लोहरदगा: राज्य की एक बड़ी आबादी जन वितरण प्रणाली व्यवस्था के तहत मिलने वाले खाद्यान्न पर निर्भर करती है. जन वितरण प्रणाली की दुकान से मिलने वाले चावल और गेहूं के सहारे ही ऐसे लोगों के घर दो वक्त का भोजन पकता है. अभी तक राज्य में अगस्त महीने का खाद्यान्न गरीबों को नहीं मिला है. इसे लेकर हाहाकार मचा हुआ है. लोग परेशान हैं. बाजार में खाद्यान्न के भाव बढ़ रहे हैं. इन सबके बीच झारखंड सरकार के खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने महत्वपूर्ण बयान दिया है.
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केंद्र और राज्य सरकार के बीच उलझा मामला: राज्य के जन वितरण प्रणाली की दुकानों के माध्यम से खाद्यान्न का वितरण नहीं होने के पीछे केंद्र और राज्य सरकार के बीच मामले का उलझना बताया जा रहा है. खुद मंत्री रहते हैं कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत चार महीने का खाद्यान्न केंद्र सरकार की ओर से दिया गया था. इस खाद्यान्न का वितरण शत प्रतिशत रूप से नहीं हुआ. औसतन 93-94 प्रतिशत ही वितरण किया गया था. कुछ खाद्यान्न बचा हुआ था. जिसे लेकर केंद्र सरकार ने कह दिया कि 74 हजार मीट्रिक टन खाद्यान्न अभी उपरोक्त योजना के तहत नहीं बंटा है. जबकि राज्य सरकार ने जवाब देते हुए बताया कि मात्र 57 हजार मीट्रिक टन खाद्यान्न शेष है. ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से खाद्यान्न राज्य सरकार को उपलब्ध नहीं कराया गया.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार धीरे-धीरे कर इसमें कटौती कर सकती थी, लेकिन सीधे तौर पर आवंटन रद्द कर दिया गया है. यही नहीं जन वितरण प्रणाली के दुकानों को खाद्यान्न वितरण के लिए मिलने वाले कमीशन, परिवहन का किराया सहित अन्य चीजों का पैसा भी केंद्र सरकार के पास बकाया है. कुल मिलाकर स्थिति गंभीर है. फिर भी उन्होंने कहा है कि सरकार एक सप्ताह के भीतर समस्या का समाधान करते हुए खाद्यान्न का वितरण सुनिश्चित कराएगी.