लातेहारः जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग चौड़ीकरण कार्य के लिए ली जा रही जमीन की कीमत 225 रुपये प्रति डिसमिल आंकी गयी है. भू राजस्व विभाग के इस तुगलक की फरमान के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश है. गुरुवार को सैकड़ों ग्रामीण सड़क पर उतरकर इस फरमान का विरोध करते हुए जमीन नहीं देने का ऐलान किया है. ग्रामीणों के विरोध के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के कार्य पर ग्रहण लगने की संभावना उत्पन्न हो गई है.
दरअसल एनएच 39 के चौड़ीकरण के लिए भूमि मालिकों से जमीन का अधिग्रहण किया जाना है. इसके लिए भूमि राजस्व विभाग को ग्रामीणों के साथ ग्रामसभा कर जमीन की कीमत तय करनी थी. परंतु ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग के पूर्ववर्ती अधिकारियों के द्वारा बिना किसी गांव में ग्रामसभा किए, अपने मन से फर्जी ग्रामसभा के सहारे जमीन की कीमत तय कर दी गई. बाद में जब ग्रामीणों को इस बात की जानकारी हुई तो ग्रामीण जमीन की कीमत सुनकर हैरान रह गए. ग्रामीण नरेश उरांव ने कहा कि आज बाजार में जमीन की कीमत लाखों रुपए प्रति डिसमिल है. परंतु उनकी जमीन को कौड़ी के भाव में खरीदने की तैयारी प्रशासनिक अधिकारियों ने कर रखी है. इधर सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद पांडेय ने कहा कि यह भ्रष्ट अधिकारी और भ्रष्ट कर्मचारियों की कारगुजारियों का परिणाम है कि गरीब किसानों की जमीन की कीमत इतनी कम लगाई गई है.
पतकी गांव में 225 रुपए प्रति डिसमिल लगाई गई है जमीन की कीमतः ग्रामीण वीरेंद्र प्रसाद ने कहा कि भूमि राजस्व विभाग के द्वारा जमीन की जो कीमत तय की गई है, वह आश्चर्यजनक है. उन्होंने बताया कि लातेहार सदर प्रखंड के पतकी गांव में जमीन की कीमत 225 रुपए प्रति डिसमिल तय की गई है. जमीन की कीमत तय करने वाले अधिकारी की सोच पर तरस आता है. 225 रुपए में आजकल मामूली सामान भी नहीं मिलता. ऐसे में जमीन की कीमत इतनी कम तय करना प्रशासनिक उदासीनता का ही नतीजा है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन से मांग की जा रही है कि ग्रामसभा कर उचित तरीके से जमीन की कीमत तय की जाए. इसके बाद ग्रामीण स्वेच्छा से विकास कार्यों के लिए अपनी जमीन देंगे. परंतु वर्तमान में जो स्थिति बनाई गई है, उस स्थिति में जमीन देना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रशासन के द्वारा ऑनलाइन रसीद काटने में भी मनमानी की जा रही है.
विधायक ने उठाया मामलाः बताया गया कि स्थानीय विधायक रामचंद्र सिंह के द्वारा इस मामले को विधानसभा में उठाया गया है. विधायक ने जमीन अधिग्रहण के लिए मुआवजे की राशि को फिर से तय करने की मांग की है. भूमि मालिक लक्ष्मण यादव, गूंजर उरांव समेत अन्य लोगों का कहना है कि जब तक उनकी जमीन की उचित कीमत तय नहीं होगी, तब तक जमीन नहीं दी जाएगी. जमीन की कम कीमत लगाए जाने का विरोध कर रहे ग्रामीण समाहरणालय के पास पहुंचकर जमकर नारेबाजी भी की.
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