लोहरदगा: जिले का यह विधानसभा सीट हमेशा से राजनीतिक गलियारों में एक बड़ी और महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है. यही वजह है कि यहां से हमेशा से बड़े नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा गया है और लोहरदगा विधानसभा सीट पर फिर एक बार चुनाव काफी रोचक होने जा रहा है.
सधनु भगत भारतीय जनता पार्टी से दो बार रहे विधायक
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, आजसू, जेएमएम सहीत सभी दलों के नेता इस विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा सक्रिय रहे हैं. कभी भाजपा, कभी कांग्रेस तो कभी आजसू ने यहां से जीत हासिल की है. 2015 के विधानसभा उपचुनाव से कांग्रेस के सुखदेव भगत यहां से विधायक हैं. इससे पहले साल 2005 में सुखदेव भगत ने भारतीय जनता पार्टी से दो बार विधायक रहे सधनु भगत को हराकर भाजपा से यह सीट छीन ली थी.
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चुनाव में गठबंधन
वहीं, 2009 के चुनाव में गठबंधन होने के बाद आजसू ने यहां से चुनाव लड़ते हुए सुखदेव भगत को हरा दिया था. साल 2014 के चुनाव में भी आजसू ने सुखदेव भगत को हराया था. विधायक कमल किशोर भगत को डॉ केके सिन्हा मामले में सजा होने के बाद 2015 में विधानसभा का उपचुनाव हुआ तो सुखदेव भगत ने आजसू की नीरू शांति भगत को हराकर वापस यह सीट जीत ली.
जीत का दावा
विधानसभा चुनाव को लेकर सुगबुगाहट के बीच अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा भी तेज हो चुकी है. सभी राजनीतिक दल के प्रतिनिधि अपने-अपने दल के प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित बता रहे हैं. सभी अपनी जीत का दावा भी कर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी गठबंधन के बावजूद यहां से फिर एक बार चुनाव मैदान में उतरने का मन बना चुकी है. हालांकि, प्रदेश स्तर पर अभी तक यह सुनिश्चित नहीं हो सका है की भाजपा यहां से प्रत्याशी देगी की नहीं.
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लोहरदगा सीट पर दावेदारी
वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से भी इस बार लोहरदगा सीट पर अपनी दावेदारी पेश की जा रही है. कांग्रेस पहले से ही लोहरदगा सीट को अपनी सीटिंग सीट बताते हुए पूरी तरह से तैयारी में जुटी हुई है. कुल मिलाकर कहा जाए तो लोहरदगा सीट में फिर एक बार चुनाव काफी रोचक होने जा रहा है.