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लोहरदगा में फर्जी सर्टिफिकेट गिरोह की जड़ें काफी गहरी, अब तक नहीं पहुंच पाई पुलिस - लोहरदगा न्यूज

लोहरदगा में फर्जी प्रमाण पत्र के मामलों में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन अब तक गिरोह तक पहुंचने में नाकामयाब रहा है. हालांकि, पुलिस की जांच जारी है. इधर शिक्षा विभाग ने भी लोगों से सचेत रहने की अपील की है.

Fake certificate gang in Lohardaga
Fake certificate gang in Lohardaga
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Published : Aug 29, 2022, 11:52 AM IST

लोहरदगा: जिले में फर्जी सर्टिफिकेट के गिरोह (Fake certificate gang in Lohardaga) तक पहुंच पाना पुलिस और प्रशासन के लिए भी आसान नहीं लग रहा है. मुखिया चुनाव में प्रत्याशी द्वारा फर्जी सर्टिफिकेट दिए जाने और शहर के हाई स्कूल में नामांकन को लेकर फर्जी सर्टिफिकेट का मामला सामने आने के बाद सबको लगा था कि अब जल्द ही इस गिरोह का खुलासा हो जाएगा. लेकिन, शिक्षा विभाग ने जो बातें कही हैं, उसके बाद यह स्पष्ट हो गया है कि, इस गिरोह की जड़ें काफी गहरी हैं.

इसे भी पढ़ें: लोहरदगा में धड़ल्ले से बन रहा फर्जी सर्टिफिकेट, पुलिस गिरफ्त से बाहर से गिरोह

जवाहर नवोदय विद्यालय में भी आ चुका है मामला: ऐसा नहीं है कि लोहरदगा में सिर्फ मुखिया चुनाव और हाई स्कूल में नामांकन को लेकर ही फर्जी प्रमाण पत्र का मामला सामने आया है. चौंकाने वाली बात तो यह है कि जवाहर नवोदय विद्यालय जोगना में कक्षा छह में प्रवेश को लेकर नामांकन के दौरान भी फर्जी प्रमाण पत्र का मामला सामने आ चुका है. इसके बावजूद इस मामले को लेकर ना तो कभी प्राथमिकी दर्ज कराई गई, ना ही इस मामले की कभी गहनता से जांच कराने का प्रयास किया गया.

देखें पूरी खबर

शिक्षा विभाग की लोगों से अपील: लोहरदगा जिला शिक्षा अधीक्षक अपरूपा सिन्हा का कहना है कि पहले भी विभाग के पास फर्जी प्रमाण पत्र का मामला सामने आ चुका है. विशेष रूप से जवाहर नवोदय विद्यालय जोगना में नामांकन को लेकर इस प्रकार का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया था. जब विभाग ने इसकी जांच कराई तो पता चला कि प्रमाण पत्र संबंधित स्कूल से जारी ही नहीं किया गया. अभिभावकों को सचेत रहना चाहिए. वह विद्यालय के प्रधानाध्यापक से संपर्क कर ही प्रमाण पत्र प्राप्त करें. किसी और से प्रमाण पत्र लेना हमेशा गलत हो सकता है. उस प्रमाण पत्र की सत्यता को लेकर कभी भी विश्वसनीयता बनी नहीं रहेगी. उन्होंने यह भी कहा कि विभाग इस तरह के मामलों को गंभीरता से ले रहा है.

लगातार किया जा रहा जागरूक: जवाहर नवोदय विद्यालय जोगना में नामांकन के समय जो विद्यालय प्रमाण पत्र दूसरे विद्यालयों का जमा किया गया था, जब विभाग ने उसकी जांच कराई तो पता चला कि कई प्रमाण पत्र फर्जी हैं. हालांकि, कभी इस तरह के मामलों में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई है, लेकिन लगातार लोगों को जागरूक करने का प्रयास भी किया जाता रहा है.

लोहरदगा: जिले में फर्जी सर्टिफिकेट के गिरोह (Fake certificate gang in Lohardaga) तक पहुंच पाना पुलिस और प्रशासन के लिए भी आसान नहीं लग रहा है. मुखिया चुनाव में प्रत्याशी द्वारा फर्जी सर्टिफिकेट दिए जाने और शहर के हाई स्कूल में नामांकन को लेकर फर्जी सर्टिफिकेट का मामला सामने आने के बाद सबको लगा था कि अब जल्द ही इस गिरोह का खुलासा हो जाएगा. लेकिन, शिक्षा विभाग ने जो बातें कही हैं, उसके बाद यह स्पष्ट हो गया है कि, इस गिरोह की जड़ें काफी गहरी हैं.

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जवाहर नवोदय विद्यालय में भी आ चुका है मामला: ऐसा नहीं है कि लोहरदगा में सिर्फ मुखिया चुनाव और हाई स्कूल में नामांकन को लेकर ही फर्जी प्रमाण पत्र का मामला सामने आया है. चौंकाने वाली बात तो यह है कि जवाहर नवोदय विद्यालय जोगना में कक्षा छह में प्रवेश को लेकर नामांकन के दौरान भी फर्जी प्रमाण पत्र का मामला सामने आ चुका है. इसके बावजूद इस मामले को लेकर ना तो कभी प्राथमिकी दर्ज कराई गई, ना ही इस मामले की कभी गहनता से जांच कराने का प्रयास किया गया.

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शिक्षा विभाग की लोगों से अपील: लोहरदगा जिला शिक्षा अधीक्षक अपरूपा सिन्हा का कहना है कि पहले भी विभाग के पास फर्जी प्रमाण पत्र का मामला सामने आ चुका है. विशेष रूप से जवाहर नवोदय विद्यालय जोगना में नामांकन को लेकर इस प्रकार का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया था. जब विभाग ने इसकी जांच कराई तो पता चला कि प्रमाण पत्र संबंधित स्कूल से जारी ही नहीं किया गया. अभिभावकों को सचेत रहना चाहिए. वह विद्यालय के प्रधानाध्यापक से संपर्क कर ही प्रमाण पत्र प्राप्त करें. किसी और से प्रमाण पत्र लेना हमेशा गलत हो सकता है. उस प्रमाण पत्र की सत्यता को लेकर कभी भी विश्वसनीयता बनी नहीं रहेगी. उन्होंने यह भी कहा कि विभाग इस तरह के मामलों को गंभीरता से ले रहा है.

लगातार किया जा रहा जागरूक: जवाहर नवोदय विद्यालय जोगना में नामांकन के समय जो विद्यालय प्रमाण पत्र दूसरे विद्यालयों का जमा किया गया था, जब विभाग ने उसकी जांच कराई तो पता चला कि कई प्रमाण पत्र फर्जी हैं. हालांकि, कभी इस तरह के मामलों में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई है, लेकिन लगातार लोगों को जागरूक करने का प्रयास भी किया जाता रहा है.

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