा से लेकर दिल्ली तक अपनी पहचान बनाने वाली नीलिमा आज जिले की महिलाओं की पहचान है.

देखें पूरी खबर

16 साल पहले शुरू किया था सफर

लोहरदगा के कुडू प्रखंड की नीलिमा तिग्गा ने समाज को यह बता दिया कि महिला होने का अर्थ कमजोर होना बिल्कुल नहीं है. आज की महिलाएं सबल ही नहीं, बल्कि कुछ कर दिखाने का जज्बा भी रखती हैं. उन्होंने समाज को एक नई दिशा दिखाई है. नीलिमा तिग्गा का यह सफर 16 साल पहले शुरू हुआ था. आदिवासी बहुल क्षेत्र में रहने वाली महिला नीलिमा तिग्गा ने कृषि के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना कर समाज को एक संदेश देने का काम किया.

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महज 10वीं पास नीलिमा को कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सम्मान भी मिल चुका है. नीलिमा ने महिला मंडल समूह के माध्यम से 18,000 महिलाओं को जोड़ने का काम किया है. उनकी संस्था शंख धारा महिला विकास मंडल आज हजारों महिलाओं की जिंदगी को एक दिशा देने का काम कर रही है. नीलिमा ने यहां तक पहुंचने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया है.

श्री विधि से शुरु की खेती

साल 2004 में जब नीलिमा ने कुछ अलग करने का संकल्प लिया तो सबसे पहले घर से ही चुनौती का सामना करना पड़ा. घर के सदस्यों ने ही इस प्रकार से काम करने पर नीलिमा का तिरस्कार किया था. इसके बावजूद नीलिमा ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने श्री विधि से खेती की शुरुआत करते हुए कुछ अलग कर दिखाया. इसके अलावा महिलाओं को सशक्त करने को लेकर भी नीलिमा तिग्गा ने अपने आप को साबित कर दिया.

Neelima Tigga of lohardaga
नीलिमा तिग्गा

सीआईआई फाउंडेशन ने नीलिमा को जनवरी 2019 में दिल्ली में सम्मानित किया था. महिला आदर्श पुरस्कार के रूप में प्रमाण पत्र और राशि देकर नीलिमा को सम्मानित करने का काम किया था. नीलिमा ने कृषि के अलावा महिलाओं को जागरूक करने उन्हें संगठित करने और कुरीतियों से लड़ने को लेकर जागरूक करने का प्रयास किया है. आज नीलिमा एक सशक्त महिला ही नहीं, बल्कि एक आदर्श महिला भी हैं.

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नीलिमा को अलग-अलग कार्यक्रमों में एक वक्ता के रूप में भी आमंत्रित किया जाता है. जो महिलाओं के कार्यक्रम में शामिल होकर प्रेरित करने का काम करती हैं. महिला सशक्तिकरण की दिशा में बेहतर योगदान के लिए नीलिमा को राज्य और जिला स्तर पर भी सम्मान मिल चुका है.

समझाने पर झेलनी पड़ती थी परेशानी

नीलिमा जब ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को महिला मंडल से जुड़ने, कृषि के आधुनिक तरीकों को अपनाने और कुरीतियों से बचने को लेकर जागरूक करने जाती थीं तो नीलिमा को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था. ग्रामीण नीलिमा के साथ मारपीट के लिए भी उतारू हो जाते थे. धमकियां देते थे, फिर भी नीलिमा ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए महिलाओं को संगठित करने का काम किया. यही वजह है कि आज 18,000 महिलाएं अलग-अलग महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर आत्मनिर्भर बन रही हैं.

लोहरदगा के कुडू प्रखंड के उमरी गांव की रहने वाली नीलिमा तिग्गा आदर्श महिला की पहचान हैं. महिला सशक्तिकरण, कृषि और कुरीतियों के खिलाफ जंग को लेकर नीलिमा को राष्ट्रीय स्तर तक का पुरस्कार मिल चुका है. नीलिमा ने महिलाओं को संगठित करने का काम किया. कृषि के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए भी नीलिमा को सम्मानित किया जा चुका है. नीलिमा ने बता दिया है कि कोशिश हो तो हौसलों की उड़ान मिलती है.

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