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बारिश होने पर थम जाती है शिक्षा की गाड़ी, जान जोखिम में डाल कर स्कूल जाते हैं बच्चे

लोहरदगा के साके गांव में बच्चों के लिए शिक्षा की अलख तो जलाई गई, लेकिन स्कूल आने-जाने के लिए बच्चों को खासी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. बच्चें नदी पार कर 8 से 10 किलोमीटर पगडंडियों पर चल कर स्कूल पहुंचते हैं. आने-जाने की परेशानी को देखते हुए कई बार बच्चें स्कूल नहीं जाते.

नदी पार करते बच्चें
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Published : Aug 31, 2019, 6:37 PM IST

Updated : Sep 13, 2019, 1:39 PM IST

लोहरदगाः जिले के सेन्हा प्रखंड के अलौदी पंचायत अंतर्गत साके गांव के स्कूली बच्चे हर रोज 8 से 10 किलोमीटर पगडंडियों से होकर गुजरते हुए, पहाड़ी नाले को पार कर उत्क्रमित उच्च विद्यालय मुर्की तोड़ार पहुंचते हैं. बरसात के दिनों में जब नदी समस्या बन जाती है, तो इन बच्चों के लिए स्कूल जाना भी मुश्किल हो जाता है. बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

जान जोखिम में डाल जाते हैं स्कूल

वहीं, शहरों में स्कूली बच्चों के लिए कई अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं. जैसे स्कूल वाहन में जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम, स्कूलों में सीसीटीवी कैमरा, स्मार्ट क्लास और ना जाने कितनी सुविधाएं. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को स्कूल जाने के लिए भी कठिन रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. जिला मुख्यालय से 38 किलोमीटर दूर साके बाजार डांडू पथ में धरधरिया जलप्रपात से उतरकर आने वाला पानी एक नदी में तब्दील हो जाती है. जिससे पहाड़ी नदी पार कर बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल आते और जाते हैं. तस्वीरें खुद हकीकत बयां कर रही है. इन बच्चों का शिक्षा के प्रति लगन देखकर प्रशंसा करनी चाहिए, पर इनकी समस्याओं के प्रति सरकार संवेदनहीन बनी हुई है.

साइकिल को संभालते हुए नदी पार करना होता है और भी मुश्किल

झारखंड में सरकार ने विकास के पैमाने को पर खरी उतरी है. सरकार ने स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाई है, शिक्षकों की बहाली भी की. लेकिन इन बच्चों को स्कूल तक आने में होने वाली परेशानी की ओर सरकार का ध्यान नहीं है. बच्चों के हाथ में साइकिल होती है, जो सुविधा के बजाय परेशानी बन जाती है. बच्चे किसी तरह से इस नदी को पार करते हैं. कपड़े खराब होने, साइकल खराब होने, जूते खराब होने का डर इन्हें सताता रहता है. यदि जूता पहनकर ना जाएं तो स्कूल में फटकार और जूता पहन कर जाएं तो घर में फटकार.

इन बच्चों की मनोदशा को समझा जा सकता है. साके गांव के दर्जनों बच्चे पहाड़ी नाले को पार कर स्कूल तक पहुंचते हैं. नदी में पुल नहीं होने से इन्हें काफी परेशानी होती है. स्कूल की दशा भले ही सुधर रही हो पर स्कूल तक आने वाले इन बच्चों की समस्याओं की ओर किसी का ध्यान अभी तक नहीं गया है.

उपायुक्त को समस्या से अवगत कराने का आश्वासन

इस मामले में प्रखंड विकास पदाधिकारी सच्चिदानंद महतो कहते हैं कि वे निश्चित रूप से बच्चों की समस्या को हल करने को लेकर पहल करेंगे. जिला योजना समिति की बैठक में इस मुद्दे को रखा जाएगा. वहीं, उपायुक्त को भी समस्या से अवगत कराकर समाधान का प्रयास किया जाएगा. बच्चों की समस्या जानकर उन्हें काफी हैरानी हुई है. निश्चित रूप से नदी नाले को पार कर बच्चों का स्कूल पहुंचना चुनौतीपूर्ण है.

ये भी पढ़ें- यहां अवैध तरीकों से हो रही सांपों की नुमाइश, जानकारी के बाद भी DFO बेपरवाह

कई बार होते हैं दुर्घटना का शिकार

नदी पार कर जाने के क्रम में बच्चे कई बार दुर्घटना के शिकार भी होते हैं. स्कूल जाने में यह परेशानी देखकर हैरानी होती है. सरकार की पहल का सभी को इंतजार है.

लोहरदगाः जिले के सेन्हा प्रखंड के अलौदी पंचायत अंतर्गत साके गांव के स्कूली बच्चे हर रोज 8 से 10 किलोमीटर पगडंडियों से होकर गुजरते हुए, पहाड़ी नाले को पार कर उत्क्रमित उच्च विद्यालय मुर्की तोड़ार पहुंचते हैं. बरसात के दिनों में जब नदी समस्या बन जाती है, तो इन बच्चों के लिए स्कूल जाना भी मुश्किल हो जाता है. बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

जान जोखिम में डाल जाते हैं स्कूल

वहीं, शहरों में स्कूली बच्चों के लिए कई अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं. जैसे स्कूल वाहन में जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम, स्कूलों में सीसीटीवी कैमरा, स्मार्ट क्लास और ना जाने कितनी सुविधाएं. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को स्कूल जाने के लिए भी कठिन रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. जिला मुख्यालय से 38 किलोमीटर दूर साके बाजार डांडू पथ में धरधरिया जलप्रपात से उतरकर आने वाला पानी एक नदी में तब्दील हो जाती है. जिससे पहाड़ी नदी पार कर बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल आते और जाते हैं. तस्वीरें खुद हकीकत बयां कर रही है. इन बच्चों का शिक्षा के प्रति लगन देखकर प्रशंसा करनी चाहिए, पर इनकी समस्याओं के प्रति सरकार संवेदनहीन बनी हुई है.

साइकिल को संभालते हुए नदी पार करना होता है और भी मुश्किल

झारखंड में सरकार ने विकास के पैमाने को पर खरी उतरी है. सरकार ने स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाई है, शिक्षकों की बहाली भी की. लेकिन इन बच्चों को स्कूल तक आने में होने वाली परेशानी की ओर सरकार का ध्यान नहीं है. बच्चों के हाथ में साइकिल होती है, जो सुविधा के बजाय परेशानी बन जाती है. बच्चे किसी तरह से इस नदी को पार करते हैं. कपड़े खराब होने, साइकल खराब होने, जूते खराब होने का डर इन्हें सताता रहता है. यदि जूता पहनकर ना जाएं तो स्कूल में फटकार और जूता पहन कर जाएं तो घर में फटकार.

इन बच्चों की मनोदशा को समझा जा सकता है. साके गांव के दर्जनों बच्चे पहाड़ी नाले को पार कर स्कूल तक पहुंचते हैं. नदी में पुल नहीं होने से इन्हें काफी परेशानी होती है. स्कूल की दशा भले ही सुधर रही हो पर स्कूल तक आने वाले इन बच्चों की समस्याओं की ओर किसी का ध्यान अभी तक नहीं गया है.

उपायुक्त को समस्या से अवगत कराने का आश्वासन

इस मामले में प्रखंड विकास पदाधिकारी सच्चिदानंद महतो कहते हैं कि वे निश्चित रूप से बच्चों की समस्या को हल करने को लेकर पहल करेंगे. जिला योजना समिति की बैठक में इस मुद्दे को रखा जाएगा. वहीं, उपायुक्त को भी समस्या से अवगत कराकर समाधान का प्रयास किया जाएगा. बच्चों की समस्या जानकर उन्हें काफी हैरानी हुई है. निश्चित रूप से नदी नाले को पार कर बच्चों का स्कूल पहुंचना चुनौतीपूर्ण है.

ये भी पढ़ें- यहां अवैध तरीकों से हो रही सांपों की नुमाइश, जानकारी के बाद भी DFO बेपरवाह

कई बार होते हैं दुर्घटना का शिकार

नदी पार कर जाने के क्रम में बच्चे कई बार दुर्घटना के शिकार भी होते हैं. स्कूल जाने में यह परेशानी देखकर हैरानी होती है. सरकार की पहल का सभी को इंतजार है.

Intro:jh_loh_01_school_vis byte_jh10011 स्टोरी- बारिश होने पर थम जाती है शिक्षा की गाड़ी, जान जोखम में डाल कर स्कूल जाते हैं बच्चे बाइट 1- सानुका उरांव, छात्र बाइट 2- अंजू कुमारी, छात्रा बाइट 3- सुखेन कुमारी, छात्रा बाइट 4- सचिदानंद महतो, बीडीओ, सेन्हा एंकर- शहरों में स्कूली बच्चों के लिए कई अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध है. जैसे स्कूल वाहन में जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम, स्कूलों में सीसीटीवी कैमरा, स्मार्ट क्लास और ना जाने कितनी सुविधाएं. सरकार इन सुविधाओं को सरकारी विद्यालयों में लागू करने को लेकर कदम भी बढ़ा चुकी है. शहरों में स्थित कई सरकारी विद्यालयों को इन तमाम सुविधाओं से लैस करते हुए मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जा रहा है. अब जरा एक दूसरे पहलू को भी जानते हैं. लोहरदगा जिला मुख्यालय से 38 किलोमीटर दूर साके बाजार डांडू पथ में धरधरिया जलप्रपात से उतरकर आने वाला पानी जब एक नदी में तब्दील हो जाता है तो यहां पर बच्चों के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं नहीं होती, बल्कि इनकी जान भी खतरे में आ जाती है. पहाड़ी नदी पार कर बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल आते और जाते हैं. तस्वीरें खुद हकीकत बयां कर रही है. इन बच्चों का शिक्षा के प्रति लगन देखकर प्रशंसा करनी चाहिए, पर इनकी समस्याएं देखकर यह कहने से भी पीछे नहीं हटना चाहिए कि सरकार यह भी आपके ही बच्चे हैं. इनकी समस्याओं को भी जरा देखें. झारखंड में रघुवर दास की सरकार ने विकास के पैमाने को छुआ है. सरकार ने स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाई है, शिक्षकों की बहाली भी की, पर इन बच्चों को स्कूल तक आने में होने वाली परेशानी की ओर सरकार का ध्यान नहीं है. इंट्रो- लोहरदगा जिले के सेन्हा प्रखंड के अलौदी पंचायत अंतर्गत साके गांव के स्कूली बच्चे हर रोज 8 से 10 किलोमीटर पगडंडियों से होकर गुजरते हुए पहाड़ी नाले को पार कर उत्क्रमित उच्च विद्यालय मुर्की तोड़ार पहुंचते हैं. बरसात के दिनों में जब नदी समस्या बन जाती है तो इन बच्चों के लिए स्कूल जाना भी मुश्किल हो जाता है. बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते हैं. साथ में साइकिल होती है, वह सुविधा के बजाय परेशानी बन जाती है. बच्चे किसी तरह से इस नदी को पार करते हैं. कपड़े खराब होने, साइकल खराब होने, जूते खराब होने का डर इन्हें सताता रहता है. यदि जूता पहनकर ना जाएं तो स्कूल में फटकार और जूता पहन कर जाएं तो घर में फटकार. इन बच्चों की मनोदशा को समझा जा सकता है. साके गांव के दर्जनों बच्चे पहाड़ी नाले को पार कर स्कूल तक पहुंचते हैं. नदी में पुल नहीं होने से इन्हें काफी परेशानी होती है. स्कूल की दशा भले ही सुधर रही हो पर स्कूल तक आने वाले इन बच्चों की समस्याओं की ओर किसी का ध्यान अभी तक नहीं गया है. इस मामले में प्रखंड विकास पदाधिकारी सच्चिदानंद महतो कहते हैं कि वे निश्चित रूप से बच्चों की समस्या को हल करने को लेकर पहल करेंगे. जिला योजना समिति की बैठक में इस मुद्दे को रखा जाएगा. साथ ही उपायुक्त को भी समस्या से अवगत कराकर समाधान का प्रयास किया जाएगा. बच्चों की समस्या जानकर उन्हें काफी हैरानी हुई है. निश्चित रूप से नदी नाले को पार कर बच्चों का स्कूल पहुंचना चुनौतीपूर्ण है.


Body:लोहरदगा जिले के सेन्हा प्रखंड के अलौदी पंचायत अंतर्गत साके गांव के स्कूली बच्चे हर रोज 8 से 10 किलोमीटर पगडंडियों से होकर गुजरते हुए पहाड़ी नाले को पार कर उत्क्रमित उच्च विद्यालय मुर्की तोड़ार पहुंचते हैं. बरसात के दिनों में जब नदी समस्या बन जाती है तो इन बच्चों के लिए स्कूल जाना भी मुश्किल हो जाता है. बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते हैं. साथ में साइकिल होती है, वह सुविधा के बजाय परेशानी बन जाती है. बच्चे किसी तरह से इस नदी को पार करते हैं. कपड़े खराब होने, साइकल खराब होने, जूते खराब होने का डर इन्हें सताता रहता है. यदि जूता पहनकर ना जाएं तो स्कूल में फटकार और जूता पहन कर जाएं तो घर में फटकार. इन बच्चों की मनोदशा को समझा जा सकता है. साके गांव के दर्जनों बच्चे पहाड़ी नाले को पार कर स्कूल तक पहुंचते हैं. नदी में पुल नहीं होने से इन्हें काफी परेशानी होती है. स्कूल की दशा भले ही सुधर रही हो पर स्कूल तक आने वाले इन बच्चों की समस्याओं की ओर किसी का ध्यान अभी तक नहीं गया है. इस मामले में प्रखंड विकास पदाधिकारी सच्चिदानंद महतो कहते हैं कि वे निश्चित रूप से बच्चों की समस्या को हल करने को लेकर पहल करेंगे. जिला योजना समिति की बैठक में इस मुद्दे को रखा जाएगा. साथ ही उपायुक्त को भी समस्या से अवगत कराकर समाधान का प्रयास किया जाएगा. बच्चों की समस्या जानकर उन्हें काफी हैरानी हुई है. निश्चित रूप से नदी नाले को पार कर बच्चों का स्कूल पहुंचना चुनौतीपूर्ण है.


Conclusion:नदी पार कर जाने के क्रम में बच्चे कई बार दुर्घटना के शिकार भी होते हैं. स्कूल जाने में यह परेशानी देखकर हैरानी होती है. सरकार की पहल का सभी को इंतजार है.
Last Updated : Sep 13, 2019, 1:39 PM IST
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