लोहरदगा: लोकसभा सीट पर साल 2004 में हुए चुनाव में भाजपा की सीटिंग सांसद प्रोफेसर दुखा भगत को बड़े अंतर से हराने के बावजूद डॉ रामेश्वर उरांव को साल 2019 में दिल्ली का टिकट नहीं मिल पाया. इस बार कांग्रेस पार्टी ने लोहरदगा के विधायक सुखदेव भगत पर दांव खेला है.
सुदर्शन भगत पर भरोसा
जबकि भारतीय जनता पार्टी ने इसके विपरीत लगातार तीसरी बार सुदर्शन भगत पर भरोसा जताते हुए लोकसभा चुनाव का टिकट दिया है. साल 2004 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पूर्व पुलिस अधिकारी डॉ. रामेश्वर उरांव को कुल 2, 23,920 वोट मिले थे. जबकि प्रोफेसर दुखा भगत को 1,33,665 वोट से संतोष करना पड़ा था.
2009 का जब चुनाव
साल 2009 का जब चुनाव हुआ तो भाजपा ने प्रोफेसर दुखा भगत के बजाय सुदर्शन भगत पर भरोसा जताया. इस चुनाव में सुदर्शन भगत ने कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेल दिया. सुदर्शन भगत 1,44,628 वोट कर चुनाव जीत गए थे. जबकि निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा 1,36,345 दूसरा स्थान प्राप्त किया था.
2014 का चुनाव
साल 2014 के चुनाव में लगातार दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी ने सुदर्शन भगत को टिकट दिया था. इस चुनाव में सुदर्शन भगत ने फिर एक बार कांग्रेस के डॉ. रामेश्वर उरांव को हराकर लोहरदगा लोकसभा सीट जीत ली थी. सुदर्शन भगत को 2,26,666 वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे डॉ. रामेश्वर उरांव को 2,20,177 वोट मिले.
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रामेश्वर उरांव पर कांग्रेस को भरोसा नहीं !
लगातार दो चुनाव में सुदर्शन भगत के हाथों हारने की वजह से रामेश्वर उरांव पर शायद कांग्रेस को भरोसा ना रहा. यही वजह है कि साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने एक विधायक पर भरोसा जताया. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे सुखदेव भगत इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. कहा जाए तो लोहरदगा लोकसभा सीट पर भगत और भगत के बीच की लड़ाई है. देखना रोचक होगा कि एक सीटिंग सांसद इस बार चुनाव जीतते हैं या फिर एक विधायक दिल्ली तक का सफर तय करता है.