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लोहरदगा की पहचान बदल रही मीठी और रसीली लीची, झारखंड-बिहार से व्यापारी आ रहे खरीदने

लोहरदगा में किसानों को लीची की खेती काफी फायदेमंद हो रही है. वहीं, झारखंड और बिहार के अलग-अलग क्षेत्रों से व्यापारी यहां पर लीची की खरीदारी के लिए आ रहे हैं.

लीची की खेती
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Published : Jun 11, 2019, 10:16 AM IST

लोहरदगा: लीची को देखकर किसी के मुंह में पानी ना आए ऐसा नहीं हो सकता. लीची रसीली और मीठी होती है और यह हर किसी को पसंद होती है. यही कारण है कि आज बड़ी संख्या में लीची की खेती हो रही है. लोहरदगा जिले में भी लीची की खेती को बढ़ावा मिला है.

देखें पूरी खबर

झारखंड और बिहार के अलग-अलग क्षेत्रों से व्यापारी यहां पर लीची की खरीदारी के लिए आते हैं. यही नहीं मुंबई तक लोहरदगा की लीची की मांग है. किसान लीची की खेती कर काफी खुश है. किसानों को आर्थिक आमदनी बढ़ाने में लीची की खेती काफी सहायक सिद्ध हो रही है.

ये भी पढ़ें-झारखंड में जेडीयू की नैय्या पार लगाएगी भाजपा- सीपी सिंह

सेन्हा प्रखंड के सेन्हा बस्ती, चितरी डाडू, भड़गांव सहित अन्य क्षेत्रों में दर्जनों किसान लीची की खेती से जुड़े हुए हैं. समय की मांग के अनुरूप परंपरागत खेती के अलावे लीची की खेती कर किसान आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो रहे हैं. बाजार में आज भी खुले भाव में 80 से 100 रुपए प्रति किलो बिक रही है. थोक मंडी में 60 से 70 रुपए किलो का भाव है. कम पानी में भी लीची की पैदावार पर कोई असर नहीं पड़ता है.

यही कारण है कि किसान आज लीची के पौधेरोपण को लेकर रूचि दिखा रहे है. गर्मी के मौसम में जब दूसरे फसलों से नुकसान उठाना पड़ता है. उस दौरान किसानों को लीची की खेती काफी फायदा पहुंचा रही है.

लोहरदगा: लीची को देखकर किसी के मुंह में पानी ना आए ऐसा नहीं हो सकता. लीची रसीली और मीठी होती है और यह हर किसी को पसंद होती है. यही कारण है कि आज बड़ी संख्या में लीची की खेती हो रही है. लोहरदगा जिले में भी लीची की खेती को बढ़ावा मिला है.

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झारखंड और बिहार के अलग-अलग क्षेत्रों से व्यापारी यहां पर लीची की खरीदारी के लिए आते हैं. यही नहीं मुंबई तक लोहरदगा की लीची की मांग है. किसान लीची की खेती कर काफी खुश है. किसानों को आर्थिक आमदनी बढ़ाने में लीची की खेती काफी सहायक सिद्ध हो रही है.

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सेन्हा प्रखंड के सेन्हा बस्ती, चितरी डाडू, भड़गांव सहित अन्य क्षेत्रों में दर्जनों किसान लीची की खेती से जुड़े हुए हैं. समय की मांग के अनुरूप परंपरागत खेती के अलावे लीची की खेती कर किसान आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो रहे हैं. बाजार में आज भी खुले भाव में 80 से 100 रुपए प्रति किलो बिक रही है. थोक मंडी में 60 से 70 रुपए किलो का भाव है. कम पानी में भी लीची की पैदावार पर कोई असर नहीं पड़ता है.

यही कारण है कि किसान आज लीची के पौधेरोपण को लेकर रूचि दिखा रहे है. गर्मी के मौसम में जब दूसरे फसलों से नुकसान उठाना पड़ता है. उस दौरान किसानों को लीची की खेती काफी फायदा पहुंचा रही है.

Intro:स्लग- JH_LOH_VIKRAM_LICCHI_PKG_JH10011
स्टोरी- लोहरदगा की पहचान बदल रही मीठी और रसीली लीची
... झारखंड बिहार के अलावे मुंबई तक है लोहरदगा के लीची की मांग
बाइट- बिहारी उरांव, स्थानीय किसान
बाइट- आदरा उरांव, स्थानीय किसान
एंकर- लीची को देखकर किसी के मुंह में पानी ना आए ऐसा हो ही नहीं सकता, लीची रसीली और मीठी होती है. यह हर किसी को पसंद होती है. यही कारण है कि आज बड़ी संख्या में लीची की खेती हो रही है. लोहरदगा जिले में भी लीची की खेती को बढ़ावा मिला है. झारखंड और बिहार के अलग-अलग क्षेत्रों से व्यापारी यहां पर लीची की खरीदारी के लिए आते हैं. यही नहीं मुंबई तक लोहरदगा की लीची की मांग है. किसान लीची की खेती कर काफी खुश है. किसानों को आर्थिक आमदनी बढ़ाने में लीची की खेती काफी सहायक सिद्ध हो रही है. सेन्हा प्रखंड के सेन्हा बस्ती, चितरी डाडू, भड़गांव सहित अन्य क्षेत्रों में दर्जनों किसान लीची की खेती से जुड़े हुए हैं. समय की मांग के अनुरूप परंपरागत खेती के अलावे लीची की खेती कर किसान आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो रहे हैं. बाजार में आज भी खुले भाव में 80 से 100 रुपए प्रति किलो बिक रही है. थोक मंडी में 60 से 70 रुपए किलो का भाव है. कम पानी में भी लीची की पैदावार पर कोई असर नहीं पड़ता है. यही कारण है कि किसान आज लीची के पौधे रोपण को लेकर लालायित नजर आ रहे हैं.किसानों को लीची की खेती एटीएम से कम नहीं लग रही है. गर्मी के मौसम में जब दूसरी फसलों से नुकसान उठाना पड़ता है. उस दौरान लीची की खेती काफी फायदे वाली खेती है.


Body:स्लग- JH_LOH_VIKRAM_LICCHI_PKG_JH10011
स्टोरी- लोहरदगा की पहचान बदल रही मीठी और रसीली लीची
... झारखंड बिहार के अलावे मुंबई तक है लोहरदगा के लीची की मांग


Conclusion:स्लग- JH_LOH_VIKRAM_LICCHI_PKG_JH10011
स्टोरी- लोहरदगा की पहचान बदल रही मीठी और रसीली लीची
... झारखंड बिहार के अलावे मुंबई तक है लोहरदगा के लीची की मांग
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