ETV Bharat / state

लोहरदगा: कैंसर पीड़ित युवक का नहीं हो पा रहा इलाज, दर-दर भटक रही मां

सरकार लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर भले ही बड़े-बड़े वादे कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर यह पूरी तरह खोखली साबित हो रही है. इसका जीता-जागता नजारा देखने को मिल रहा है लोहरदगा के ब्राह्मणडीहा गांव में, जहां ब्रेन कैंसर से जूझ रहे 18 साल के युवक संकेत कुंवर का इलाज किसी अस्पताल में नहीं हो पा रहा है.

कैंसर पीड़ित युवक का अस्पताल नहीं कर रहा इलाज
Cancer victim is not being treated in hospital in Lohardaga
author img

By

Published : Apr 26, 2020, 5:26 PM IST

लोहरदगा: सरकार के दावे और हकीकत में अंतर देखना हो तो लोहरदगा के सदर प्रखंड अंतर्गत ब्राह्मणडीहा गांव में आकर जरा संकेत का हाल देख लीजिए. हम बात कर रहे हैं महज 18 साल के लड़का संकेत कुंवर की. ब्रेन कैंसर से जूझ रहे संकेत कुंवर की हालत बेहद नाजुक है. वह ब्रेन कैंसर के चौथे स्टेज में है. संकेत कैंसर ही नहीं सरकारी व्यवस्था से भी लड़ रहा है.

देखें पूरी खबर

मां पर है मुसीबतों का पहाड़

संकेत कुमार के पिता नहीं है. साल 2018 में अचानक से सिर में दर्द हुआ था तो मां जैसे तैसे इलाज के लिए लेकर डॉक्टर के पास गई. कई जगहों पर जांच कराने पर पता चला कि संकेत को कुछ और ही बीमारी है. वेल्लोर ले जाने पर वहां स्पष्ट हुआ कि संकेत को ब्रेन कैंसर है. इसके बाद तो जैसे इस बिना पिता के बच्चे पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. मां के लिए परेशानियां चुनौती बन गई. संकेत और उसकी मां अपने मायके में ही रहते हैं. एक दिव्यांग भाई किसी तरह से घर चलाता है. अब तक किसी प्रकार की आर्थिक सहायता सरकार या स्थानीय प्रशासन की ओर से नहीं मिली है.

ये भी पढ़ें-कोरोना संकट का मुकाबला : देखें, अमूल के एमडी आरएस सोढ़ी के साथ खास साक्षात्कार

सिविल सर्जन ने भी नहीं की सहायता

संकेत के इलाज में अब तक जमीन भी बेच देनी पड़ी है, जबकि सरकार कहती है कि कैंसर पीड़ितों के लिए हर संभव सहयोग करेंगे, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार कहते हैं कि उनके पास आवंटन ही नहीं है. आवंटन के लिए मांग की गई है आवंटन मिलते ही सहयोग दिया जाएगा. समय से जानकारी मिलती तो वह मदद कर पाते. अब भला उन्हें कौन समझाए की बीमारी निमंत्रण देकर नहीं आती है. एक गरीब और लाचार के लिए सोचने की शक्ति भी उसी दिन खत्म हो जाती है जब मुसीबत उसके हाथ दस्तक देती है. फिर कोई पहले से कैसे जान पाएगा कि वह परेशानी में पड़ने वाला है. यह तो अलग बात है.

दवा के लिए भी नहीं हैं पैसे

पीड़ित परिवार को यह भी परेशानी है कि दवा लाने के लिए प्रशासन की ओर से पास तक निर्गत नहीं किया गया. पहले कहा गया कि दवा यही मंगा दे रहे हैं और उसके बाद दवा भी नहीं मिली. न तो पास मिला न हीं दवा, ना ही सरकारी सहायता, अब जाएं तो जाएं कहां. लोहरदगा जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत ब्राह्मणडीहा गांव के रहने वाले 18 साल के संकेत कुमार की दशा सरकार से सवाल कर रही है. संकेत ब्रेन कैंसर से जूझ रहा है. अब तक किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिली है. संकेत के इलाज में जमीन तक बेच देनी पड़ी. हालात तो ऐसे हैं कि दवा लाने के लिए उसके मां के पास पैसे तक नहीं है.

लोहरदगा: सरकार के दावे और हकीकत में अंतर देखना हो तो लोहरदगा के सदर प्रखंड अंतर्गत ब्राह्मणडीहा गांव में आकर जरा संकेत का हाल देख लीजिए. हम बात कर रहे हैं महज 18 साल के लड़का संकेत कुंवर की. ब्रेन कैंसर से जूझ रहे संकेत कुंवर की हालत बेहद नाजुक है. वह ब्रेन कैंसर के चौथे स्टेज में है. संकेत कैंसर ही नहीं सरकारी व्यवस्था से भी लड़ रहा है.

देखें पूरी खबर

मां पर है मुसीबतों का पहाड़

संकेत कुमार के पिता नहीं है. साल 2018 में अचानक से सिर में दर्द हुआ था तो मां जैसे तैसे इलाज के लिए लेकर डॉक्टर के पास गई. कई जगहों पर जांच कराने पर पता चला कि संकेत को कुछ और ही बीमारी है. वेल्लोर ले जाने पर वहां स्पष्ट हुआ कि संकेत को ब्रेन कैंसर है. इसके बाद तो जैसे इस बिना पिता के बच्चे पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. मां के लिए परेशानियां चुनौती बन गई. संकेत और उसकी मां अपने मायके में ही रहते हैं. एक दिव्यांग भाई किसी तरह से घर चलाता है. अब तक किसी प्रकार की आर्थिक सहायता सरकार या स्थानीय प्रशासन की ओर से नहीं मिली है.

ये भी पढ़ें-कोरोना संकट का मुकाबला : देखें, अमूल के एमडी आरएस सोढ़ी के साथ खास साक्षात्कार

सिविल सर्जन ने भी नहीं की सहायता

संकेत के इलाज में अब तक जमीन भी बेच देनी पड़ी है, जबकि सरकार कहती है कि कैंसर पीड़ितों के लिए हर संभव सहयोग करेंगे, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार कहते हैं कि उनके पास आवंटन ही नहीं है. आवंटन के लिए मांग की गई है आवंटन मिलते ही सहयोग दिया जाएगा. समय से जानकारी मिलती तो वह मदद कर पाते. अब भला उन्हें कौन समझाए की बीमारी निमंत्रण देकर नहीं आती है. एक गरीब और लाचार के लिए सोचने की शक्ति भी उसी दिन खत्म हो जाती है जब मुसीबत उसके हाथ दस्तक देती है. फिर कोई पहले से कैसे जान पाएगा कि वह परेशानी में पड़ने वाला है. यह तो अलग बात है.

दवा के लिए भी नहीं हैं पैसे

पीड़ित परिवार को यह भी परेशानी है कि दवा लाने के लिए प्रशासन की ओर से पास तक निर्गत नहीं किया गया. पहले कहा गया कि दवा यही मंगा दे रहे हैं और उसके बाद दवा भी नहीं मिली. न तो पास मिला न हीं दवा, ना ही सरकारी सहायता, अब जाएं तो जाएं कहां. लोहरदगा जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत ब्राह्मणडीहा गांव के रहने वाले 18 साल के संकेत कुमार की दशा सरकार से सवाल कर रही है. संकेत ब्रेन कैंसर से जूझ रहा है. अब तक किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिली है. संकेत के इलाज में जमीन तक बेच देनी पड़ी. हालात तो ऐसे हैं कि दवा लाने के लिए उसके मां के पास पैसे तक नहीं है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.