लोहरदगाः कोरोना संक्रमण की वजह से हुए लॉकडाउन और अन्य परेशानियों के कारण अपने घर वापस लौट रहे मजदूरों को सरकार अब कृषि के माध्यम से रोजगार से जोड़ेगी. इसको लेकर सरकार की ओर से योजना बनाई जा रही है. लोहरदगा जिले में भी बड़ी संख्या में मजदूर वापस लौटे हैं.
मजदूरों को रोजगार से जोड़कर पलायन रोकना जिला प्रशासन का मुख्य उद्देश्य है. हालांकि कृषि को रोजगार से परिवर्तित करने को लेकर कई समस्याएं भी हैं. जिसमें सिंचाई और समय पर खाद बीज की उपलब्धता भी एक प्रमुख वजह है.
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कृषि रोजगार का प्रमुख साधन, सिंचाई अब भी समस्या
लोहरदगा कृषि प्रधान जिला है. यहां पर कृषि के माध्यम से प्रारंभ से ही लोग अपना रोजगार करते आए हैं. अब कोरोना संक्रमण की वजह से वापस लौट रहे मजदूरों को सरकार कृषि के माध्यम से ही रोजगार से जोड़ने की कोशिश कर रही है. लोहरदगा जिले में अब तक 24539 लोग वापस अपने गृह जिला लोहरदगा लौट चुके हैं. इनमें से 245 लोग विदेश से और 24294 लोग झारखंड के विभिन्न जिलों और दूसरे राज्यों से पहुंचे हैं. हालांकि किसानों का मानना है कि अभी भी कई समस्याएं हैं. सरकार को सबसे पहले सिंचाई संसाधनों को मजबूत करना चाहिए. इसके बाद खाद-बीज समय पर उपलब्ध कराना भी सरकार की जिम्मेदारी है. सरकार ने यह तय किया है कि कुशल मजदूरों को अलग और अकुशल मजदूरों को अलग तरीके से कृषि के माध्यम से ही जोड़ा जाएगा. जिससे कि उन्हें घर में रोजगार मिल सके. इसके लिए जिला प्रशासन को भी निर्देश जारी किए गए हैं. जिला कृषि पदाधिकारी के साथ विगत दिनों उपायुक्त लोहरदगा की बैठक हुई थी. इसमें कृषि के विकास और उन संसाधनों को लेकर व्यापक चर्चा हुई. लोहरदगा में 90 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है. पहाड़ी प्रदेश होने के कारण सिंचाई के पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. सिंचाई के स्रोत मुख्यत नदी, कुएं, नहर तालाब हैं. जिले में 55,070 हेक्टेयर क्षेत्र कृषि योग्य भूमि है और 7752 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र है.