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लोहरदगा में किसान बेबस और लाचार, मौसम ने दिया साथ तो भूल गई सरकार - झारखंड में किसानों को सरकारी सहायता

लोहरदगा के किसानों को लगा था कि सरकार धान की खेती के समय बीज देगी, लेकिन यह नहीं हुआ. अब किसान अपनी पूंजी लगाकर खेती कर रहे हैं. खेती को लेकर आर्थिक बोझ बढ़ गया है. किसान न तो कुछ बोल पाने की स्थिति में हैं और न ही कोई उनकी सुनने वाला है. कुल मिलाकर मौसम ने तो साथ दिया है, लेकिन सरकार भूल गई है.

farmers is helpless in lohardaga
किसान बेबस और लाचार
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Published : Jun 29, 2020, 4:06 PM IST

लोहरदगा: झारखंड का भाग्य विधाता किसान लोहरदगा में बेबस और लाचार है. मौसम ने साथ दिया तो सरकार ने इस बार उनका साथ छोड़ दिया है. पहले मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद जैसी योजना को अचानक बंद कर दिया गया, जिससे जो आर्थिक सहायता किसानों को इस योजना से मिलती थी, वह बंद हो गई. सरकार ने कहा कि कृषि ऋण माफ करेंगे, लेकिन अब तक उस पर भी कुछ नहीं हो पाया है.

देखें पूरी खबर

किसानों को लगा कि चलो सरकार धान की खेती के समय बीज तो जरूर देगी, लेकिन यह भी नहीं हुआ. अब किसान अपनी पूंजी लगाकर खेती कर रहे हैं. खेती को लेकर आर्थिक बोझ बढ़ गया है. किसान न तो कुछ बोल पाने की स्थिति में हैं और न ही कोई उनकी सुनने वाला है.

77565 हेक्टेयर में है खरीफ आच्छादन का लक्ष्य

लोहरदगा जिले में ज्यादातर किसान खरीफ की फसल पर ही निर्भर रहते हैं. धान के अलावा मक्का, मोटे अनाज, तिलहन और दलहन की पैदावार होने की वजह से किसान परिवारों के लिए साल भर का इंतजाम होता है. इस बार सरकारी सहायता नहीं मिल पाई. जमा पूंजी भी टूटती हुई नजर आ रही है. किसानों के लिए परेशानी काफी ज्यादा है.

सबसे अधिक है धान आच्छादन का लक्ष्य

लोहरदगा जिले में यदि हम आंकड़ों की दृष्टि से देखें तो यहां पर 46,000 हेक्टेयर में धान आच्छादन का लक्ष्य कृषि विभाग ने तय किया है. इसके अलावा मक्का को लेकर 5,320 हेक्टेयर में लक्ष्य तय किया गया है, जबकि 1,815 हेक्टेयर में मोटे अनाज के उत्पादन को लेकर आच्छादन का लक्ष्य है. वहीं 4,030 हेक्टेयर में तिलहन आच्छादन का लक्ष्य तय किया गया है, जबकि 20,400 हेक्टेयर में दलहन आच्छादन का लक्ष्य है.

ये भी पढ़ें- जानें, क्या है साइबर अपराधियों की पहली पसंद 'ई-मेल फॉरवर्डर'

भूल गई सरकार

लोहरदगा में इस बार मौसम ने भी किसानों का साथ दिया है, लेकिन सरकार इस बार साथ देना भूल गई है. जून के महीने में लोहरदगा में औसत वर्षा 137.3 मिमी होती है. अब तक जिले में औसत वर्षा का आंकड़ा दर्ज किया गया है. कुल मिलाकर मौसम ने साथ दिया है. जिले के सभी प्रखंडों में इस बार बेहतर बारिश हुई है. महीने की शुरूआत में 1 जून से ही बेहतर बारिश शुरू हो गई थी. 1 जून को 14 मिमी बारिश हुई थी, जबकि 2 जून को 15.4 मिमी बारिश हुई. इसी तरह से अब तक बारिश किसानों को मुस्कुराने का मौका देती रही है.

बाजार का बीज है महंगा

बाजार से महंगे दाम पर बीज खरीदने की वजह से किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है. एक साधारण से किसान को भी कम से कम 15 हजार रुपए का बीज बाजार से खरीदना पड़ा है. अभी तो खाद और अन्य खर्चे बाकी हैं. किसानों के लिए परेशानी गंभीर हो चुकी है. सरकारी स्तर पर बीज मिल जाने से खरीफ आच्छादन में काफी सहयोग मिलता था. अब तो किसानों ने बाजार से ही बीज खरीद लिया है. बाजार में कम से कम 200 रुपया प्रति किलो का बीज उपलब्ध है, जबकि उच्च गुणवत्ता के बीज की खरीदारी पर 300 रुपए प्रति किलो तक चुकाना पड़ता है. यही हाल मक्का, दलहन और तिलहन फसलों के बीज का भी है.

कुल मिलाकर लोहरदगा जिले में किसान बेहाल हैं. सरकारी स्तर पर किसानों को बीज नहीं मिला. जिले में 46,000 हेक्टेयर में धान आच्छादन का लक्ष्य कृषि विभाग ने तय किया है. किसान बाजार से काफी महंगे दाम में बीज खरीदकर खेती करने को विवश हैं. इस बार मौसम ने किसानों का साथ दिया है, पर सरकार किसानों का साथ देना भूल गई है.

लोहरदगा: झारखंड का भाग्य विधाता किसान लोहरदगा में बेबस और लाचार है. मौसम ने साथ दिया तो सरकार ने इस बार उनका साथ छोड़ दिया है. पहले मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद जैसी योजना को अचानक बंद कर दिया गया, जिससे जो आर्थिक सहायता किसानों को इस योजना से मिलती थी, वह बंद हो गई. सरकार ने कहा कि कृषि ऋण माफ करेंगे, लेकिन अब तक उस पर भी कुछ नहीं हो पाया है.

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किसानों को लगा कि चलो सरकार धान की खेती के समय बीज तो जरूर देगी, लेकिन यह भी नहीं हुआ. अब किसान अपनी पूंजी लगाकर खेती कर रहे हैं. खेती को लेकर आर्थिक बोझ बढ़ गया है. किसान न तो कुछ बोल पाने की स्थिति में हैं और न ही कोई उनकी सुनने वाला है.

77565 हेक्टेयर में है खरीफ आच्छादन का लक्ष्य

लोहरदगा जिले में ज्यादातर किसान खरीफ की फसल पर ही निर्भर रहते हैं. धान के अलावा मक्का, मोटे अनाज, तिलहन और दलहन की पैदावार होने की वजह से किसान परिवारों के लिए साल भर का इंतजाम होता है. इस बार सरकारी सहायता नहीं मिल पाई. जमा पूंजी भी टूटती हुई नजर आ रही है. किसानों के लिए परेशानी काफी ज्यादा है.

सबसे अधिक है धान आच्छादन का लक्ष्य

लोहरदगा जिले में यदि हम आंकड़ों की दृष्टि से देखें तो यहां पर 46,000 हेक्टेयर में धान आच्छादन का लक्ष्य कृषि विभाग ने तय किया है. इसके अलावा मक्का को लेकर 5,320 हेक्टेयर में लक्ष्य तय किया गया है, जबकि 1,815 हेक्टेयर में मोटे अनाज के उत्पादन को लेकर आच्छादन का लक्ष्य है. वहीं 4,030 हेक्टेयर में तिलहन आच्छादन का लक्ष्य तय किया गया है, जबकि 20,400 हेक्टेयर में दलहन आच्छादन का लक्ष्य है.

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भूल गई सरकार

लोहरदगा में इस बार मौसम ने भी किसानों का साथ दिया है, लेकिन सरकार इस बार साथ देना भूल गई है. जून के महीने में लोहरदगा में औसत वर्षा 137.3 मिमी होती है. अब तक जिले में औसत वर्षा का आंकड़ा दर्ज किया गया है. कुल मिलाकर मौसम ने साथ दिया है. जिले के सभी प्रखंडों में इस बार बेहतर बारिश हुई है. महीने की शुरूआत में 1 जून से ही बेहतर बारिश शुरू हो गई थी. 1 जून को 14 मिमी बारिश हुई थी, जबकि 2 जून को 15.4 मिमी बारिश हुई. इसी तरह से अब तक बारिश किसानों को मुस्कुराने का मौका देती रही है.

बाजार का बीज है महंगा

बाजार से महंगे दाम पर बीज खरीदने की वजह से किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है. एक साधारण से किसान को भी कम से कम 15 हजार रुपए का बीज बाजार से खरीदना पड़ा है. अभी तो खाद और अन्य खर्चे बाकी हैं. किसानों के लिए परेशानी गंभीर हो चुकी है. सरकारी स्तर पर बीज मिल जाने से खरीफ आच्छादन में काफी सहयोग मिलता था. अब तो किसानों ने बाजार से ही बीज खरीद लिया है. बाजार में कम से कम 200 रुपया प्रति किलो का बीज उपलब्ध है, जबकि उच्च गुणवत्ता के बीज की खरीदारी पर 300 रुपए प्रति किलो तक चुकाना पड़ता है. यही हाल मक्का, दलहन और तिलहन फसलों के बीज का भी है.

कुल मिलाकर लोहरदगा जिले में किसान बेहाल हैं. सरकारी स्तर पर किसानों को बीज नहीं मिला. जिले में 46,000 हेक्टेयर में धान आच्छादन का लक्ष्य कृषि विभाग ने तय किया है. किसान बाजार से काफी महंगे दाम में बीज खरीदकर खेती करने को विवश हैं. इस बार मौसम ने किसानों का साथ दिया है, पर सरकार किसानों का साथ देना भूल गई है.

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