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झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: लोहरदगा सीट पर संशय बरकरार, आजसू ने समझौता नहीं किया तो सुखदेव का क्या होगा?

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुखदेव भगत इस वक्त भाजपा की ओर से लोहरदगा विधानसभा सीट के लिए प्रत्याशी की दौड़ में सबसे आगे हैं. ऐसे में यदि भाजपा सुखदेव भगत को टिकट देती है तो यहां पर मुकाबला रोचक हो जाएगा. लोहरदगा विधानसभा सीट में गठबंधन को लेकर तस्वीर साफ नहीं होने पर कई नेताओं की साख दांव पर लग सकती है.

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Published : Nov 11, 2019, 12:10 PM IST

सुखदेव भगत

लोहरदगा: रविवार को भाजपा ने झारखंड में 52 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है. हालांकि अब तक भाजपा की ओर से लोहरदगा सीट पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं किए जाने की वजह से सुखदेव भगत भी संशय की स्थिति में नजर आ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल है कि अगर आजसू ने कॉम्प्रोमाइज नहीं किया तो सुखदेव भगत का क्या होगा.

वीडियो में देखें पूरी खबर

हाल के समय में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुखदेव भगत इस वक्त भाजपा की ओर से लोहरदगा विधानसभा सीट के लिए प्रत्याशी की दौड़ में सबसे आगे हैं. ऐसे में यदि भाजपा सुखदेव भगत को टिकट देती है तो यहां पर मुकाबला रोचक हो जाएगा. आजसू यदि लोहरदगा सीट भाजपा को देने के लिए तैयार हो जाता है तो यहां आजसू के लिए परेशानी खड़ी होने वाली है. फिलहाल स्थिति संशय की नजर आ रही है. सबसे दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस पार्टी ने यहां से अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है. ऐसे हालात में हाल में ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए सुखदेव भगत को कांग्रेस समर्थकों का साथ नहीं मिलेगा.

ये भी पढ़ें- टिकट घोषणा के बाद सरयू राय ने मानी पार्टी में गुटबाजी की बात, कहा- एक सीमा तक होती है लॉबिंग

लोहरदगा विधानसभा सीट में गठबंधन को लेकर तस्वीर साफ नहीं होने पर कई नेताओं की साख दांव पर लग सकती है. सवाल बड़ा है कि लोहरदगा विधानसभा सीट पर आजसू के केंद्रीय सचिव सूरज अग्रवाल ने पहले ही स्पष्ट कर दिया कि आजसू की ओर से पूर्व विधायक कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू शांति भगत को टिकट मिले या न मिले नीरू शांति भगत यहां से नामांकन जरूर करेंगी. ऐसे में सुखदेव भगत का नीरु शांति भगत के साथ मुकाबला होना तो तय है. रामेश्वर उरांव के भी मैदान में उतरने से सुखदेव भगत की राह आसान नजर नहीं आ रही है. फिलहाल बड़ा सवाल यह है कि लोहरदगा विधानसभा सीट आजसू के खाते में जाती है या फिर भाजपा इसे छीनने में कामयाब रहती है.

लोहरदगा: रविवार को भाजपा ने झारखंड में 52 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है. हालांकि अब तक भाजपा की ओर से लोहरदगा सीट पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं किए जाने की वजह से सुखदेव भगत भी संशय की स्थिति में नजर आ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल है कि अगर आजसू ने कॉम्प्रोमाइज नहीं किया तो सुखदेव भगत का क्या होगा.

वीडियो में देखें पूरी खबर

हाल के समय में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुखदेव भगत इस वक्त भाजपा की ओर से लोहरदगा विधानसभा सीट के लिए प्रत्याशी की दौड़ में सबसे आगे हैं. ऐसे में यदि भाजपा सुखदेव भगत को टिकट देती है तो यहां पर मुकाबला रोचक हो जाएगा. आजसू यदि लोहरदगा सीट भाजपा को देने के लिए तैयार हो जाता है तो यहां आजसू के लिए परेशानी खड़ी होने वाली है. फिलहाल स्थिति संशय की नजर आ रही है. सबसे दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस पार्टी ने यहां से अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है. ऐसे हालात में हाल में ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए सुखदेव भगत को कांग्रेस समर्थकों का साथ नहीं मिलेगा.

ये भी पढ़ें- टिकट घोषणा के बाद सरयू राय ने मानी पार्टी में गुटबाजी की बात, कहा- एक सीमा तक होती है लॉबिंग

लोहरदगा विधानसभा सीट में गठबंधन को लेकर तस्वीर साफ नहीं होने पर कई नेताओं की साख दांव पर लग सकती है. सवाल बड़ा है कि लोहरदगा विधानसभा सीट पर आजसू के केंद्रीय सचिव सूरज अग्रवाल ने पहले ही स्पष्ट कर दिया कि आजसू की ओर से पूर्व विधायक कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू शांति भगत को टिकट मिले या न मिले नीरू शांति भगत यहां से नामांकन जरूर करेंगी. ऐसे में सुखदेव भगत का नीरु शांति भगत के साथ मुकाबला होना तो तय है. रामेश्वर उरांव के भी मैदान में उतरने से सुखदेव भगत की राह आसान नजर नहीं आ रही है. फिलहाल बड़ा सवाल यह है कि लोहरदगा विधानसभा सीट आजसू के खाते में जाती है या फिर भाजपा इसे छीनने में कामयाब रहती है.

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स्टोरी-लोहरदगा सीट पर संशय बरकरार, आजसू ने कंप्रोमाइज नहीं किया तो क्या होगा सुखदेव का
एंकर- लोहरदगा सीट पर सस्पेंस बरकरार है. अब तक भाजपा की ओर से लोहरदगा सीट पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं किए जाने की वजह से सुखदेव भगत भी संशय की स्थिति में नजर आ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल है कि यदि आजसू पार्टी ने कंप्रोमाइज नहीं किया तो सुखदेव भगत का क्या होगा. हाल के समय में कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुखदेव भगत इस वक्त भाजपा की ओर से लोहरदगा विधानसभा सीट के लिए प्रत्याशी की दौड़ में सबसे आगे हैं. ऐसे में यदि भाजपा सुखदेव भगत को टिकट देती है तो यहां पर मुकाबला रोचक हो जाएगा. आजसू पार्टी यदि लोहरदगा सीट को भाजपा को देने के लिए तैयार हो जाती है तो यहां आजसू के लिए परेशानी खड़ी होने वाली है. फिलहाल स्थिति संशय की नजर आ रही है. सबसे दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस पार्टी ने यहां से अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है. ऐसे हालात में हाल में ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए सुखदेव भगत को कांग्रेसी समर्थकों का साथ नहीं मिलेगा.


इंट्रो- भारतीय जनता पार्टी की ओर से झारखंड के 81 विधानसभा सीटों में से 52 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की जा चुकी है. लोहरदगा विधानसभा सीट को छोड़कर आसपास के अन्य विधानसभा सीटों में लगभग प्रत्याशियों के नामों का खुलासा हो चुका है. लोहरदगा सीट पर फिलहाल पेज फंसा हुआ है. ऐसे में पेंच सिर्फ आजसू और भाजपा गठबंधन के बीच नहीं फंसा है, बल्कि यहां पर सुखदेव भगत के लिए भी संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है. भाजपा के समर्थक भी इस चिंता में है कि सुखदेव भगत को टिकट मिलेगा या नहीं. आजसू के मतदाता भी इस वक्त चर्चा में व्यस्त हैं कि यदि भारतीय जनता पार्टी लोहरदगा सीट को छीनने में कामयाब रहती है तो यहां पर आजसू का अस्तित्व फिलहाल संकट में आ जाएगा. कुल मिलाकर हालात ऐसे हैं कि लोहरदगा विधानसभा सीट में गठबंधन को लेकर तस्वीर साफ नहीं होने पर कई नेताओं की साख दांव पर लग सकती है. सवाल बड़ा है कि लोहरदगा विधानसभा सीट पर आजसू के केंद्रीय सचिव सूरज अग्रवाल ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि आजसू पार्टी की ओर से पूर्व विधायक कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू शांति भगत को टिकट मिले या ना मिले नीरू शांति भगत यहां से नामांकन जरूर करेंगी. ऐसे में सुखदेव भगत का नीरु शांति भगत के साथ मुकाबला होना तो तय है. रामेश्वर उरांव के भी मैदान में उतरने से सुखदेव भगत की राह आसान नजर नहीं आ रही है. फिलहाल बड़ा सवाल यह है कि लोहरदगा विधानसभा सीट आजसू के खाते में जाती है या फिर भाजपा इसे छीनने में कामयाब रहती है.


Body:भारतीय जनता पार्टी की ओर से झारखंड के 81 विधानसभा सीटों में से 52 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की जा चुकी है. लोहरदगा विधानसभा सीट को छोड़कर आसपास के अन्य विधानसभा सीटों में लगभग प्रत्याशियों के नामों का खुलासा हो चुका है. लोहरदगा सीट पर फिलहाल पेज फंसा हुआ है. ऐसे में पेंच सिर्फ आजसू और भाजपा गठबंधन के बीच नहीं फंसा है, बल्कि यहां पर सुखदेव भगत के लिए भी संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है. भाजपा के समर्थक भी इस चिंता में है कि सुखदेव भगत को टिकट मिलेगा या नहीं. आजसू के मतदाता भी इस वक्त चर्चा में व्यस्त हैं कि यदि भारतीय जनता पार्टी लोहरदगा सीट को छीनने में कामयाब रहती है तो यहां पर आजसू का अस्तित्व फिलहाल संकट में आ जाएगा. कुल मिलाकर हालात ऐसे हैं कि लोहरदगा विधानसभा सीट में गठबंधन को लेकर तस्वीर साफ नहीं होने पर कई नेताओं की साख दांव पर लग सकती है. सवाल बड़ा है कि लोहरदगा विधानसभा सीट पर आजसू के केंद्रीय सचिव सूरज अग्रवाल ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि आजसू पार्टी की ओर से पूर्व विधायक कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू शांति भगत को टिकट मिले या ना मिले नीरू शांति भगत यहां से नामांकन जरूर करेंगी. ऐसे में सुखदेव भगत का नीरु शांति भगत के साथ मुकाबला होना तो तय है. रामेश्वर उरांव के भी मैदान में उतरने से सुखदेव भगत की राह आसान नजर नहीं आ रही है. फिलहाल बड़ा सवाल यह है कि लोहरदगा विधानसभा सीट आजसू के खाते में जाती है या फिर भाजपा इसे छीनने में कामयाब रहती है.


Conclusion:लोहरदगा विधानसभा सीट को लेकर संशय बरकरार है. बड़ा सवाल यह भी है कि हाल में ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुखदेव भगत का क्या होगा.
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