लोहरदगा: सावन के महीने में नदियां सूख चुकी हैं, सुनकर आश्चर्य हो रहा होगा लेकिन ये एक कड़वा सच है. सावन के महीने में नदियों में बाढ़ आनी चाहिए, वहां अभी रेत ही रेत नजर आ रही है. नदियों का हाल देख कर लोगों के पसीने छूट रहे हैं. कोयल और शंख नदी से पानी गायब होने का असर शहरी जलापूर्ति योजना पर भी पड़ गया है. लोगों को नियमित रूप से पानी नहीं मिल पा रहा है. आगामी दिनों में स्थिति और भी भयावह होने वाली है.
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शहर के लोगों के साथ-साथ किसानों की समस्या भी बढ़ीः जिले में कोयल और शंख नदी से पानी गायब हो चुका है. दोनों ही नदियों का जल स्तर 5 से 6 फीट नीचे चला गया है. बिना पानी के नदियां वीरान नजर आ रही हैं. इन दोनों नदियों के सहारे ना सिर्फ लोगों की प्यास बुझती है, बल्कि लगभग 2000 हेक्टेयर में सिंचाई भी होती है. शहरी जलापूर्ति योजना पूरी तरह से कोयल और शंख नदी पर निर्भर है. कई ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं कोयल और शंख नदी के सहारे संचालित हैं. दोनों ही नदियों में बरसात के महीने में पानी की धारा बहती थी.
लोहरदगा में जून और जुलाई के महीने में सामान्य से काफी कम हुई. औसत बारिश में कमी ने नदियों को वीरान कर दिया है. बारिश की ऐसी हालत आने वाले अकाल का संकेत दे रही है. लोहरदगा शहरी जलापूर्ति योजना पर निर्भर लगभग 4 हजार कनेक्शनधारी को पानी देने को लेकर शहरी जलापूर्ति योजना के संवेदक की परेशानी बढ़ चुकी है. आने वाले दिनों में आंशिक जलापूर्ति शुरू हो जाएगी.
बारिश ना होने के कारण नदियों का जलस्तर काफी नीचे जा चुका है. कोई विकल्प ही नजर नहीं आ रहा. नदियों में पानी नहीं होने के कारण किसान पटवन करके भी धान की खेती नहीं कर पा रहे. कोयल और शंख नदी की तस्वीर काफी भयावह है. चारों ओर रेत ही रेत नजर आ रही है, यहां से पानी गायब हो गया है. नदी में बांध बनाकर पानी जमा करना पड़ रहा है. तब जाकर शहरी जलापूर्ति योजना के तहत लोगों को कुछ समय के लिए पानी मिल पाता है.