लोहरदगा: जिले के शहरी क्षेत्र से हर दिन निकलने वाले कई टन कचरे को खुले में फेंका जाता है. यह कचरा आस-पास के क्षेत्र में खतरनाक रूप से प्रदूषण फैलाने का काम कर रहा है. नगर परिषद की ओर से कचरा डंपिंग यार्ड के आस-पास घेराबंदी को लेकर कोई भी कदम नहीं उठाया जा रहा है. जबकि विगत दिनों जांच के दौरान प्रदूषण और नियंत्रण समिति ने इसको लेकर सख्त निर्देश भी दिए थे.
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सालों से चलता आ रहा है यह सिलसिला
घर, होटल और सार्वजनिक स्थल सहित अन्य स्थानों से हर दिन निकलने वाले कचरे को लोहरदगा सदर प्रखंड के किस्को रोड में स्थित ओयना टोंगरी के समीप एक निजी जमीन में डंप किया जाता है. इस जमीन को नगर परिषद ने लीज में लिया है. नगर परिषद की ओर से शहर के कचरे को पिछले कई सालों से इसी प्रकार से डंप किया जा रहा है. डंपिंग यार्ड का निरीक्षण विगत दिन प्रदूषण और नियंत्रण समिति ओर से किया गया था. जिसमें कचरा डंपिंग यार्ड के चारों ओर घेराबंदी करने और प्रदूषण को फैलने से रोकने को लेकर नगर परिषद को निर्देश दिए गए थे. इसके बावजूद नगर परिषद की ओर से प्रदूषण और नियंत्रण समिति के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है.
खतरनाक कचरे को भी किया जाता है एक साथ निष्पादित
शहरी क्षेत्र से निकलने वाले कचरे में से खतरनाक कचरे को भी इसी स्थान पर डंप किया जाता है. इस कचरे में बड़ी मात्रा में मेडिकल कचरा और दूसरे स्थानों से निकलने वाला बेहद खतरनाक कचरा भी होता है. इस कचरे को अलग-अलग निष्पादित करने के बजाय एक साथ खुले में डंप कर दिया जाता है. स्थानीय लोगों ने इसका कई बार विरोध भी किया था. यहां तक कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान फेंके जाने वाले कचरे को लेकर स्थानीय लोगों ने विरोध जताया था. इसके बाद प्रदूषण और नियंत्रण समिति ने डंपिंग यार्ड का निरीक्षण कर नगर परिषद से कहा था कि वो तत्काल डंपिंग यार्ड के चारों ओर घेराबंदी करे. साथ ही कचरा का सही प्रकार से निष्पादन करने को लेकर कदम उठाए. इसके बावजूद नगर परिषद की ओर से कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया.
क्या कह रहे नगर परिषद अधिकारी
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी देवेंद्र कुमार का कहना है कि नगर परिषद को जिला प्रशासन की ओर से दूसरे स्थान पर 10 एकड़ जमीन डंपिंग यार्ड के लिए उपलब्ध कराया गया है. उस जमीन पर अब कचरा निष्पादित किया जाएगा. इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया पूरी की जा रही है. इसी वजह से पुराने डंपिंग यार्ड में घेराबंदी और अन्य कदम नहीं उठाए गए हैं. स्थानीय तौर पर लोगों ने कचरा डंपिंग को लेकर कई बार विरोध दर्ज कराया था. यहां तक कि अस्थाई तौर पर की गई घेराबंदी को लोगों ने तोड़ भी डाला था. जिसके बाद कुछ लोगों पर नगर परिषद की ओर से प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई थी. बावजूद इसके अब तक कचरा निष्पादन के सही तरीके को नहीं अपनाया गया है और ना ही डंपिंग यार्ड की घेराबंदी को लेकर कोई कदम उठाया जा रहा है. शहर से निकलने वाला कचरा बेहद खतरनाक रूप से आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने का काम कर रहा है. इस कचरे में हर दिन कई लोग कबाड़ चुनने का भी काम करते हैं. जो की उनके लिए घातक साबित हो सकता है.