लोहरदगा: जिले को बॉक्साइट की नगरी कहा जाता है. यहां पर बॉक्साइट के सहारे ही अर्थव्यवस्था टिकी हुई है. बॉक्साइट के कारोबार से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 50 हजार लोगों का जुड़ाव है. इसमें ट्रक ऑनर, गैराज मिस्त्री, मजदूर सहित अन्य लोग शामिल हैं.
चरमरा गई अर्थव्यवस्था
लॉकडाउन की वजह से बॉक्साइट का कारोबार पूरी तरह से प्रभावित हुआ है. बॉक्साइट माइंस में खनन कार्य बंद हैं. बॉक्साइट के मजदूर पत्थर तोड़ने के काम में लग नहीं पा रहे हैं. गैराज बंद होने से उससे जुड़े लोग बेरोजगार होकर रह गए हैं. ट्रक मालिकों के पास ट्रक चालक और खलासी को देने के लिए पैसे ही नहीं हैं. यहां तक की वाहनों के टैक्स भरने के लिए भी पैसे नहीं हो पा रहे हैं. अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है.
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बॉक्साइट व्यवसाय को पड़ी है तीन तरफा मार
लोहरदगा में साल 2019 और 2020 बॉक्साइट व्यवसाय के लिए काफी बुरा समय रहा है. बॉक्साइट व्यवसाय को तीन तरफा मार झेलनी पड़ी है. जिसकी वजह से लोहरदगा की अर्थव्यवस्था काफी हद तक प्रभावित हुई है. बॉक्साइट पर ही यहां की जिंदगी चलती है.
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कर्फ्यू के बाद से ही कारोबार ठप
हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अलावे कई निजी कंपनियों के भी माइंस हैं. इनमें काम करने वाले लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं. पहले मुरी में हुई घटना को लेकर बॉक्साइट का खनन और परिवहन कार्य बंद पड़ गया था. इसके बाद जनवरी 2020 में लोहरदगा में दंगा होने के बाद कर्फ्यू लगा तो बॉक्साइट का कारोबार बंद पड़ गया. जब दंगे की आग से लोहरदगा बाहर निकला तो कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से लॉकडाउन लगने से कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ. अब तक इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.
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कारोबार बुरी तरह से प्रभावित
लगातार परेशानियों की वजह से बॉक्साइट का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. इससे जुड़े लोगों के पास दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हो रहा है. सबसे अधिक प्रभावित बॉक्साइट के मजदूर हुए हैं. इसके अलावा गेराज में काम करने वाले छोटे-छोटे मजदूर और ट्रक ओनर भी सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं. बॉक्साइट का व्यवसाय यहां के बाजार को भी प्रभावित करता है यदि ट्रक बंद हो जाए तो दुकानों में ग्राहक नजर ही नहीं आते. बॉक्साइट मजदूरों की रोजी-रोटी से ही बाजार भी हंसता खिलखिलाते रहता है. वर्तमान समय में काफी दयनीय स्थिति का सामना बॉक्साइट व्यवसाय और उससे जुड़े लोगों को करना पड़ रहा है.