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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से भी बदतर है ट्रामा सेंटर की हालत, मंत्री ने दिया ये जवाब - Lohardaga News

लोहरदगा में स्वास्थ्य सुविधाओं (Healthcare facilities in Lohardaga) की हालत बेहतर नहीं है. यहां के विधायक झारखंड सरकार में मंत्री हैं. एक राज्यसभा और एक लोकसभा सांसद भी यहां से संबंध रखते हैं. इसके बावजूद स्वास्थ सुविधाओं को बेहतर करने के दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हो पा रही है. ट्रामा सेंटर (Trauma Center in Lohardaga) जैसी महत्वपूर्ण योजना महज खानापूर्ति बनकर रह चुकी है.

Trauma Center in Lohardaga
Trauma Center in Lohardaga
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Published : Sep 4, 2022, 3:15 PM IST

लोहरदगा: रांची, लातेहार और लोहरदगा जिला के सीमावर्ती कुडू प्रखंड मुख्यालय में एनएच 75 पर ट्रामा सेंटर (Trauma Center in Lohardaga) हैं. ट्रामा सेंटर का उद्देश्य दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीजों और दूसरे ऐसे मरीजों को तत्काल इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित कराना है, जिन्हें त्वरित रूप से इलाज की जरूरत है. यह ट्रामा सेंटर बदहाल स्थिति में है. इसकी हालत एक सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से भी बदतर है.

इसे भी पढ़ें: स्वास्थ्य मंत्री का सीएम को पत्र, पुलिसकर्मियों को स्वास्थ्य सुविधा देने का दिया सुझाव

लोगों ने की थी मंत्री से शिकायत: लोहरदगा जिले के कुडू प्रखंड मुख्यालय में चार साल पहले 45 लाख रुपये की लागत से ट्रामा सेंटर का निर्माण कराया गया था. जिसके बाद से इसे शुरू नहीं किया जा सका था. इसी साल स्थानीय लोगों ने झारखंड सरकार के मंत्री और लोहरदगा विधायक डॉ रामेश्वर उरांव से शिकायत की. लोगों ने मंत्री को बताया कि ट्रामा सेंटर 45 लाख रुपये की लागत से बनकर तैयार तो है लेकिन, इसका शुभारंभ नहीं हो सका है. जिसकी वजह से लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. जबकि यह ट्रामा सेंटर एनएच 75 पर होने की वजह से दुर्घटना में घायल गंभीर मरीजों के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है. ऐसे में मंत्री ने तत्काल सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि ट्रामा सेंटर में चिकित्सक और चिकित्सा कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की जाए.

देखें पूरी खबर

व्यवस्था के आगे लाचार है ट्रामा सेंटर: सिविल सर्जन ने मंत्री रामेश्वर उरांव के निर्देश का पालन किया. ट्रामा सेंटर में चिकित्सक और चिकित्सा कर्मियों की प्रतिनियुक्ति भी की, लेकिन कुछ ही दिन में एक हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर को वापस सदर अस्पताल बुला लिया गया, जो चिकित्सा कर्मी थे. उन्हें कुडू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ड्यूटी पर लगा दिया गया. फिलहाल, एक महिला चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति ट्रामा सेंटर में है. अब सोचने वाली बात यह है कि महज एक महिला चिकित्सक को ट्रामा सेंटर जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी कैसे दी जा सकती है, जबकि यहां पर कम से कम एक हड्डी रोग विशेषज्ञ, सर्जन की जरूरत हर हाल में थी. इस मामले में जब मंत्री से सवाल किया गया तो उनका कहना है कि वह स्थिति से अवगत नहीं थे. स्थिति में सुधार को लेकर पहल करेंगे. ट्रामा सेंटर को बेहतर तरीके से संचालित किया जाएगा.

लोहरदगा: रांची, लातेहार और लोहरदगा जिला के सीमावर्ती कुडू प्रखंड मुख्यालय में एनएच 75 पर ट्रामा सेंटर (Trauma Center in Lohardaga) हैं. ट्रामा सेंटर का उद्देश्य दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीजों और दूसरे ऐसे मरीजों को तत्काल इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित कराना है, जिन्हें त्वरित रूप से इलाज की जरूरत है. यह ट्रामा सेंटर बदहाल स्थिति में है. इसकी हालत एक सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से भी बदतर है.

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लोगों ने की थी मंत्री से शिकायत: लोहरदगा जिले के कुडू प्रखंड मुख्यालय में चार साल पहले 45 लाख रुपये की लागत से ट्रामा सेंटर का निर्माण कराया गया था. जिसके बाद से इसे शुरू नहीं किया जा सका था. इसी साल स्थानीय लोगों ने झारखंड सरकार के मंत्री और लोहरदगा विधायक डॉ रामेश्वर उरांव से शिकायत की. लोगों ने मंत्री को बताया कि ट्रामा सेंटर 45 लाख रुपये की लागत से बनकर तैयार तो है लेकिन, इसका शुभारंभ नहीं हो सका है. जिसकी वजह से लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. जबकि यह ट्रामा सेंटर एनएच 75 पर होने की वजह से दुर्घटना में घायल गंभीर मरीजों के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है. ऐसे में मंत्री ने तत्काल सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि ट्रामा सेंटर में चिकित्सक और चिकित्सा कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की जाए.

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व्यवस्था के आगे लाचार है ट्रामा सेंटर: सिविल सर्जन ने मंत्री रामेश्वर उरांव के निर्देश का पालन किया. ट्रामा सेंटर में चिकित्सक और चिकित्सा कर्मियों की प्रतिनियुक्ति भी की, लेकिन कुछ ही दिन में एक हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर को वापस सदर अस्पताल बुला लिया गया, जो चिकित्सा कर्मी थे. उन्हें कुडू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ड्यूटी पर लगा दिया गया. फिलहाल, एक महिला चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति ट्रामा सेंटर में है. अब सोचने वाली बात यह है कि महज एक महिला चिकित्सक को ट्रामा सेंटर जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी कैसे दी जा सकती है, जबकि यहां पर कम से कम एक हड्डी रोग विशेषज्ञ, सर्जन की जरूरत हर हाल में थी. इस मामले में जब मंत्री से सवाल किया गया तो उनका कहना है कि वह स्थिति से अवगत नहीं थे. स्थिति में सुधार को लेकर पहल करेंगे. ट्रामा सेंटर को बेहतर तरीके से संचालित किया जाएगा.

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