लोहरदगा: पहाड़ों से घिरा ये जिला पूरी तरह कृषि प्रधान है. यहां की 55 हजार 70 हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है और खेती ही यहां के लोगों की मुख्य आजीविका भी है. लेकिन सिंचाई की समस्या होने की वजह से यहां के किसान मौसम आधारित खेती करने को मजबूर हैं. किसानों की इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग एक विशेष पहल कर रहा है. विभाग किसानों के साथ संवाद कर उनकी समस्याओं के समाधान में जुटा है.
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मोटे अनाज की खेती में दिक्कत
जिले में किसानों के सामने सबसे बड़ी परेशानी ये है कि उनकी कड़ी मेहनत के बावजूद उनके सपने पूरे नहीं हो पा रहे हैं. दलहन, तिलहन और मोटे अनाज की खेती अपेक्षित रूप से नहीं होने के कारण उन्हें लाभ नहीं मिल रहा है. अगर आकंड़ों पर नजर डालें तो जिले में इस साल मोटे अनाज का आच्छादन 28.10 प्रतिशत हुआ है. जबकि तिलहन का आच्छादन 40.7 प्रतिशत हुआ और दलहन का आच्छादन 35.51 प्रतिशत तक रहा. जिले में यदि खरीफ के कुल आच्छादन की बात करें तो इस साल 80,875 हेक्टेयर में खरीद के आच्छादन का लक्ष्य तय किया गया था. जबकि जिले में महज 72.27 प्रतिशत ही आच्छादन हो पाया.
बहुत कम है सिंचिंत भूमि
जिलें में अगर सिंचिंत भूमि की बात करें तो ये महज 7 हजार 752 हेक्टेयर ही है. ऐसे में जब 90 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर है तब सिंचाई के पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं होने से किसानों को प्राकृतिक संसाधनों नदी, नहर, तालाब पर निर्भर रहना पड़ रहा है. यहां मुख्य रूप से चावल, महुआ, मक्का, दलहन, गेहूं, सरगुजास, मूंगफली और सब्जियों की खेती होती है.
टपक सिंचाई योजना को प्राथमिकता
कृषि विभाग अब किसानों को सिंचाई की समस्या से निजात दिलाने के लिए टपक सिंचाई योजना को प्राथमिकता दे रहा है. कृषि निदेशक का कहना है कि जिले में ड्रीप इरीगेशन को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके अलावा समय पर बीज उपलब्ध कराने को लेकर भी विभाग लगातार प्रयास कर रहा है. दलहन, तिलहन और मोटे अनाज की खेती को भी बढ़ावा देने को लेकर विभाग की ओर से प्रयास चल रहे हैं. किसानों को जागरूक किया जा रहा है कि वह मौसम आधारित खेती के बजाय मिश्रित खेती करें. जिससे कि उन्हें नुकसान कम झेलना पड़े.