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लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं 'दिव्यांग दीपक', इंजीनियर बनने के बाद लोगों को दे रहे हैं आगे बढ़ने की प्रेरणा - लातेहार के दीपक इंजीनियर बनने के बाद लोगों को दे रहे हैं आगे बढ़ने की प्रेरणा

लातेहार के बमनहेरूआ गांव निवासी दीपक मिंज लोगों के लिए मिसाल बने हुए हैं. दिव्यांग होकर भी दीपक ने न सिर्फ इंजीनियरिंग की पढ़ाई की बल्कि गरीबी और तंगहाली को पीछे छोड़कर अपने घर और गांव के विकास के लिए काम कर रहा है.

लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है 'दिव्यांग दीपक', इंजीनियर बनने के बाद लोगों को दे रहे हैं आगे बढ़ने की प्रेरणा
दीपक
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Published : Feb 2, 2020, 11:25 PM IST

लातेहारः जिले के बमनहेरूआ गांव का निवासी दीपक मिंज गरीबी और तंगहाली के साथ-साथ दिव्यांगता की समस्या को पीछे छोड़ते हुए खुद के बलबूते पर आईटी इंजीनियर बना और अब अपने घर और गांव की तस्वीर बदलने में लगा हुआ है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

पोलियो का हुए थे शिकार

दीपक मिंज 3 वर्ष की उम्र में ही पोलियो का शिकार हो गया था जिससे उसके दोनों पैर काम करना बंद कर दिए. गरीबी के कारण उसका समय पर इलाज भी नहीं हो पाया. दीपक की इस स्थिति के कारण उसके परिवार वाले चिंतित रहने लगे. परंतु दीपक ने अपने बुलंद हौसले के बल पर ना सिर्फ स्कूली शिक्षा पाई बल्कि आईटी इंजीनियर भी बन गया. वर्तमान में वह अपने गांव में ही रह कर अपने घर की आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में काम कर रहा है. दीपक पढ़ाई पूरी करने के बाद गांव में ही बत्तख, सूअर, मुर्गी और मछली पालन करने लगा. अभी यह व्यवसाय आरंभ किए 1 वर्ष भी पूरा नहीं हुआ कि दीपक को 50,000 से अधिक मुनाफा हो गया.

और पढ़ें- समाज कल्याण मंत्री जोबा मांझी मंगलवार को संभालेंगी पदभार, आंगनबाड़ी केंद्रो को दुरूस्त करना होगी प्राथमिकता

जानवर पालन से मुनाफा

इस संबंध में दीपक के पिता लखन मिंज ने कहा कि पहले वे लोग सिर्फ थोड़ी बहुत खेती पर ही आश्रित रहते थे, परंतु उनके बेटे ने सुझाव दिया कि मुर्गी पालन, बतख पालन, सूअर पालन करने से अच्छा मुनाफा होगा. दीपक की सलाह पर उसी के नेतृत्व में काम आरंभ किया गया जिसमें अच्छा मुनाफा होने लगा है. वहीं दीपक ने बताया कि वह रायपुर से आईटी इंजीनियरिंग 2019 में पूरा किया. वह सरकारी जॉब भी करेगा परंतु वर्तमान में घर में ही रहकर स्टार्टअप के तहत बतख पालन मुर्गी पालन आदि आरंभ किया है. उसने लोगों को संदेश दिया कि हौसला बुलंद होना चाहिए और कभी हार नहीं मानना चाहिए.
प्रेरणाश्रोत हैं दीपक
इस संबंध में समेकित आदिवासी विकास परिषद के निदेशक बिंदेश्वरी ततमा ने कहा कि दीपक समाज के लिए प्रेरणा स्रोत है और सरकारी विभाग से प्रावधान के तहत जो भी सहायता होगी उसे दी जाएगी.

लातेहारः जिले के बमनहेरूआ गांव का निवासी दीपक मिंज गरीबी और तंगहाली के साथ-साथ दिव्यांगता की समस्या को पीछे छोड़ते हुए खुद के बलबूते पर आईटी इंजीनियर बना और अब अपने घर और गांव की तस्वीर बदलने में लगा हुआ है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

पोलियो का हुए थे शिकार

दीपक मिंज 3 वर्ष की उम्र में ही पोलियो का शिकार हो गया था जिससे उसके दोनों पैर काम करना बंद कर दिए. गरीबी के कारण उसका समय पर इलाज भी नहीं हो पाया. दीपक की इस स्थिति के कारण उसके परिवार वाले चिंतित रहने लगे. परंतु दीपक ने अपने बुलंद हौसले के बल पर ना सिर्फ स्कूली शिक्षा पाई बल्कि आईटी इंजीनियर भी बन गया. वर्तमान में वह अपने गांव में ही रह कर अपने घर की आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में काम कर रहा है. दीपक पढ़ाई पूरी करने के बाद गांव में ही बत्तख, सूअर, मुर्गी और मछली पालन करने लगा. अभी यह व्यवसाय आरंभ किए 1 वर्ष भी पूरा नहीं हुआ कि दीपक को 50,000 से अधिक मुनाफा हो गया.

और पढ़ें- समाज कल्याण मंत्री जोबा मांझी मंगलवार को संभालेंगी पदभार, आंगनबाड़ी केंद्रो को दुरूस्त करना होगी प्राथमिकता

जानवर पालन से मुनाफा

इस संबंध में दीपक के पिता लखन मिंज ने कहा कि पहले वे लोग सिर्फ थोड़ी बहुत खेती पर ही आश्रित रहते थे, परंतु उनके बेटे ने सुझाव दिया कि मुर्गी पालन, बतख पालन, सूअर पालन करने से अच्छा मुनाफा होगा. दीपक की सलाह पर उसी के नेतृत्व में काम आरंभ किया गया जिसमें अच्छा मुनाफा होने लगा है. वहीं दीपक ने बताया कि वह रायपुर से आईटी इंजीनियरिंग 2019 में पूरा किया. वह सरकारी जॉब भी करेगा परंतु वर्तमान में घर में ही रहकर स्टार्टअप के तहत बतख पालन मुर्गी पालन आदि आरंभ किया है. उसने लोगों को संदेश दिया कि हौसला बुलंद होना चाहिए और कभी हार नहीं मानना चाहिए.
प्रेरणाश्रोत हैं दीपक
इस संबंध में समेकित आदिवासी विकास परिषद के निदेशक बिंदेश्वरी ततमा ने कहा कि दीपक समाज के लिए प्रेरणा स्रोत है और सरकारी विभाग से प्रावधान के तहत जो भी सहायता होगी उसे दी जाएगी.

Intro:लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है दिव्यांग दीपक, इंजीनियर बनने के बाद लोगों को दे रहे हैं आगे बढ़ने की प्रेरणा

लातेहार. कहा जाता है कि हौसला यदि बुलंद हो तो कोई भी बाधा मनुष्य को आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती है. इसी बात को चरितार्थ कर रहा है लातेहार के बमनहेरूआ गांव निवासी दिव्यांग दीपक मिंज. गरीबी और तंगहाली के साथ-साथ दिव्यांगता की समस्या को पीछे छोड़ते हुए दीपक खुद के बलबूते पर आईटी इंजीनियर बना और अब अपने घर और गांव की तस्वीर बदलने में लगा हुआ है.


Body:दीपक मिंज 3 वर्ष की उम्र में ही पोलियो का शिकार हो गया था जिससे उसके दोनों पैर काम करना बंद कर दिए. गरीबी के कारण उसका समय पर इलाज भी नहीं हो पाया. दीपक की इस स्थिति के कारण उसके परिवार वाले चिंतित रहने लगे. परंतु दीपक ने अपने बुलंद हौसले के बल पर ना सिर्फ स्कूली शिक्षा पाई बल्कि आईटी इंजीनियर भी बन गया. वर्तमान में वह अपने गांव में ही रह कर अपने घर की आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में काम कर रहा है. दीपक पढ़ाई पूरी करने के बाद गांव में ही बत्तख पालन, सूअर पालन, मुर्गी पालन और मछली पालन का कार्य आरंभ किया है. अभी यह व्यवसाय आरंभ किए 1 वर्ष भी पूरा नहीं हुआ है परंतु दीपक को ₹50000 से अधिक मुनाफा हो गया.
इस संबंध में दीपक के पिता लखन मिंज ने कहा कि पहले वे लोग सिर्फ थोड़ी बहुत खेती पर ही आश्रित रहते थे, परंतु उनके बेटे ने सजेशन दिया कि मुर्गी पालन ,बतख पालन, सूअर पालन आदि करने से अच्छा मुनाफा होगा. दीपक की सलाह पर उसी के नेतृत्व में काम आरंभ किया गया जिसमें अच्छा मुनाफा होने लगा है.
वही दीपक ने बताया कि वह रायपुर से आईटी इंजीनियरिंग 2019 में पूरा किया. वह सरकारी जॉब भी करेगा परंतु वर्तमान में घर में ही रहकर स्टार्टअप के तहत बतख पालन मुर्गी पालन आदि आरंभ किया है. उसने लोगों को संदेश दिया कि हौसला बुलंद होना चाहिए और कभी हार नहीं मानना चाहिए.
वही इस संबंध में समेकित आदिवासी विकास परिषद के निदेशक बिंदेश्वरी ततमा ने कहा कि दीपक समाज के लिए प्रेरणा स्रोत है और सरकारी विभाग से प्रावधान के तहत जो भी सहायता होगी उसे दी जाएगी.
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byte- लखन मिंज
byte- दीपक मिंज
byte- डायरेक्टर विंधेश्वरी ततमा


Conclusion:दीपक जैसे युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए सरकार को आगे आने की जरूरत है ताकि ऐसे लोगों को देखकर अन्य लोगों में भी कुछ कर गुजरने की जज्बा पैदा हो.

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