लोहरदगाः मेडिकल कचरा को बेहद संक्रामक माना जाता है. अगर कोई व्यक्ति इसकी चपेट में आ जाए, तो उसे खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं. ऐसे में मेडिकल कचरे को निष्पादित करने के लिए नियम बनाए गए हैं. उसी प्रक्रिया के तहत मेडिकल कचरे को निष्पादित किया जाता है. मेडिकल कचरे के निष्पादन पर विभाग और सरकार भी चिंतित है.
वहीं, जिले के कई अस्पताल हैं, जहां मेडिकल कचरे को खुले में फेंक दिया जाता है. जो आसपास के लोगों के लिए काफी खतरनाक है. मेडिकल कचरा सड़कों पर फेंका जा रहा है, जिससे आबादी संक्रमण की ओर बढ़ रही है. जिले के निजी और सरकारी अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल कचरे को मेडिकल वेस्ट प्लांट में निष्पादित करने का निर्देश है. जिसके उलट सड़क और जंगलों में मेडिकल कचरे को फेंका जा रहा है. लोहरदगा- गुमला मुख्य पथ में बक्शीडीपा और चिरी जंगल के सड़क किनारे और जंगल के बीच में मेडिकल कचरे को फेंका जा रहा है. इन जंगल में ग्रामीणों के छोटे-छोटे बच्चे घूमने जाते हैं.
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महिलाएं दातुन-पत्ता लेने आती हैं. ग्रामीण मवेशियों को चराने के लिए लेकर आते हैं. ऐसी स्थिति में अगर कोई इस मेडिकल कचरे के संपर्क में आ जाए तो वह भयानक बीमारी की चपेट में आ सकता है. इन तमाम स्थितियों के बावजूद लोहरदगा में मेडिकल कचरे को जिस लापरवाही से फेंका जा रहा है. वह संक्रमण की भयावहता को दर्शा रहा है. स्वास्थ्य विभाग इस दिशा में गंभीर नहीं है.