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SPECIAL: कम पूंजी में सफल रोजगार, बतख पालन से हो सकती है ज्यादा कमाई

बतख पालन, जो बेहद प्रचलित और अकर्षक व्यवसाय है. बतख पालन के 2 फायदे हैं. एक तो बतख की बिक्री आसानी से हो जाती है और दूसरा बतख के अंडे भी सामान्य अंडो के मुकाबले ज्यादा दाम में बिकते हैं. वहीं, इसके खाद, फसल के अच्छे उपज में भी मदद करता है.

duck farming in lohardaga
बतख पालन
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Published : May 14, 2020, 7:15 PM IST

लोहरदगा: ग्रामीण क्षेत्रों में आमतौर पर लोग बतख पालन कर रहे हैं. बतख पालन से बतख की बिक्री आसानी से हो जाती है वहीं इसके अंडे भी सामान्य अंडों के मुकाबले ज्यादा दाम में बिकते हैं. यह व्यवसाय निश्चित रूप से कम पूंजी में बेहतर मुनाफे का एक सफल रोजगार है.

देखें स्पेशल स्टोरी

बतख पालन से जहांगीर ने बदली अपनी जिंदगी

लोहरदगा के सेन्हा प्रखंड के अरु गांव के रहने वाले जहांगीर अंसारी ने बतख पालन के माध्यम से अपनी किस्मत बदल ली है. पहले बेरोजगारी की वजह से काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. किसी ने सुझाव दिया कि बतख का पालन किया जा सकता है. इसके बाद जहांगीर ने कई साल पहले बतख पालन का काम शुरू किया. बतख की डिमांड खूब होने की वजह से इसमें उनका मन लग गया. फिलहाल, उनके पास एक हजार से ज्यादा बतख हैं. हर बतख कम से कम 300 रुपए में बिकता है.

duck farming in lohardaga
लोहरदगा में बतख पालन

क्या है बतख पालन का गणित, कैसे होता है मुनाफा

बतख पालन एक बेहतर और सफल रोजगार के रूप में जाना जाता है. ये कारोबार सफल इस वजह से है क्योंकि इसकी मांग कभी भी नहीं घटती. सालों भर बतख की डिमांड बनी रहती है. आमतौर पर लोगों में यह अवधारणा भी है कि बतख का मांस स्टोन जैसी बीमारी से निजात दिलाता है. इसके अलावा इसका मांस पैरालाइसिस जैसी बीमारी में भी सहायक होता है. वहीं, बतख का अंडा दूसरे अंडों के मुकाबले ज्यादा पौष्टिक और शरीर के लिए बेहतर माना जाता है. ऐसे में जहां सामान्य अंडे 72 रुपए प्रति दर्जन की दर से बिकते हैं, तो वहीं बतख का अंडा 120 रुपए प्रति दर्जन की दर से बिकता है. बात यदि इसके रोजगार की हो तो बतख पालन का रोजगार बेहद सहज और आसान है.

300 रुपए पर पीस बेचे जाते हैं बतख

आंध्र प्रदेश और दूसरे स्थानों से बतख के चूजे मंगाए जाते हैं. अमूमन 60 से 80 रुपए जोड़ा बतख का चूजा मिलता है. महज 45 दिनों में यह 1 किलो वजन तक का तैयार हो जाता है. बाजार में आसानी से यह 300 पीस की दर से बिकता है. जिसकी वजह से बतख का कारोबार बेहद सहज माना जाता है. इसे पालने में ना तो बहुत ज्यादा खर्च है और ना ही कोई परेशानी. आराम से 12 गुना 12 के कमरे में इसका पालन किया जा सकता है. बतख पालन के दौरान बतख के भोजन का प्रबंध पानी की व्यवस्था ही सबसे जरूरी है. इसके अलावा कोई और परेशानी नहीं होती. काफी कम दिनों में तैयार होने की वजह से बतख पालन सबसे बेहतर रोजगार माना जाता है. स्थानीय बाजार के साथ-साथ थोक रूप से व्यापारी से खरीद कर भी ले जाते हैं. बहुत सारे लोग अंडो के लिए भी पालन पसंद करते हैं.

duck farming in lohardaga
300 रुपए पर पीस बेचे जाते हैं बतख

'बतख पालन' कम पूंजी में ज्यादा मुनाफा

बतख पालन कम पूंजी में एक सफल रोजगार है. लोहरदगा के सेन्हा प्रखंड के अरु गांव के रहने वाले जहांगीर अंसारी पिछले कई सालों से बतख पालन का काम कर रहे हैं. लॉकडाउन जैसे विपरीत समय में भी बतख की डिमांड कम नहीं हुई. आसानी से बिक्री और कम पूंजी में ज्यादा मुनाफा होने की वजह से यह एक बेहतर और सफल रोजगार है.

लोहरदगा: ग्रामीण क्षेत्रों में आमतौर पर लोग बतख पालन कर रहे हैं. बतख पालन से बतख की बिक्री आसानी से हो जाती है वहीं इसके अंडे भी सामान्य अंडों के मुकाबले ज्यादा दाम में बिकते हैं. यह व्यवसाय निश्चित रूप से कम पूंजी में बेहतर मुनाफे का एक सफल रोजगार है.

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बतख पालन से जहांगीर ने बदली अपनी जिंदगी

लोहरदगा के सेन्हा प्रखंड के अरु गांव के रहने वाले जहांगीर अंसारी ने बतख पालन के माध्यम से अपनी किस्मत बदल ली है. पहले बेरोजगारी की वजह से काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. किसी ने सुझाव दिया कि बतख का पालन किया जा सकता है. इसके बाद जहांगीर ने कई साल पहले बतख पालन का काम शुरू किया. बतख की डिमांड खूब होने की वजह से इसमें उनका मन लग गया. फिलहाल, उनके पास एक हजार से ज्यादा बतख हैं. हर बतख कम से कम 300 रुपए में बिकता है.

duck farming in lohardaga
लोहरदगा में बतख पालन

क्या है बतख पालन का गणित, कैसे होता है मुनाफा

बतख पालन एक बेहतर और सफल रोजगार के रूप में जाना जाता है. ये कारोबार सफल इस वजह से है क्योंकि इसकी मांग कभी भी नहीं घटती. सालों भर बतख की डिमांड बनी रहती है. आमतौर पर लोगों में यह अवधारणा भी है कि बतख का मांस स्टोन जैसी बीमारी से निजात दिलाता है. इसके अलावा इसका मांस पैरालाइसिस जैसी बीमारी में भी सहायक होता है. वहीं, बतख का अंडा दूसरे अंडों के मुकाबले ज्यादा पौष्टिक और शरीर के लिए बेहतर माना जाता है. ऐसे में जहां सामान्य अंडे 72 रुपए प्रति दर्जन की दर से बिकते हैं, तो वहीं बतख का अंडा 120 रुपए प्रति दर्जन की दर से बिकता है. बात यदि इसके रोजगार की हो तो बतख पालन का रोजगार बेहद सहज और आसान है.

300 रुपए पर पीस बेचे जाते हैं बतख

आंध्र प्रदेश और दूसरे स्थानों से बतख के चूजे मंगाए जाते हैं. अमूमन 60 से 80 रुपए जोड़ा बतख का चूजा मिलता है. महज 45 दिनों में यह 1 किलो वजन तक का तैयार हो जाता है. बाजार में आसानी से यह 300 पीस की दर से बिकता है. जिसकी वजह से बतख का कारोबार बेहद सहज माना जाता है. इसे पालने में ना तो बहुत ज्यादा खर्च है और ना ही कोई परेशानी. आराम से 12 गुना 12 के कमरे में इसका पालन किया जा सकता है. बतख पालन के दौरान बतख के भोजन का प्रबंध पानी की व्यवस्था ही सबसे जरूरी है. इसके अलावा कोई और परेशानी नहीं होती. काफी कम दिनों में तैयार होने की वजह से बतख पालन सबसे बेहतर रोजगार माना जाता है. स्थानीय बाजार के साथ-साथ थोक रूप से व्यापारी से खरीद कर भी ले जाते हैं. बहुत सारे लोग अंडो के लिए भी पालन पसंद करते हैं.

duck farming in lohardaga
300 रुपए पर पीस बेचे जाते हैं बतख

'बतख पालन' कम पूंजी में ज्यादा मुनाफा

बतख पालन कम पूंजी में एक सफल रोजगार है. लोहरदगा के सेन्हा प्रखंड के अरु गांव के रहने वाले जहांगीर अंसारी पिछले कई सालों से बतख पालन का काम कर रहे हैं. लॉकडाउन जैसे विपरीत समय में भी बतख की डिमांड कम नहीं हुई. आसानी से बिक्री और कम पूंजी में ज्यादा मुनाफा होने की वजह से यह एक बेहतर और सफल रोजगार है.

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