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लोहरदगा: कागजों में ODF घोषित कर दिया जिला, आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं नागरिक

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Published : Feb 25, 2021, 4:03 PM IST

Updated : Feb 25, 2021, 4:34 PM IST

लोहरदगा जिले में स्वच्छ भारत मिशन की खुलेआम धज्जियां उड़ रहीं हैं. जिले को केवल कागजों में खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया है, जबकि हकीकत कुछ और ही है. खस्ताहाल, टूटे-फूटे और जर्जर अवस्था में शौचालय अपनी हकीकत को बयां करते हैं.

खस्ताहाल शौचालय
खस्ताहाल शौचालय

लोहरदगा: स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोहरदगा जिले में हजारों शौचालयों का निर्माण कराया गया. शौचालय निर्माण का उद्देश्य खुले में शौच से गांव और शहर को मुक्त बनाना था. कागजों में शौचालय बने, कहीं पर दीवारों में शौचालय के निशान दिखाई देते हैं, पर हकीकत उससे बिल्कुल अलग है.

देखें पूरी खबर.

यह भी पढ़ेंः बंगाल में बीजेपी का सोनार बांग्ला अभियान शुरू, दो करोड़ लोगों के सुझाव पर बनेगा मेनिफेस्टो

खस्ताहाल, टूटे-फूटे और जर्जर अवस्था में शौचालय अपनी हकीकत को बयां करते हैं. ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं. कहीं पर शौचालय में दरवाजा नहीं है तो कहीं पर कुछ और कमियां हैं.

हालात इतने बदतर है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच मुक्त लोहरदगा जिले की परिकल्पना ही समझ से परे है. लोहरदगा जिले के सेन्हा प्रखंड के भड़गांव में स्वच्छ भारत मिशन की तस्वीर पोल खोलती हुई नजर आती है.

जिले में बनाए गए हैं 67599 शौचालय

स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोहरदगा जिले को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया है. इसके लिए लोहरदगा जिले में 67,599 शौचालय का निर्माण जिले के अलग-अलग सात प्रखंड और 353 गांव में किया गया है.

वर्ष 2021 से पहले 59,573 शौचालय का निर्माण कराया गया था. इसके उपरांत 8026 शौचालय का निर्माण और कराया गया, जबकि लगभग 5,000 शौचालय और अभी भी बनाए जाने हैं.

भड़गांव में बने हैं 250 शौचालय

जिले के सेन्हा प्रखंड के भड़गांव में 250 शौचालय का निर्माण कराया गया है. शौचालय की हकीकत यह बताती है कि वहां पर खुले में शौच की स्थिति क्या है. ग्रामीण खुद ही कहते हैं कि वह खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं.

शौचालय की जो टंकी बनाई गई थी, वह कब की बेकार हो चुकी है. शौचालय में दरवाजा नहीं है, कहीं पर पैन तक नहीं बैठाया गया है.

यही नहीं शौचालय की छत भी गायब मिलती है. हद तो तब है जब शौचालय में पेड़ उग आए हैं. इस प्रकार की तस्वीर यह साफ तौर पर बताती है कि शौचालय की वर्तमान स्थिति क्या है.

ऐसी तस्वीर में क्या लोहरदगा को स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा सकता है. सरकार को आखिर किस बात की हड़बड़ी थी कि शौचालय का उपयोग सुनिश्चित होने से पहले ही खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया.

यह भी पढ़ेंः गढ़वा: लापता डॉक्टर का शव जंगल से बरामद, पत्नी ने कराई थी हत्या

ग्रामीण आज भी नदी, नालों, खेत में शौचालय जाने के लिए विवश हैं. महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं. इन सबसे परे सरकार सिर्फ आंकड़ों को सुधारने में जुटी हुई है.

लोहरदगा जिला खुले में शौच से मुक्त घोषित हो चुका है. शौचालय की स्थिति हकीकत को बयां करती है. ग्रामीण खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं.

आंकड़ों में शौचालय का निर्माण दनादन किया जा रहा है. कहीं पर शौचालय में छत नहीं है तो कहीं दरवाजा. ग्रामीण नदी, नालों में शौच के लिए जाने को विवश हैं. सरकार सिर्फ आंकड़े सुधारने में लगी हुई है.

लोहरदगा: स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोहरदगा जिले में हजारों शौचालयों का निर्माण कराया गया. शौचालय निर्माण का उद्देश्य खुले में शौच से गांव और शहर को मुक्त बनाना था. कागजों में शौचालय बने, कहीं पर दीवारों में शौचालय के निशान दिखाई देते हैं, पर हकीकत उससे बिल्कुल अलग है.

देखें पूरी खबर.

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खस्ताहाल, टूटे-फूटे और जर्जर अवस्था में शौचालय अपनी हकीकत को बयां करते हैं. ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं. कहीं पर शौचालय में दरवाजा नहीं है तो कहीं पर कुछ और कमियां हैं.

हालात इतने बदतर है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच मुक्त लोहरदगा जिले की परिकल्पना ही समझ से परे है. लोहरदगा जिले के सेन्हा प्रखंड के भड़गांव में स्वच्छ भारत मिशन की तस्वीर पोल खोलती हुई नजर आती है.

जिले में बनाए गए हैं 67599 शौचालय

स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोहरदगा जिले को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया है. इसके लिए लोहरदगा जिले में 67,599 शौचालय का निर्माण जिले के अलग-अलग सात प्रखंड और 353 गांव में किया गया है.

वर्ष 2021 से पहले 59,573 शौचालय का निर्माण कराया गया था. इसके उपरांत 8026 शौचालय का निर्माण और कराया गया, जबकि लगभग 5,000 शौचालय और अभी भी बनाए जाने हैं.

भड़गांव में बने हैं 250 शौचालय

जिले के सेन्हा प्रखंड के भड़गांव में 250 शौचालय का निर्माण कराया गया है. शौचालय की हकीकत यह बताती है कि वहां पर खुले में शौच की स्थिति क्या है. ग्रामीण खुद ही कहते हैं कि वह खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं.

शौचालय की जो टंकी बनाई गई थी, वह कब की बेकार हो चुकी है. शौचालय में दरवाजा नहीं है, कहीं पर पैन तक नहीं बैठाया गया है.

यही नहीं शौचालय की छत भी गायब मिलती है. हद तो तब है जब शौचालय में पेड़ उग आए हैं. इस प्रकार की तस्वीर यह साफ तौर पर बताती है कि शौचालय की वर्तमान स्थिति क्या है.

ऐसी तस्वीर में क्या लोहरदगा को स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा सकता है. सरकार को आखिर किस बात की हड़बड़ी थी कि शौचालय का उपयोग सुनिश्चित होने से पहले ही खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया.

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ग्रामीण आज भी नदी, नालों, खेत में शौचालय जाने के लिए विवश हैं. महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं. इन सबसे परे सरकार सिर्फ आंकड़ों को सुधारने में जुटी हुई है.

लोहरदगा जिला खुले में शौच से मुक्त घोषित हो चुका है. शौचालय की स्थिति हकीकत को बयां करती है. ग्रामीण खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं.

आंकड़ों में शौचालय का निर्माण दनादन किया जा रहा है. कहीं पर शौचालय में छत नहीं है तो कहीं दरवाजा. ग्रामीण नदी, नालों में शौच के लिए जाने को विवश हैं. सरकार सिर्फ आंकड़े सुधारने में लगी हुई है.

Last Updated : Feb 25, 2021, 4:34 PM IST
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