लोहरदगा: लीची को देखकर किसी के मुंह में पानी ना आए ऐसा नहीं हो सकता. लीची रसीली और मीठी होती है और यह हर किसी को पसंद होती है. यही कारण है कि आज बड़ी संख्या में लीची की खेती हो रही है. लोहरदगा जिले में भी लीची की खेती को बढ़ावा मिला है.
झारखंड और बिहार के अलग-अलग क्षेत्रों से व्यापारी यहां पर लीची की खरीदारी के लिए आते हैं. यही नहीं मुंबई तक लोहरदगा की लीची की मांग है. किसान लीची की खेती कर काफी खुश है. किसानों को आर्थिक आमदनी बढ़ाने में लीची की खेती काफी सहायक सिद्ध हो रही है.
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सेन्हा प्रखंड के सेन्हा बस्ती, चितरी डाडू, भड़गांव सहित अन्य क्षेत्रों में दर्जनों किसान लीची की खेती से जुड़े हुए हैं. समय की मांग के अनुरूप परंपरागत खेती के अलावे लीची की खेती कर किसान आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो रहे हैं. बाजार में आज भी खुले भाव में 80 से 100 रुपए प्रति किलो बिक रही है. थोक मंडी में 60 से 70 रुपए किलो का भाव है. कम पानी में भी लीची की पैदावार पर कोई असर नहीं पड़ता है.
यही कारण है कि किसान आज लीची के पौधेरोपण को लेकर रूचि दिखा रहे है. गर्मी के मौसम में जब दूसरे फसलों से नुकसान उठाना पड़ता है. उस दौरान किसानों को लीची की खेती काफी फायदा पहुंचा रही है.