लातेहार: हर घर तक स्वच्छ जल पहुंचाने की बात भले ही सरकार की प्राथमिकता में शामिल हो, लेकिन धरातल पर सच्चाई यह है कि आज भी झारखंड में कई ऐसे गांव हैं, जहां पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. इनमें से एक है लातेहार सदर प्रखंड का सैराट गांव, जहां लोगों को पानी के लिए गांव से 1 किलोमीटर दूर स्थित नदी पर निर्भर रहना पड़ता है.
ये भी पढ़ें-रांची के धुर्वा मोहल्ले में पानी के लिए कई किलोमीटर का 'सफर', पढ़ें पूरी रिपोर्ट
नदी का पानी पीने को मजबूर लोग
लातेहार का सैराट गांव जिला मुख्यालय से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस गांव में अनुसूचित जाति के लगभग 100 लोग निवास करते हैं, लेकिन गांव की बदहाली का आलम यह है कि आज तक यहां सरकारी स्तर पर न तो एक भी चापाकल लगाया गया है और ना ही पेयजल की कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई. ऐसे में यहां के ग्रामीण पानी के लिए सालों भर परेशान रहते हैं. ग्रामीण 1 किलोमीटर दूर नदी जाकर पीने का पानी लाते हैं. यहां ग्रामीणों की सबसे बड़ी चिंता पानी की व्यवस्था करना ही है.
कभी-कभी बिना पानी के ही पड़ता है रहना
सुबह होते ही इस गांव के लोग नदी जाना शुरू कर देते हैं और वहां से पानी भटकर घर लाते हैं. अगर किसी वजह से पानी नहीं ला पाए, तो किसी से मांग कर या बिना पानी के ही काम चलाना पड़ता है. महिलाएं बताती हैं कि गांव में आज तक एक भी चापाकल नहीं लगाया गया और ना ही पानी के लिए कोई ठोस व्यवस्था प्रशासन की ओर से की गई. ऐसे में लोग नदी के पानी से ही अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं.
ये भी पढ़ें-गिरिडीह के 51 स्कूलों में है पानी की समस्या, हलक की प्यास बुझाने के लिए भटकते हैं बच्चे
बरसात में होती है सबसे अधिक परेशानी
ग्रामीणों ने बताया कि वैसे तो उन लोगों के समक्ष पीने के पानी की समस्या सालों भर बनी रहती है, लेकिन बरसात के दिनों में सबसे अधिक परेशानी होती है. नदी में बाढ़ आने के कारण पानी पूरी तरह गंदा हो जाता है. ऐसे में वे लोग नदी का गंदा पानी पीने को ही मजबूर होते हैं.
पेयजल संकट की समस्या
इस संबंध में लातेहार उपायुक्त अबु इमरान ने कहा कि लातेहार जिला प्रशासन पेयजल संकट की समाधान को लेकर पूरी तरह गंभीर है. जहां भी पेयजल संकट की सूचना मिल रही है, वहां उसके समाधान की दिशा में सार्थक पहल की जा रही है. जल्द ही सैराट गांव की पेयजल की संकट दूर की जाएगी.