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पक्की सड़क से नहीं जुड़ पाया है सरईडीह गांव, ग्रामीण है परेशान

लातेहार के सरईडीह गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. केंद्र और राज्य सरकार की तमाम योजनाओं के बाद भी यह गांव पक्की सड़क से नहीं जुड़ पाया है. कच्ची और जर्जर सड़क के कारण गांव से बीमार लोगों या फिर गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने में जान जोखिम में डालना पड़ता है.

road problem in latehar
कच्ची सड़के
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Published : Dec 4, 2020, 4:09 PM IST

लातेहार: केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक गांव को पक्की सड़क से जोड़ने की योजना को अपनी प्राथमिकता बताते नहीं थकती है. लेकिन सरकार का यह दावा लातेहार जिला मुख्यालय से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भूसूर पंचायत के सरईडीह गांव तक आते आते फेल हो जाती है. इस गांव का आलम यह है कि आजादी के 73 साल बाद भी यह गांव पक्की सड़क से नहीं जुड़ पाई है.

देखें पूरी खबर
सदर प्रखंड के भूसूर पंचायत में स्थित सरईडीह गांव आज भी विकास से पूरी तरह वंचित है. लगभग 50 घर के इस बस्ती में 300 से अधिक लोग निवास करते हैं. यह गांव पूरी तरह से आदिवासी बहुल गांव है. जिला मुख्यालय से मात्र 5 से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव की बदहाली सरकार के विकास के दावे को झूठा साबित कर दे रही है. आजादी के 73 साल बीत जाने के बावजूद इस गांव तक पहुंचने के लिए आज तक एक सड़क भी नहीं बनाई जा सकी. जिससे इस गांव के लोगों को आज भी पैदल ही चल कर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है.
नदी नालों से घिरा है यह गांव
सरईडीह गांव चारों ओर से नदी नालों से घिरा हुआ है. गांव से निकलने के लिए यहां के लोगों को नदी नालों को पार करना पड़ता है लेकिन कहीं भी पुल पुलिया का निर्माण नहीं किया गया है. ग्रामीणों को सबसे अधिक परेशानी तो बरसात के मौसम में होती है, जब नदी नाले उफान पर होते हैं तो ग्रामीण कई दिनों तक गांव में ही बंधक बने रहते हैं. ऐसे में यदि कोई बीमार पड़ जाए तो उसकी जिंदगी भगवान के भरोसे रह जाती है.


ये भी पढ़े- रेस्क्यू कर पकड़ा गया विश्व का तीसरा जहरीला सांप रसल वाइपर, वन विभाग को सौंपने की तैयारी

सालों भर परेशान रहते हैं ग्रामीण
यहां के ग्रामीण सालों भर परेशान रहते हैं. ग्रामीण फूलमती देवी ने कहा कि इस गांव में सबसे अधिक परेशानी सड़क की है. सड़क के अभाव में ग्रामीणों का विकास वंचित है. ग्रामीण रीता देवी ने कहा कि बरसात के दिनों में ग्रामीण गांव में पूरी तरह बंधक बन जाते हैं. बीमारी या प्रसव पीड़ा के दौरान महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी होती है. वहीं ग्रामीण सूबेदार सिंह ने कहा कि लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों के अलावे सरकारी अधिकारियों से भी सड़क की मांग की लेकिन आज तक उनकी मांग नहीं पूरी की गई है. ग्रामीण राकेश सिंह ने कहा कि सड़क नहीं होने के कारण गांव का विकास पूरी तरह रुक गया है.

जल्द बनेगी गांव में सड़क
इस संबंध में जब लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश कुमार रजक से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जल्द ही गांव में सड़क का निर्माण करवाया जाएगा. इसके अलावा ग्रामीणों को अन्य सरकारी सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जाएगी.

लातेहार: केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक गांव को पक्की सड़क से जोड़ने की योजना को अपनी प्राथमिकता बताते नहीं थकती है. लेकिन सरकार का यह दावा लातेहार जिला मुख्यालय से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भूसूर पंचायत के सरईडीह गांव तक आते आते फेल हो जाती है. इस गांव का आलम यह है कि आजादी के 73 साल बाद भी यह गांव पक्की सड़क से नहीं जुड़ पाई है.

देखें पूरी खबर
सदर प्रखंड के भूसूर पंचायत में स्थित सरईडीह गांव आज भी विकास से पूरी तरह वंचित है. लगभग 50 घर के इस बस्ती में 300 से अधिक लोग निवास करते हैं. यह गांव पूरी तरह से आदिवासी बहुल गांव है. जिला मुख्यालय से मात्र 5 से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव की बदहाली सरकार के विकास के दावे को झूठा साबित कर दे रही है. आजादी के 73 साल बीत जाने के बावजूद इस गांव तक पहुंचने के लिए आज तक एक सड़क भी नहीं बनाई जा सकी. जिससे इस गांव के लोगों को आज भी पैदल ही चल कर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है.
नदी नालों से घिरा है यह गांव
सरईडीह गांव चारों ओर से नदी नालों से घिरा हुआ है. गांव से निकलने के लिए यहां के लोगों को नदी नालों को पार करना पड़ता है लेकिन कहीं भी पुल पुलिया का निर्माण नहीं किया गया है. ग्रामीणों को सबसे अधिक परेशानी तो बरसात के मौसम में होती है, जब नदी नाले उफान पर होते हैं तो ग्रामीण कई दिनों तक गांव में ही बंधक बने रहते हैं. ऐसे में यदि कोई बीमार पड़ जाए तो उसकी जिंदगी भगवान के भरोसे रह जाती है.


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सालों भर परेशान रहते हैं ग्रामीण
यहां के ग्रामीण सालों भर परेशान रहते हैं. ग्रामीण फूलमती देवी ने कहा कि इस गांव में सबसे अधिक परेशानी सड़क की है. सड़क के अभाव में ग्रामीणों का विकास वंचित है. ग्रामीण रीता देवी ने कहा कि बरसात के दिनों में ग्रामीण गांव में पूरी तरह बंधक बन जाते हैं. बीमारी या प्रसव पीड़ा के दौरान महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी होती है. वहीं ग्रामीण सूबेदार सिंह ने कहा कि लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों के अलावे सरकारी अधिकारियों से भी सड़क की मांग की लेकिन आज तक उनकी मांग नहीं पूरी की गई है. ग्रामीण राकेश सिंह ने कहा कि सड़क नहीं होने के कारण गांव का विकास पूरी तरह रुक गया है.

जल्द बनेगी गांव में सड़क
इस संबंध में जब लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश कुमार रजक से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जल्द ही गांव में सड़क का निर्माण करवाया जाएगा. इसके अलावा ग्रामीणों को अन्य सरकारी सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जाएगी.

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