लातेहारः जिले के बमनहेरूआ गांव का निवासी दीपक मिंज गरीबी और तंगहाली के साथ-साथ दिव्यांगता की समस्या को पीछे छोड़ते हुए खुद के बलबूते पर आईटी इंजीनियर बना और अब अपने घर और गांव की तस्वीर बदलने में लगा हुआ है.
पोलियो का हुए थे शिकार
दीपक मिंज 3 वर्ष की उम्र में ही पोलियो का शिकार हो गया था जिससे उसके दोनों पैर काम करना बंद कर दिए. गरीबी के कारण उसका समय पर इलाज भी नहीं हो पाया. दीपक की इस स्थिति के कारण उसके परिवार वाले चिंतित रहने लगे. परंतु दीपक ने अपने बुलंद हौसले के बल पर ना सिर्फ स्कूली शिक्षा पाई बल्कि आईटी इंजीनियर भी बन गया. वर्तमान में वह अपने गांव में ही रह कर अपने घर की आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में काम कर रहा है. दीपक पढ़ाई पूरी करने के बाद गांव में ही बत्तख, सूअर, मुर्गी और मछली पालन करने लगा. अभी यह व्यवसाय आरंभ किए 1 वर्ष भी पूरा नहीं हुआ कि दीपक को 50,000 से अधिक मुनाफा हो गया.
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जानवर पालन से मुनाफा
इस संबंध में दीपक के पिता लखन मिंज ने कहा कि पहले वे लोग सिर्फ थोड़ी बहुत खेती पर ही आश्रित रहते थे, परंतु उनके बेटे ने सुझाव दिया कि मुर्गी पालन, बतख पालन, सूअर पालन करने से अच्छा मुनाफा होगा. दीपक की सलाह पर उसी के नेतृत्व में काम आरंभ किया गया जिसमें अच्छा मुनाफा होने लगा है. वहीं दीपक ने बताया कि वह रायपुर से आईटी इंजीनियरिंग 2019 में पूरा किया. वह सरकारी जॉब भी करेगा परंतु वर्तमान में घर में ही रहकर स्टार्टअप के तहत बतख पालन मुर्गी पालन आदि आरंभ किया है. उसने लोगों को संदेश दिया कि हौसला बुलंद होना चाहिए और कभी हार नहीं मानना चाहिए.
प्रेरणाश्रोत हैं दीपक
इस संबंध में समेकित आदिवासी विकास परिषद के निदेशक बिंदेश्वरी ततमा ने कहा कि दीपक समाज के लिए प्रेरणा स्रोत है और सरकारी विभाग से प्रावधान के तहत जो भी सहायता होगी उसे दी जाएगी.