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लोहरदगाः चार वर्षों में भी नहीं बन सका कोयल नदी पर पुल, चार लोग गवां चुके हैं जान

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Published : Jul 26, 2021, 4:39 PM IST

Updated : Jul 26, 2021, 5:05 PM IST

लोहरदगा जिले से गुजरने वाली बेड़ो-रांची मुख्य सड़क पर स्थित कोयल नदी पर सिठियो गांव के पुराने पुल के समीप नये पुल की आधारशिला रखी गई, लेकिन चार वर्षों में भी पुल आधा-अधूरा ही है.

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चार वर्षों में भी नहीं बन सका कोयल नदी पर पुल

लोहरदगा: बेड़ो-रांची मुख्य सड़क पर स्थित कोयल नदी पर पुराना और जर्जर पुल, जिसपर बारिश के दिनों में बाढ़ के पानी पुल के ऊपर से बहने लगता है. वर्ष 2016 में पुल पार करते समय एक एंबुलेंस बाढ़ की चपेट में आकर बह गया. इस हादसा में चार लोगों की मौत हो गई, जिसका शव आज तक नहीं मिला. इसके बाद वर्ष 2017 में नये पुल की आधारशिला रखी गई. लेकिन, चार वर्ष बीतने के बाद भी आधा-अधूरा ही है. स्थिति यह है लोग पुराने और जर्जर पुल से आने-जाने को मजबूर हैं.

यह भी पढ़ेंःपलामू: झारखंड के सबसे लंबे पुल तक जाने की सड़क जर्जर, बेकार पड़ा नवनिर्मित पुल

जिले के सेन्हा प्रखंड के सिठियो गांव से कोयल नदी गुजरती है. इस नदी के ऊपर काफी पुराना पुल है, जो जर्जर हो चुका है. जर्जर पुल को देखते हुए राज्य सरकार ने सिठियो में पुराने पुल के नजदिक नये पुल का निर्माण कार्य शुरू करवाया, ताकि लोगों को आवाजाही में परेशानी ना हो. लेकिन पुल का निर्माण अब तक पूरा नहीं हुआ है और आज भी लोग पुराने पुल से आवाजाही करते हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट



करोड़ों की लागत से बन रहा है पुल

वर्ष 2017 में करोड़ों रुपये की लागत से पुल का निर्माण कार्य शुरु किया गया. पुल निर्माण कार्य शुरू होने के बाद कई बार प्राक्कलन बदला गया, जिससे पुल की लागत भी बढ़ गई. स्थिति यह है कि साल दर साल पुल निर्माण कॉस्ट बढ़ता चला गया, लेकिन पुल नहीं बन सका. नये पुल के नहीं बनने से लोग डरते हुए पुराने पुल से गुजरते हैं. स्थानीय लोग कहते हैं कि जब कभी भारी बारिश होती है, तो कोयल नदी का जलस्तर बढ़ जाता है और पानी पुल के ऊपरी हिस्से तक पहुंच जाता है. इसके बावजूद लोहरदगा-रांची आने-जाने वाले लोग पुराने पुल से गुजर रहे हैं.

लोहरदगा
निर्माणाधीण पुल की एप्रोच पथ की स्थिति

हर बार सामने आ जाता है कोई कारण

पुल निर्माण को लेकर विभागीय अधिकारी कोई ना कोई बहाना लेकर काम रोक देते हैं. कभी प्राक्कलन से अधिक खर्च बताकर निर्माण कार्य रोक दिया जाता है, तो कभी कोई और कारण सामने आ जाता है. विभागीय अधिकारियों का खामियाजा स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है. स्थानीय मदन साहू ने बताया कि नदी में पानी बढ़ जाता है, तो पुल से पार करने में डर लगता है. उन्होंने कहा कि कभी काम शुरू होता है, तो कभी रोक दिया जाता है. निर्माण कार्य काफी धीमा होने से इस वर्ष भी पूरा होने की उम्मीद नहीं है.

लोहरदगा: बेड़ो-रांची मुख्य सड़क पर स्थित कोयल नदी पर पुराना और जर्जर पुल, जिसपर बारिश के दिनों में बाढ़ के पानी पुल के ऊपर से बहने लगता है. वर्ष 2016 में पुल पार करते समय एक एंबुलेंस बाढ़ की चपेट में आकर बह गया. इस हादसा में चार लोगों की मौत हो गई, जिसका शव आज तक नहीं मिला. इसके बाद वर्ष 2017 में नये पुल की आधारशिला रखी गई. लेकिन, चार वर्ष बीतने के बाद भी आधा-अधूरा ही है. स्थिति यह है लोग पुराने और जर्जर पुल से आने-जाने को मजबूर हैं.

यह भी पढ़ेंःपलामू: झारखंड के सबसे लंबे पुल तक जाने की सड़क जर्जर, बेकार पड़ा नवनिर्मित पुल

जिले के सेन्हा प्रखंड के सिठियो गांव से कोयल नदी गुजरती है. इस नदी के ऊपर काफी पुराना पुल है, जो जर्जर हो चुका है. जर्जर पुल को देखते हुए राज्य सरकार ने सिठियो में पुराने पुल के नजदिक नये पुल का निर्माण कार्य शुरू करवाया, ताकि लोगों को आवाजाही में परेशानी ना हो. लेकिन पुल का निर्माण अब तक पूरा नहीं हुआ है और आज भी लोग पुराने पुल से आवाजाही करते हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट



करोड़ों की लागत से बन रहा है पुल

वर्ष 2017 में करोड़ों रुपये की लागत से पुल का निर्माण कार्य शुरु किया गया. पुल निर्माण कार्य शुरू होने के बाद कई बार प्राक्कलन बदला गया, जिससे पुल की लागत भी बढ़ गई. स्थिति यह है कि साल दर साल पुल निर्माण कॉस्ट बढ़ता चला गया, लेकिन पुल नहीं बन सका. नये पुल के नहीं बनने से लोग डरते हुए पुराने पुल से गुजरते हैं. स्थानीय लोग कहते हैं कि जब कभी भारी बारिश होती है, तो कोयल नदी का जलस्तर बढ़ जाता है और पानी पुल के ऊपरी हिस्से तक पहुंच जाता है. इसके बावजूद लोहरदगा-रांची आने-जाने वाले लोग पुराने पुल से गुजर रहे हैं.

लोहरदगा
निर्माणाधीण पुल की एप्रोच पथ की स्थिति

हर बार सामने आ जाता है कोई कारण

पुल निर्माण को लेकर विभागीय अधिकारी कोई ना कोई बहाना लेकर काम रोक देते हैं. कभी प्राक्कलन से अधिक खर्च बताकर निर्माण कार्य रोक दिया जाता है, तो कभी कोई और कारण सामने आ जाता है. विभागीय अधिकारियों का खामियाजा स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है. स्थानीय मदन साहू ने बताया कि नदी में पानी बढ़ जाता है, तो पुल से पार करने में डर लगता है. उन्होंने कहा कि कभी काम शुरू होता है, तो कभी रोक दिया जाता है. निर्माण कार्य काफी धीमा होने से इस वर्ष भी पूरा होने की उम्मीद नहीं है.

Last Updated : Jul 26, 2021, 5:05 PM IST
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