ETV Bharat / state

लोहरदगा में फल और फूल से खिल रही जिंदगी, किसानों के चेहरे पर आई मुस्कुराहट - लोहरदगा में फूल की खेती

लोहरदगा जिला के कुड़ू प्रखंड के कड़ाक गांव के रहने वाले किसान ऐलन कुजूर की मेहनत ने खेती को एक नए रूप में ढालने का काम किया है. पपीता और फूल की खेती ने ऐलन कुजूर को ना सिर्फ आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि यह भी बताया कि सोच से अपनी किस्मत को बदला जा सकता है. जरूरी नहीं कि खेतों में पसीना ही बहाया जाए, थोड़ी सी मेहनत और थोड़ी सी पूंजी काफी कुछ दे जाती है.

farming-of-fruits-and-flowers-in-lohardaga
पपीता और फूलों की खेती
author img

By

Published : Jan 5, 2021, 4:36 PM IST

Updated : Jan 6, 2021, 12:22 PM IST

लोहरदगा: सब्र और कर्म हमेशा फल मीठा देता है, जब हम कर्म करते हैं तो हमारी जिंदगी फूलों से खिल उठती है. जिंदगी में मुस्कुराहट लौटने लगती है. लोहरदगा जिला में रोजगार एक गंभीर समस्या रही है. बड़े उद्योग, कल-कारखाने नहीं होने की वजह से यहां पर खेती ही रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम है. परंपरागत खेती के दम पर किसान किसी प्रकार से अपनी जिंदगी की गाड़ी खींचने की कोशिश करता है. कुछ किसानों को कामयाबी मिलती है, तो कुछ थक कर बैठ जाते हैं. लोहरदगा के कुड़ू में किसान एलेन कुजूर की मेहनत ने यह बता दिया कि सफलता की कोई उम्र नहीं होती. मेहनत करने वाला हर व्यक्ति सफल होता है.

देखें स्पेशल खबर
पपीता और फूलों की खेती से संवंर रही है जिंदगी
लोहरदगा जिला के कुड़ू प्रखंड के कड़ाक गांव के रहने वाले किसान एलेन कुजूर की उम्र 55 के करीब है. शारीरिक रूप से थोड़े कमजोर भी है. ऐसे में परंपरागत खेती कर पाना थोड़ा मुश्किल हो रहा था. किसी ने सलाह दी कि फल और फूल की खेती करें. ऐलन कुजूर ने लगभग दो एकड़ क्षेत्र में फल और फूल की खेती शुरू की. फल के रूप में पपीता की खेती को चुना जबकि फूल की खेती के रूप में गेंदा और जरबेरा की खेती को चुना, ना तो कोई प्रशिक्षण और ना ही बहुत बड़ी पूंजी की आवश्यकता है. जो घर में सिखा, जो देखा उसी को बस मिट्टी में उतारने का काम किया है. पपीता की खेती को देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है. स्वरोजगार के रूप में फल और फूल की खेती को पहचान मिल रही है.

इसे भी पढ़ें-हजारीबाग के लुपूंग पंचायत का अनोखा नियम, यहां जानिए पूरी खबर


मेहनत और सोच से मिली सफलता
थोड़ी सी मेहनत, थोड़ी सी पूंजी और थोड़ी सी देखरेख कुछ ही महीनों में ऐलन कुजूर को आर्थिक रुप से मुनाफा होने लगा है. आज ऐलन कुजूर काफी खुशहाल है. कहते हैं कोशिश की जाए तो कभी और असफलता नहीं मिलती है. बस सोच मजबूत होनी चाहिए. ऐलन कुजूर को देखकर अन्य किसान भी अब फूल और फल की खेती की ओर मुड़ रहे है. बाजार आसानी से उपलब्ध हो जाता है. पपीता के खरीदार खेतों तक पहुंचकर पपीता खरीद कर ले जाते है. हालांकि खेतों तक आने वाले व्यापारी पपीते की कम कीमत देते हैं. जब एलएन खुद पपीता को बाजार तक पहुंचाते है तो उसकी अच्छी कीमत मिलती है. एक पपीता कम से कम 20 से 40 रुपये के बीच बिक जाता है. वहीं गेंदा का फूल और जरबेरा के फूल की भी अच्छी कीमत और डिमांड है. परंपरागत खेती से अलग पपीता और फूल की खेती ने किसानों को आर्थिक रूप से मजबूती दी है.

लोहरदगा: सब्र और कर्म हमेशा फल मीठा देता है, जब हम कर्म करते हैं तो हमारी जिंदगी फूलों से खिल उठती है. जिंदगी में मुस्कुराहट लौटने लगती है. लोहरदगा जिला में रोजगार एक गंभीर समस्या रही है. बड़े उद्योग, कल-कारखाने नहीं होने की वजह से यहां पर खेती ही रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम है. परंपरागत खेती के दम पर किसान किसी प्रकार से अपनी जिंदगी की गाड़ी खींचने की कोशिश करता है. कुछ किसानों को कामयाबी मिलती है, तो कुछ थक कर बैठ जाते हैं. लोहरदगा के कुड़ू में किसान एलेन कुजूर की मेहनत ने यह बता दिया कि सफलता की कोई उम्र नहीं होती. मेहनत करने वाला हर व्यक्ति सफल होता है.

देखें स्पेशल खबर
पपीता और फूलों की खेती से संवंर रही है जिंदगी
लोहरदगा जिला के कुड़ू प्रखंड के कड़ाक गांव के रहने वाले किसान एलेन कुजूर की उम्र 55 के करीब है. शारीरिक रूप से थोड़े कमजोर भी है. ऐसे में परंपरागत खेती कर पाना थोड़ा मुश्किल हो रहा था. किसी ने सलाह दी कि फल और फूल की खेती करें. ऐलन कुजूर ने लगभग दो एकड़ क्षेत्र में फल और फूल की खेती शुरू की. फल के रूप में पपीता की खेती को चुना जबकि फूल की खेती के रूप में गेंदा और जरबेरा की खेती को चुना, ना तो कोई प्रशिक्षण और ना ही बहुत बड़ी पूंजी की आवश्यकता है. जो घर में सिखा, जो देखा उसी को बस मिट्टी में उतारने का काम किया है. पपीता की खेती को देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है. स्वरोजगार के रूप में फल और फूल की खेती को पहचान मिल रही है.

इसे भी पढ़ें-हजारीबाग के लुपूंग पंचायत का अनोखा नियम, यहां जानिए पूरी खबर


मेहनत और सोच से मिली सफलता
थोड़ी सी मेहनत, थोड़ी सी पूंजी और थोड़ी सी देखरेख कुछ ही महीनों में ऐलन कुजूर को आर्थिक रुप से मुनाफा होने लगा है. आज ऐलन कुजूर काफी खुशहाल है. कहते हैं कोशिश की जाए तो कभी और असफलता नहीं मिलती है. बस सोच मजबूत होनी चाहिए. ऐलन कुजूर को देखकर अन्य किसान भी अब फूल और फल की खेती की ओर मुड़ रहे है. बाजार आसानी से उपलब्ध हो जाता है. पपीता के खरीदार खेतों तक पहुंचकर पपीता खरीद कर ले जाते है. हालांकि खेतों तक आने वाले व्यापारी पपीते की कम कीमत देते हैं. जब एलएन खुद पपीता को बाजार तक पहुंचाते है तो उसकी अच्छी कीमत मिलती है. एक पपीता कम से कम 20 से 40 रुपये के बीच बिक जाता है. वहीं गेंदा का फूल और जरबेरा के फूल की भी अच्छी कीमत और डिमांड है. परंपरागत खेती से अलग पपीता और फूल की खेती ने किसानों को आर्थिक रूप से मजबूती दी है.

Last Updated : Jan 6, 2021, 12:22 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.